अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शीर्ष सलाहकारों से कहा है कि वह ईरान पर हमले की योजना से सहमत हैं। लेकिन अभी तक अंतिम आदेश नहीं दिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप यह देखना चाहते हैं कि क्या ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम रोकता है या नहीं, उसके बाद ही कोई अगला कदम उठाया जाएगा। हालांकि ट्रंप यह भी कह रहे हैं कि वो क्या करेंगे, इसका पता एक सेकंड पहले लगेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कह रही है कि इस सप्ताह यूएस हमला कर सकता है। न्यू यॉर्क टाइम्स का कहना है कि हमला आसान नहीं है। इसलिए सोच विचार हो रहा है।
संभावित निशानों में ईरान की फोर्दो यूरेनियम संवर्धन केंद्र भी शामिल है, जो जमीन के काफी नीचे बना हुआ है और जिसे नष्ट करना बेहद कठिन माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, केवल बेहद शक्तिशाली बम ही इस स्थान को निशाना बना सकते हैं।
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उन्होंने हमले का निर्णय ले लिया है, तो उन्होंने जवाब दिया: “हो सकता है मैं करूं, हो सकता है न करूं।” उन्होंने आगे कहा: “अगला हफ्ता बहुत अहम होने वाला है, शायद एक हफ्ते से भी कम समय में।” ट्रंप ने फिर दोहराया कि ईरान को बिना किसी शर्त के अपना परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह छोड़ना होगा।
युद्धविराम की संभावना खारिज
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार बनाने से कुछ ही हफ्तों की दूरी पर था। उससे पहले इसराइल ने उस पर हमला शुरू किया। अब ट्रंप युद्धविराम नहीं, बल्कि “पूर्ण विजय” चाहते हैं। उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर कोई समझौता न करने की अपनी नीति को दोहराया।
जब उनसे ईरान की ईरान के फोर्दो सेंटर के बारे में पूछा गया, तो ट्रंप ने अमेरिका की “अतुलनीय सैन्य शक्ति” पर ज़ोर दिया, जो इस भूमिगत स्थल को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
ईरान की चेतावनी
इससे पहले ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि उनका देश कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा। उन्होंने अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि कोई सैन्य कार्रवाई की गई, तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। ईरान की सेना के चीफ जनरल, विदेश मंत्री, यूएन में ईरानी दूत ने एक स्वर में कहा कि ईरान ऑल आउट वॉर यानी पूर्ण युद्ध के लिए तैयार है।
मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य तैनाती बढ़ी
हाल के दिनों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपने सैन्य बलों की संख्या बढ़ा दी है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, तीसरा अमेरिकी नेवी डेस्ट्रॉयर अब पूर्वी भूमध्य सागर में पहुंच चुका है और एक अन्य एयरक्राफ्ट कैरियर समूह अरब सागर की ओर बढ़ रहा है।
पेंटागन का कहना है कि यह कदम सिर्फ रक्षा के लिए है, लेकिन इससे अमेरिका के पास यह विकल्प रहेगा कि वह इसराइल के साथ मिलकर ईरान पर हमला कर सके।
वहीं, ज़मीनी हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। एक मानवाधिकार समूह के अनुसार, हालिया हमलों में ईरान में 600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि ईरान के हमलों में इसराइल में 24 लोगों की जान गई है।