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    Tourism

    चितकुल: जहां हिंदू और बौद्ध धर्म का मिलता है अनोखा संगम

    Janta YojanaBy Janta YojanaOctober 30, 2025No Comments5 Mins Read
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    Chitkul Himachal Pradesh (Image from Social Media)

    Chitkul Himachal Pradesh (Image from Social Media)

    Chitkul Himachal Pradesh: भारत देश के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले के बसपा घाटी में स्थित चितकुल अंतिम और सबसे ऊंचा गांव है। समुद्र तल से करीब 11,319 फीट की ऊंचाई पर भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं , शांतप्रद वातावरण और बहते नदी के मनमोहक दृश्यों के लिए मशहूर है। साल भर यह जगह बर्फ से ढकी रहती है। ट्रेकर्स के लिए यह जगह स्वर्ग जैसा लगता है।

    किन्नौर में हिंदू और बौद्ध धर्म का आपसी मेल देखने को मिलता है। किन्नौर ज़िले के हर गांव में मंदिर के साथ-साथ गोम्पा भी देखने को मिलेगा। हिमाचल और तिब्बती संस्कृति का आनंद लेने के लिए यह जगह परिवार,बच्चों या दोस्तों संग आ सकते हैं। किन्नौर में बुशहर साम्राज्य के शासनकाल में हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों का योगदान देखने को मिलता है। हिंदू धर्म के अनुसार बुशहर राजा, भगवान कृष्ण के पौत्र प्रद्युम्न के वंशज माने जाते हैं। वहीं बौद्ध धर्म के अनुसार बुशहर के राजा अगले जन्म में दलाई लामा के रूप में जन्म लिए हैं।

    यह इलाका उत्तराखंड के धौलाधार पर्वत के पार बद्रीनाथ और गंगोत्री के करीब है, इस कारण यहां हिंदू धर्म का प्रभाव है। सांगला से चितकुल जाने के रास्ते में पड़ने वाले कमला किले में बद्रीनाथ मंदिर है। यहां हर तीन साल में एक बार लगाने वाले मेले में मूर्ति को गंगोत्री ले जाया जाता है। वहीं दूसरी ओर बौद्ध धर्म का प्रभाव होने के कारण व्यापारी और स्थानीय लोग चरांग दर्रे के पार तिब्बत आना जाना करते हैं। इस क्षेत्र में राजाओं के दूर इलाकों में यात्रा ना करने और देवताओं को स्थानीय निवासियों के साथ भेजने से परंपरागत रूप से देवता महत्वपूर्ण हो गए और लोगों में एकता की भावना कायम रही।

    चितकुल में खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाओं के अलावा सेब के बगान , जंगल, घास के मैदान, वन्यजीव अभयारण्य और मंदिर आदि जैसे कई स्थान हैं। जिनमें कुछ प्रमुख हैं :

    मति देवी मंदिर :

    किन्नौर जिले के हरेक गांव में उनका अपना स्थानीय देवता होता है और यह मंदिर भी चितकुल में मति देवी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि मति देवी एक कठिन यात्रा के बाद इस गांव में अपने परिवार के सदस्यों के साथ पहुंची थी। पौराणिक कथा अनुसार पड़ोसी गांव कामरू के प्रमुख देवता भगवान बद्रीनाथ को उनका पति माना जाता है।

    यहां गढ़वाल के निवासियों द्वारा निर्मित स्थानीय देवी के तीन मंदिर हैं। इन मंदिरों का निर्माण कई सौ साल पहले किया गया था। इस मंदिर में लकड़ी की वास्तुकला और यहां के चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। इस मंदिर में देवी के पास रखा अखरोट की लकड़ी का बना सन्दूक कपड़े से ढंका रहता है। यहां आकर आप एक असीम शांति का अनुभव कर सकते हैं।

    कामाख्या मंदिर :

    चितकुल में कई खूबसूरत मंदिरों में से एक है कामरू किले पर बना यह मंदिर। पर्यटकों को यह मंदिर अपने प्राकृतिक दृश्यों से आकर्षित करता है, किले से शहर का नज़ारा देख सकते हैं।

    बेरिंग नाग मंदिर :

    चितकुल में यह मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला के लिए मशहूर है। इस मंदिर में भगवान जगस की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। मंदिर में बौद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

    बसपा नदी :

    पर्यटक चितकुल में आने के बाद बसपा नदी के किनारे सैर करना नहीं भूलते। यह नदी अपने साफ़ और प्राकृतिक पानी द्वारा पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसका पानी क्रिस्टल के समान साफ़ दिखता है जो इसे और खूबसूरत बना देता है।

    ट्रेकिंग :

    चितकुल में कई ट्रेकिंग स्थल हैं जो इसे सैलानियों खासकर ट्रेकर्स के बीच मशहूर बना देता है। कुछ खास ट्रेक इस प्रकार हैं:

    किन्नर कैलाश परिक्रमा ट्रेक :

    भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित यह ट्रेक सबसे शानदार ट्रेक में से एक माना जाता है। इस ट्रेक के नाम से ही पता चलता है कि इससे खूबसूरत किन्नर कैलाश की यात्रा या परिक्रमा की जाती है।

    नागस्ती इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस कैंप ट्रेक:

    इस ट्रेक को आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत नहीं और शुरुआती लोग भी इसे आजमा सकते हैं।

    रानी कांडा मीडोज ट्रेक :

    इस ट्रेक के लिए ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है क्योंकि यह ट्रेक थोड़ा कठिन स्तर का होता है। इस ट्रेक के दौरान पूरे सफर में मनोरम दृश्य का लुत्फ उठा सकते हैं।

    बोरासु दर्रा ट्रेक :

    यह भी ट्रेक अपनी ऊंचाई, चोटियों, चट्टान, ढलान आदि के कारण कठिन ट्रेक माना जाता है। इस ट्रेक के दौरान भी ट्रेकर सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

    लमखागा दर्रा ट्रेक :

    इस ट्रेक को भी कठिन श्रेणी में माना जाता है और इसे पूरा करने में कुछ हफ्तों का समय लग जाता है। लेकिन ट्रेक का आनंद लेने वालों के लिए यह बहुत चैलेंज भरा रहता है।

    कैसे पहुंचें ?

    हवाई मार्ग से चितकुल पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा शिमला है। यहां से चितकुल की दूरी 247 किमी है। यह हवाई अड्डा देश के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इस हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है।

    रेल मार्ग से चितकुल पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला है जहां से चितकुल 247 की दूरी पर है। टैक्सी या बस से चितकुल पहुंचा जा सकता है। दिल्ली, पंजाब, राजस्थान आदि जैसे पड़ोसी राज्यों से नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

    नई दिल्ली से चितकुल करीब 580 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहीं मनाली और चितकुल के बीच की दूरी करीब 312 किलोमीटर है।

    घूमने का सही समय :

    वैसे तो चितकुल जाने का हर मौसम अपना अलग एहसास देता है लेकिन सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर तक का रहता है। जब पूरे देश में गर्मी का मौसम रहता है उस दौरान यहां घूमना अच्छा रहता है। सैलानियों को मॉनसून से बचना चाहिए।

    सर्दियों में यहां बर्फ का नज़ारा देखते बनता है। अक्टूबर से फरवरी तक आप सर्दी के मौसम में बर्फबारी का भी आनंद ले सकते हैं।

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