इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के मौजूदा अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने पुष्टि की है कि वह अपने तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे। भारत के सर्वशक्तिमान जय शाह का विश्व क्रिकेट के शीर्ष पद पर पहुंचना तय है। बार्कले ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष माइक बेयर्ड सहित आईसीसी निदेशकों को इस्तीफा देने के अपने इरादे के बारे में बताया। हाल के दिनों में जय शाह ने उन्हें सूचित किया था कि बीसीसीआई सचिव नवंबर में उनकी जगह लेना चाहते हैं और उनके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त वोट हैं। बार्कले इशारा समझ गए और अध्यक्ष पद से हटने की घोषणा कर दी।
भारत की टी20 विश्व कप जीत के बाद ही जय शाह ने आईसीसी बोर्ड पर कब्जा करने की पहल शुरू कर दी थी। आईसीसी बोर्ड के पास ही वर्ल्ड क्रिकेट को संचालित करने की पावर है। अगर किसी को 2017 की द वायर की वो स्टोरी याद हो- ‘द गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया था कि जय शाह के स्वामित्व वाली कंपनी – टेम्पल एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड – का टर्नओवर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक साल में 16,000 गुना बढ़ गया।” हालांकि इस स्टोरी को लेकर जय शाह ने द वायर पर मुकदमा भी किया था। खैर यह बात अपनी जगह लेकिन जय शाह के सितारे 2014 से बुलंदी पर चल रहे हैं।
जय शाह, जिनके पिता अमित शाह भारत के गृह मंत्री और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दाहिने हाथ हैं, 2019 में भारत के क्रिकेट गवर्निंग बॉडी बीसीसीआई के सचिव बने और अगले साल 2025 में उनका कार्यकाल खत्म होने वाला है। तब जय शाह के पास कोई महत्वपूर्ण पद नहीं होगा। नियमों के मुताबिक वो 2028 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ सकते या नहीं बन सकते। ऐसे में जय शाह ने आईसीसी में ही अपना रुतबा बना लिया। और अब नवंबर में वो आईसीसी अध्यक्ष बन जाएंगे।
गुजरात में जन्मे शाह ने कभी न तो क्रिकेट की बॉल फेंकी और न ही किसी राष्ट्रीय टीम या राज्य क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। लेकिन पहली बार भाजपा शासित गुजरात में 2009 में क्रिकेट प्रशासन में प्रवेश किया और गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के संयुक्त सचिव बने। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार यानी भाजपा सरकार आ गई। जय शाह की तरक्की हुई। 2015 में, शाह बीसीसीआई में शामिल हुए और चार साल बाद, 2019 में उन्हें बीसीसीआई के सचिव के रूप में चुना गया। उनका इतिहास अभी लिखा जा रहा है। बिजनेस में जबरदस्त तरक्की के बाद क्रिकेट की तरक्की भी अद्भुत है।
क्रिकेट के महान खिलाड़ी अब जय शाह के आगे पीछे घूमते हैं और उनकी तारीफें करते हैं। महान सुनील गावस्कर, जिनकी आलोचना से कोई नहीं बचा, ने भारत में क्रिकेट के विकास के लिए शाह की सराहना की थी। गावस्कर ने कहा था “बहुत से लोग जय शाह की आलोचना करते हैं, उनके योगदान के बजाय उनके पिता की राजनीतिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालाँकि, जय शाह ने जो हासिल किया है – जैसे महिला प्रीमियर लीग कराना, महिला टीम के लिए पुरुषों के समान वेतन सुनिश्चित करना, आईपीएल खिलाड़ियों के लिए फीस बढ़ाना और प्रोत्साहन में उल्लेखनीय वृद्धि करना – सराहनीय है। दुर्भाग्य से, कुछ लोग राजनीतिक एजेंडे के कारण उन्हें श्रेय देने से इनकार करते हैं। लेकिन गावस्कर ने जो कहा वो सिक्के का एक ही पहलू है। 2014 से भाजपा की तरक्की और जय शाह की तरक्की को पंख लगे हुए हैं। इससे कौन इनकार कर सकता है।
भाजपा कांग्रेस, सपा, आरजेडी, जेएमएम, डीएमके आदि राजनीतिक दलों पर परिवारवादी राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाती है। रामेश्वरम में एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने डीएमके और एमके स्टालिन पर परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसका जवाब उदयनिधि स्टालिन ने कुछ इस तरह दिया था। उदयनिधि स्टालिन ने अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ा। जीता। विधायक बने और तब उन्हें मंत्री बनाया गया। इसके बाद उदयनिधि ने अमित शाह पर हमला बोला। उन्होंने कहा- “अमित शाह कहते हैं कि हमारी पार्टी के नेताओं का लक्ष्य मुझे मुख्यमंत्री बनाना है। लेकिन, मैं अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि आपका बेटा बीसीसीआई का सचिव कैसे बन गया” उन्होंने आगे पूछा, “उन्होंने कितने क्रिकेट मैच खेले और कितने रन बनाए”