डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार और विनिर्माण के क्षेत्र में हलचल मचा दी है। उन्होंने एप्पल को चेतावनी दी कि यदि आईफ़ोन का निर्माण भारत या किसी अन्य देश में किया गया तो अमेरिका में बिकने वाले इन फोन पर 25% टैरिफ़ लगाया जाएगा। ट्रंप की यह चेतावनी तब आई है जब अमेरिका की भारत सहित कई देशों से व्यापार वार्ताएँ चल रही हैं। भारत और अमेरिका के बीच 8 जुलाई से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी है। यह समझौता एक मुक्त व्यापार समझौते यानी एफ़टीए का पहला चरण माना जा रहा है। यानी ज़ीरो टैरिफ़ की उम्मीद की जा रही थी। भारत ने इस समझौते में घरेलू सामानों पर लगाए गए 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ से पूरी छूट की मांग की है। अन्य देश भी कुछ ऐसी ही डील की उम्मीद में हैं। लेकिन ट्रंप की ताज़ा चेतावनी ने सबको चौंका दिया है।
ट्रंप का यह ताज़ा बयान न केवल एप्पल और भारत जैसे देशों के लिए, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन और व्यापार नीतियों के लिए भी गंभीर सवाल खड़े करता है। ट्रंप का यह बयान उनकी अमेरिका फ़र्स्ट नीति की एक और मिसाल है, जो उनके पहले कार्यकाल में भी साफ़ थी। उनका तर्क है कि आईफ़ोन जैसे क़ीमती उत्पादों का निर्माण अमेरिका में होना चाहिए, ताकि स्थानीय नौकरियाँ बढ़ें और अर्थव्यवस्था मज़बूत हो। हालाँकि, यह दृष्टिकोण कई सवाल उठाता है। क्या यह नीति वास्तव में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएगी, या यह केवल एक रणनीतिक दबाव है, जिसका मक़सद एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों को अमेरिका में निवेश के लिए मजबूर करना है?
आलोचकों का कहना है कि यह बयान संरक्षणवाद की ओर एक ख़तरनाक क़दम है, जो वैश्विक व्यापार को नुक़सान पहुँचा सकता है। भारत जैसे देश हाल के वर्षों में एप्पल की सप्लाई चेन में एक अहम केंद्र बन गए हैं और ट्रंप की इस नीति से ये सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। भारत में आईफ़ोन का निर्माण न केवल लागत को कम करता है, बल्कि लाखों नौकरियां भी पैदा करता है। ट्रंप की यह चेतावनी भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को तनावपूर्ण बना सकती है, खासकर तब जब दोनों देश हाल के वर्षों में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत में एप्पल ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे साझेदारों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर आईफ़ोन उत्पादन शुरू किया है। यह न केवल भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का हिस्सा है, बल्कि यह देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक अहम क़दम है। ट्रंप की चेतावनी भारत के लिए कई मुश्किलें खड़ी करती है।
एप्पल की सप्लाई चेन वैश्विक स्तर पर फैली हुई है और भारत इसका एक अहम हिस्सा है। ट्रंप का यह क़दम न केवल भारत, बल्कि चीन और वियतनाम जैसे अन्य देशों को भी प्रभावित कर सकता है, जहां आईफ़ोन का निर्माण होता है। यह वैश्विक सप्लाई चेन में रुकावटें पैदा कर सकता है, जिससे आईफ़ोन की क़ीमतें बढ़ सकती हैं।
भारत-अमेरिका संबंध हाल के वर्षों में रणनीतिक रूप से मज़बूत हुए हैं, खासकर चीन के ख़िलाफ़ एक साझा रुख के कारण। ट्रंप का यह बयान भारत को एक संदेश देता है कि वह अमेरिका की आर्थिक नीतियों के सामने झुकने के लिए तैयार रहे। यह भारत की स्वायत्तता और वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति पर सवाल उठाता है।
एप्पल की दुविधा
एप्पल के लिए ट्रंप की चेतावनी एक समस्या पेश करती है। अमेरिका में आईफ़ोन का निर्माण करना लागत को काफ़ी हद तक बढ़ा सकता है, क्योंकि अमेरिका में श्रम लागत भारत या अन्य एशियाई देशों की तुलना में बहुत अधिक है। इससे आईफ़ोन की क़ीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जो उपभोक्ताओं के लिए नकारात्मक हो सकता है। साथ ही, यदि एप्पल भारत जैसे देशों में उत्पादन बंद करता है तो उसे अपनी वैश्विक सप्लाई चेन को फिर से व्यवस्थित करना होगा, जो समय और लागत दोनों के मामले में महंगा होगा।
क्या यह नीति व्यवहारिक है?
ट्रंप की यह नीति कई कारणों से अव्यवहारिक लगती है। सबसे पहले, वैश्विक सप्लाई चेन को पूरी तरह से अमेरिका में स्थानांतरित करना लगभग असंभव है। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में जटिल सप्लाई चेन हैं। इसमें विभिन्न देशों से कच्चे माल और अन्य चीजों की ज़रूरत होती है। अमेरिका में इन सभी संसाधनों को जुटाना और उत्पादन शुरू करना न केवल समय लेने वाला है, बल्कि लागत के मामले में भी मुश्किल खड़ी करने वाला है।
दूसरे, यह नीति उपभोक्ताओं को नुक़सान पहुँचा सकती है। आईफ़ोन की क़ीमतों में 25% की बढ़ोतरी से मांग कम हो सकती है, जिसका असर एप्पल की बिक्री और मुनाफे पर पड़ेगा। यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी नकारात्मक होगा, जो पहले से ही महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
तीसरे, यह नीति वैश्विक व्यापार युद्ध को बढ़ावा दे सकती है। भारत, चीन और अन्य देश इस तरह की नीतियों का जवाब अपने टैरिफ़ या प्रतिबंधों के साथ दे सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में और अधिक तनाव पैदा होगा।
ट्रंप की यह चेतावनी उनकी आर्थिक नीतियों की वजह से हो सकती है, लेकिन इसके कई ख़तरे भी हैं। यह नीति न केवल एप्पल और भारत जैसे देशों के लिए, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी नकारात्मक परिणाम ला सकती है। सवाल वही है कि क्या यह नीति वास्तव में अमेरिका को लाभ पहुंचाएगी, या यह केवल एक राजनैतिक बयानबाजी है?