ज्योति मल्होत्रा का 4 दिन का आगे बढ़ाया गया रिमांड पूरा होने पर पुलिस ने अदालत में पेश किया जहाँ से अब उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। कुल 9 दिन के रिमांड के बाद भी पुलिस ने कुछ ठोस सबूत का खुलासा नहीं किया। अब 90 दिनों के भीतर पुलिस को आरोपी के ख़िलाफ़ चार्जशीट अदालत में पेश करनी होगी।
ज्योति मल्होत्रा मामले में हिसार पुलिस ने हाल ही में एक अहम प्रेस रिलीज़ जारी कर कई झूठी ख़बरों का खंडन किया था। इस रिलीज़ ने मीडिया द्वारा फैलाए गए दुष्प्रचार को उजागर किया था। एजेंसियों की कार्यप्रणाली और ज्योति की गिरफ्तारी और उसे जासूस करार दिए जाने पर गंभीर सवाल वहीं से खड़े होने शुरू हो गए थे कि आखिर क्या बिना पुख्ता सबूतों के किसी भी नागरिक को ‘जासूस’ क़रार देना उचित है? इस मामले में मीडिया हाउस की भ्रामक रिपोर्टें, कवरेज और गैर जिम्मेदार रिपोर्टिंग ने मामले को सनसनीखेज बनाने में पूरा जोर लगा दिया। हिसार पुलिस ने 21 मई को एक प्रेस रिलीज़ जारी कर साफ किया कि कई मीडिया रिपोर्टों में फैलाई गईं खंबरें तथ्यों से परे हैं।
16 मई को ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और सरकारी गोपनीय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि उसका पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स से संपर्क था और उसने संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तनि ख़ुफ़िया एजेंसी के ऑपरेटर्स से साझा की है।
18 मई को पुलिस की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने तीन मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए। पुलिस के मुताबिक, जब्त किए गए दो मोबाइल फोन की शुरुआती जांच में कोई संदिग्ध सामग्री नहीं मिली। बाकी उपकरणों की फोरेंसिक जांच अभी पूरी नहीं हुई है। ज्योति को 5 दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया गया, लेकिन पुलिस ने खूद स्वीकार किया कि अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। और अब 4 दिन के दुबारा रिमांड में भी कोई ठोस सबूत के बारे में पुलिस स्पष्ट नहीं कर पाई। प्रेस रिलीज़ में मीडिया पर गलत खबर चलाने और जांच को प्रभावित करने का सीधा आरोप लगाया गया।
यह दावा झूठा था और ज्योति को आतंकवादी के रूप में चित्रित करने की सोची-समझी कोशिश थी। मीडिया हाउसों ने दावा किया कि ज्योति के पास कोडेड मैसेज और संदिग्ध डिवाइस बरामद हुए जो जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे। हिसार पुलिस की प्रेस रिलीज़ के अनुसार, जब्त किए गए दो मोबाइल फोन की शुरुआती जांच में कोई संदिग्ध सामग्री नहीं मिली। कहा गया कि ‘कोडेड मैसेज’ का दावा पूरी तरह से बेबुनियाद और मनगढ़ंत है।
मीडिया हाउसों ने ज्योति को सीधे ISI का एजेंट बताते हुए कहा कि उनके पास “पुख्ता सबूत” हैं। हिसार पुलिस की प्रेस रिलीज़ में साफ़ कहा गया कि अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। ISI से कनेक्शन का दावा अत्यधिक सनसनीखेज और काल्पनिक था, जिसका कोई आधार नहीं था।
मीडिया हाउसों ने दावा किया कि ज्योति ने सेना की गोपनीय जानकारी लीक की और इसके लिए उन्हें मोटी रकम मिली। पुलिस की प्रेस रिलीज़ में इस तरह के किसी भी सबूत या जानकारी का कोई जिक्र नहीं है और ऐसे दावे पूरी तरह से अटकलबाजी पर आधारित हैं।
प्रिंट मीडिया ने भी इस मामले को कवर किया, लेकिन कई बार तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया या गलत सूचनाएं दीं। इससे इस मामले की जटिलता और बढ़ गई।