सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) पर छापेमारी के लिए कड़ी फटकार लगाई और कहा कि ईडी “सारी सीमाएँ लांघ रही है” और संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है। कोर्ट ने TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी, जिसमें कथित 1,000 करोड़ रुपये का घोटाला शामिल है।
भारत के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी के कार्यों पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने ईडी से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तमिलनाडु सरकार की ओर से दलील दी कि ईडी ने मार्च और 16 मई को छापेमारी के दौरान कई मोबाइल फोन जब्त किए और उनकी क्लोनिंग की, जो एक अत्यधिक दखल देने वाला कदम था।
ईडी ने तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC पर मार्च में और फिर 16 मई को छापेमारी की थी। इन छापों में TASMAC के प्रबंध निदेशक, आईएएस अधिकारी एस. विशाकन से 20 घंटे तक पूछताछ की गई। एजेंसी ने दावा किया कि TASMAC की दुकानों पर बोतलों की कीमतों में 10 से 30 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत थी। इसके अलावा, शराब की आपूर्ति, कर्मचारियों की नियुक्ति और बार लाइसेंस आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया।
ईडी ने अपनी जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत शुरू की थी, जो 2016 से 2021 के बीच भ्रष्टाचार निरोधक और सतर्कता निदेशालय (DVAC) द्वारा दर्ज FIRs पर आधारित थी। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि TASMAC के परिवहन टेंडर प्रक्रिया और बार लाइसेंस आवंटन में अनियमितताएँ पाई गईं।
तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के 23 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें ईडी को जांच की छूट दी गई थी। सरकार ने दावा किया कि ईडी की कार्रवाई “राजनीतिक प्रतिशोध” से प्रेरित है और यह संघीय ढांचे का उल्लंघन करती है। तमिलनाडु के उत्पाद शुल्क मंत्री एस. मुथुसामी ने भी आरोप लगाया कि ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अधिकारियों को परेशान किया।
मद्रास हाई कोर्ट ने पहले कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध “देश के लोगों के खिलाफ अपराध” है और TASMAC के खिलाफ प्रारंभिक आरोप गंभीर हैं, जिनकी गहन जांच की आवश्यकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए और इसे अति उत्साहपूर्ण करार दिया।
एक्स पर इस फैसले को लेकर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट के रुख का स्वागत किया। लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल ईडी की कार्रवाइयों पर एक बड़ा सवाल उठाता है, बल्कि यह केंद्र और राज्यों के बीच संघीय ढांचे के सम्मान की आवश्यकता को भी बताता है। बहरहाल, तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता है, क्योंकि DMK इसे केंद्र सरकार की ओर से “राजनीतिक प्रतिशोध” के रूप में पेश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम ईडी की शक्तियों और उनके उपयोग पर एक व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।