
Bihar Politics: बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता सम्राट चौधरी इन दिनों सियासी तूफ़ान के केंद्र में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा के कार्यक्रमों में प्रमुख स्थान पाने वाले चौधरी पर उनके विरोधी, ख़ासकर प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव ने फ़र्ज़ी डिग्रियों, नाम बदलने और संगीन आपराधिक मामलों को लेकर एक के बाद एक सनसनीखेज़ हमले किए हैं।
1. फ़र्ज़ी डिग्रियों और नाम बदलने का ‘महा-फ्रॉड’
सम्राट चौधरी की शैक्षणिक डिग्रियों और उनकी पहचान पर सबसे तीखे सवाल खड़े किए गए हैं, प्रशांत किशोर का दावा है कि ‘सम्राट कुमार मौर्य’ नाम से मैट्रिक की परीक्षा देने वाले चौधरी 234 अंक लाकर फेल हो गए थे। तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर दोनों ने आरोप लगाया कि 2005 के हलफनामे में खुद को सिर्फ़ सातवीं पास बताने वाले चौधरी ने अचानक बिना मैट्रिक पास किए कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी से डी.लिट और कामराज यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री कैसे हासिल कर ली। किशोर ने दावा किया कि चौधरी ने वोट बैंक को साधने के लिए बार-बार नाम बदले, सम्राट कुमार मौर्य से राकेश कुमार, राकेश कुमार चौधरी और अंत में सम्राट चौधरी।
2. तारापुर हत्याकांड और नाबालिग होने का दावा
सम्राट चौधरी पर सबसे गंभीर आरोप हत्या के मामलों से जुड़े हैं: तारापुर हत्याकांड (1995): प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि 1995 के तारापुर हत्याकांड में कुशवाहा समुदाय के 6-7 लोग मारे गए थे, जिसमें सम्राट चौधरी आरोपी थे। किशोर का आरोप है कि चौधरी ने खुद को नाबालिग साबित करने के लिए फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों (जन्मदिन 1 मई 1981) का इस्तेमाल किया और कोर्ट से रिहाई पाई। चौधरी 1998 में सदानंद सिंह हत्याकांड और शिल्पी जैन मर्डर केस में भी संदिग्ध अभियुक्तों में शामिल रहे हैं।
राजनीतिक साज़िश और आरोपों का खंडन
इन सभी आरोपों पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सख़्ती से पलटवार किया है, उन्होंने प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के आरोपों को “निराधार और गलत” बताया। चौधरी ने शिल्पी गौतम हत्याकांड पर कहा कि इसकी पूरी जाँच सीबीआई ने की है और उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि “जिस राकेश की बात की जा रही है, वह हाजीपुर का रहने वाला है।” उन्होंने 1995 के मामले पर कहा कि उन्हें और उनके परिवार के 22 सदस्यों को लालू यादव के निर्देश पर बेवजह जेल में डाला गया था। उन्होंने पलटवार करते हुए प्रशांत किशोर की कमाई (241 करोड़ रुपये) का हिसाब माँगा।
बीजेपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं सम्राट चौधरी?
सम्राट चौधरी, जो कुशवाहा समाज से आते हैं, बीजेपी के भविष्य का नेतृत्व माने जाते हैं। उनका आक्रामक अंदाज़ और नीतीश कुमार का मुखर विरोध उन्हें सुर्खियों में रखता है। वह कोइरी समुदाय (4.2% आबादी) से आते हैं। बीजेपी उन्हें कुर्मी-कोइरी वोटों को साधने की रणनीति के तहत ओबीसी नेता के रूप में पेश कर रही है। 2017 में बीजेपी में शामिल होने के महज़ छह सालों में वह प्रदेश अध्यक्ष से उपमुख्यमंत्री के पद तक पहुँचे। सत्ता के केंद्र में होने के कारण उन पर राजनीतिक हमले होना लाज़िमी है, लेकिन डिग्रियों और आपराधिक इतिहास से जुड़े ये गंभीर आरोप आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की साख के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।