
Prashant Kishor Bihar Politics: बिहार की सियासत में इस वक्त चुनावी माहौल गर्म है, हर नेता अपनी-अपनी सीट को लेकर रणनीति बुन रहा है, लेकिन इसी बीच जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने ऐसा बयान दे दिया जिसने सबका ध्यान खींच लिया। जहां बाकी नेता टिकट पाने की जुगत में हैं, वहीं प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि “मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा।”
संगठन को मजबूत करने में जुटे PK
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका मकसद कुर्सी पाना नहीं, बल्कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी में जो काम कर रहा हूं, वही करता रहूंगा। अगर मैं चुनाव लड़ने जाऊंगा तो दो से पांच दिन का नुकसान होगा और इससे जनसुराज के कई प्रत्याशियों को नुकसान हो सकता है।”
पीके का मानना है कि इस समय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ज्यादा जरूरत है सामूहिक मजबूती की। उनका कहना था कि पार्टी हित सर्वोपरि है, इसलिए उन्होंने चुनावी मैदान में उतरने के बजाय संगठन को ही प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
करगहर और राघोपुर से थी उम्मीद
राजनीतिक हलकों में पहले कयास लगाए जा रहे थे कि प्रशांत किशोर रोहतास जिले की करगहर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, जो उनका जन्मस्थान भी है। लेकिन जनसुराज ने यहां से भोजपुरी गायक रितेश रंजन पांडेय को प्रत्याशी बना दिया।
इसके बाद अटकलें राघोपुर सीट को लेकर तेज हुईं। यह वही सीट है जहां से तेजस्वी यादव चुनाव लड़ते हैं। माना जा रहा था कि किशोर यहां से सीधे मुकाबले में उतर सकते हैं, लेकिन पार्टी ने इस सीट से चंचल सिंह को टिकट दे दिया।
बिना गठबंधन, पूरे दमखम से मैदान में
जनसुराज पार्टी ने पहले ही एलान कर दिया है कि वह बिना किसी गठबंधन के बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्रशांत किशोर का यह कदम स्पष्ट करता है कि वह राजनीति में सिर्फ चेहरा नहीं, बल्कि एक विचार बनना चाहते हैं। उनका संदेश साफ है, “नेता वही नहीं जो वोट मांगे, बल्कि वो जो लोगों के बीच रहकर परिवर्तन की राह बनाए।”
बिहार के इस चुनावी समर में जहां हर कोई जीत की रणनीति बना रहा है, वहीं प्रशांत किशोर का यह अलग रास्ता उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करता है।