सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस सूर्यकांत अभी से ही सुर्खियों में आ गए हैं। उनसे जुड़ा एक गोपनीय ख़त सोशल मीडिया पर सामने आया है जो जस्टिस सूर्यकांत के ख़िलाफ़ है। इसमें जस्टिस सूर्यकांत पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वह ख़त सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आदर्श कुमार गोयल ने 12 जनवरी 2018 को तत्कालीन सीजेआई को लिखा था। तब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव था। पूर्व जज आदर्श कुमार गोयल ने जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति का विरोध किया था और उनके ख़िलाफ़ लगे कथित आरोपों का ज़िक्र करते हुए तत्कालीन सीजेआई के सामने अपनी असहमति जताई थी।
जस्टिस गोयल ने ख़त में क्या लिखा था, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर जस्टिस सूर्यकांत क्यों सुर्खियों में हैं। जस्टिस सूर्यकांत वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। उनको 24 नवंबर 2025 से भारत का 53वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाना है। उनकी नियुक्ति की अवधि 9 फरवरी 2027 तक होगी। इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनसे जुड़ा मामला शेयर किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील आशीष गोयल ने पूर्व जज आदर्श कुमार गोयल के ख़त को साझा किया है।
जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति को लेकर विवाद 2018 में हुआ था। 11 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस कांत को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। जब उनकी हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति पर विचार किया जा रहा था, तब जस्टिस गोयल ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी नियुक्ति के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी।
रिपोर्ट के अनुसार जज गोयल पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पहले काम कर चुके थे, अदालत की गतिविधियों को अच्छी तरह जानते थे और इसलिए जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति के लिए उनके विचार मांगे गए थे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस गोयल ने जस्टिस सूर्यकांत के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के कुछ आरोपों का हवाला देते हुए उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने सुझाव दिया था कि इन आरोपों की गहन जाँच की जानी चाहिए।
जस्टिस गोयल ने अपने पत्र में कहा था कि जस्टिस सूर्यकांत के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच होने तक यह नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश में जस्टिस एके मित्तल को नजरअंदाज किया गया था। जस्टिस मित्तल जस्टिस सूर्यकांत से वरिष्ठ जज थे।
रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गोयल ने अपने पत्र में लिखा, ‘मैंने 11 मार्च 2017 को अपनी राय दी थी, जिसमें मैंने सुझाव दिया था कि उस जज द्वारा अर्जित संपत्तियों का स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार की जाए। मैंने भ्रष्टाचार और जातिवाद से संबंधित अन्य शिकायतों के बारे में भी राय दी थी… मैंने 10 अप्रैल 2017 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश से प्राप्त पत्र में जस्टिस एके मित्तल को दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव पर अपनी राय दी थी।’ उन्होंने यह भी कहा था कि मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं कि सभी प्रासंगिक फ़ैक्टरों पर विचार करने के बाद जस्टिस सूर्यकांत अधिक उपयुक्त हैं।
जस्टिस गोयल की राय का कोई खास असर नहीं हुआ, और कॉलेजियम ने अपने शुरुआती फ़ैसले पर कायम रहते हुए 3 अक्टूबर 2018 को जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया। और बाद में 2019 में उनकी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की गई और नियुक्ति हो भी गई। जस्टिस गोयल द्वारा जस्टिस सूर्यकांत के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच की मांग कभी पूरी नहीं हुई, और यह विवाद दब गया।
जस्टिस गोयल द्वारा क़रीब सात साल पहले उनके खिलाफ की गई आपत्ति गंभीर सवाल उठाती है।