Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • भारत का यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जिसमें एक पूरा शहर बसा है, यूरोप की वेटिकन सिटी से भी विशाल है!
    • इसराइल-ईरान युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका? जानें क्या असर होगा
    • यूएस और ईरान के बीच अहम बैठक के संकेत, किसको तेहरान भेज रहे हैं ट्रम्प
    • हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस, मानो हिंदुस्तान की धरती पर आसमान का एक टुकड़ा उतर आया हो, लेकिन इसे बनवाने वाले नवाब को इसकी भव्यता ने कंगाल कर दिया
    • पीएम मोदी साइप्रस यूं ही नहीं गए थे, कुछ नतीजा निकलेगा कूटनीतिक मुहिम का?
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, दोपहर तक की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, सुबह तक की ख़बरें
    • बारिश, ब्रेक और बॉन्डिंग- मानसून माइक्रोकैशन से बदलती वीकेंड ट्रैवल की तस्वीर
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » नामी कॉलेजों पर सवर्णों का कब्ज़ा, ग़ायब हैं दलित-आदिवासी!
    भारत

    नामी कॉलेजों पर सवर्णों का कब्ज़ा, ग़ायब हैं दलित-आदिवासी!

    Janta YojanaBy Janta YojanaMarch 31, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    क्या बड़े प्राइवेट कॉलेज और विश्वविद्यालयों के दरवाजे केवल ऊंची जाति वालों के लिए हैं लोकसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट ने सभी बड़े-चमकदार नामों वाले कॉलेज और विश्वविद्यालयों की पोल खोल दी है।

    इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मणिपाल और सिम्बायोसिस जैसे भारत के टॉप 30 प्राइवेट विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों में केवल 5% दलित अथवा अनुसूचित जाति के हैं। अनुसूचित जनजाति समूह से आने वाले छात्रों की संख्या तो और कम, केवल 1% है। 

    इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। जैसे बीआईटी पिलानी जिसे देश के सबसे नामी तकनीकी संस्थानों में एक माना जाता है, वहाँ केवल ऊंची जातियों के ही छात्र पढ़ रहे हैं। एक भी छात्र एससी, एसटी या ओबीसी कैटेगरी का नहीं है। 

    वहीं मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन की बात करें तो वहां सिर्फ 0.46% एससी छात्र, 0.36% एसटी छात्र और 18% ओबीसी छात्र हैं। सस्त्रा, अमृता, और वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी जैसे बड़े संस्थानों में भी हाशिए के समुदायों से बहुत कम छात्र दिखते हैं। रिपोर्ट को लोकसभा में पेश करने वाली समिति ने बताया कि इस रिपोर्ट को 2022-23 के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण यानी AISHE के आकंडों के अनुसार तैयार किया गया है। इस सर्वे ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति पर भी रिपोर्ट जारी की है। 

    वहाँ भी आंकड़ा मायूस करने वाला ही मिलेगा। इन टॉप 30 प्राइवेट विश्वविद्यालयों में सिर्फ 4% शिक्षक अनुसूचित जाति से हैं। और अनुसूचित जनजाति से तो सिर्फ 0.46% प्रोफेसर हैं। वहीं, 30% शिक्षक ओबीसी समुदाय से हैं।

    हालांकि संसदीय समिति ने यह बात भी मानी है कि AISHE डेटा अभी भी पूरी तरह से सही नहीं है। उदाहरण के लिए, डेटा में अन्ना विश्वविद्यालय में केवल एक फैकल्टी सदस्य दर्ज है, जो कि स्पष्ट रूप से एक गलती है। समिति ने सिफारिश की कि AISHE को संस्थागत स्तर के बजाय व्यक्तिगत स्तर पर डेटा एकत्र करना चाहिए, जिससे डेटा की गुणवत्ता और सटीक तथा बेहतर होगी। 

    आंकड़ों पर बात करें तो दिसम्बर 2023 में शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट और सामने आई थी। इसके अनुसार पिछले कुछ सालों में कई हज़ार दलित और अनुसूचित जन जाति के छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ी थी।

    ये छात्र सरकार के बड़े कॉलेजों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ, आईआईटी और आईआईएम में पढ़ रहे थे। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2018 से 2023 तक अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के कुल 13,500 से अधिक छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी थी। 

    गौरतलब है कि वंचित समुदाय को उचित शिक्षा का मौका देने के लिए कई सरकारी पहल हुई है। जैसे कि ट्यूशन शुल्क में छूट, छात्रवृत्ति, कोचिंग योजनाएँ लागू की गई हैं। शिकायतों को सुलझाने के लिए भी सिस्टम तैयार किया गया है पर कई संस्थानों में इन दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है। जैसे कि IIT दिल्ली ने 2023 में अपना SC/ST प्रकोष्ठ स्थापित किया, UGC ने दस साल पहले ही ऐसा करने की गाइडलाइन ज़ारी की थी। 

    इस वक़्त जब कई दक्षिणपंथी दल और वैचारिकी वाले आरक्षण हटाने की बात कर रहे हैं, इन संख्याओं को देखकर कई सवाल उठते हैं। इन बड़े संस्थानों से क्यों गायब हैं दलित और आदिवासी समुदाय के छात्र। कुछ लोगों की दलील है कि इन संस्थानों की फीस बहुत ज़्यादा है, जिसकी वजह से भी छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाते हैं। 

    गौरतलब है कि कई राज्यों में आरक्षण लागू करने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई सख्त कानून नहीं बना है जो निजी विश्वविद्यालयों को अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को आरक्षण देने के लिए बाध्य करे।

    इसे देखते यही कहा जा सकता है कि जब तक निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण और आर्थिक सहायता की नीति को सख्ती से लागू नहीं किया जाएगा, तब तक भारत में शिक्षा का सही मायनों में लोकतंत्रीकरण संभव नहीं होगा।

    (रिपोर्ट: अणु शक्ति सिंह)

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleBharat Ka Itihas: सीनौली के रहस्य, भारत के प्राचीन इतिहास की अनमोल धरोहर
    Next Article लेखक रॉबर्ट कियोसाकी ने दी चेतावनी बोले – आ चुकी है दुनिया में मंदी?
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    इसराइल-ईरान युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका? जानें क्या असर होगा

    June 17, 2025

    यूएस और ईरान के बीच अहम बैठक के संकेत, किसको तेहरान भेज रहे हैं ट्रम्प

    June 17, 2025

    पीएम मोदी साइप्रस यूं ही नहीं गए थे, कुछ नतीजा निकलेगा कूटनीतिक मुहिम का?

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.