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    Home » बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पोक्सो में यौन उत्पीड़न का केस बंद क्यों?
    भारत

    बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पोक्सो में यौन उत्पीड़न का केस बंद क्यों?

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 26, 2025No Comments5 Mins Read
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    भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न का केस बंद कर दिया गया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उनको यह राहत तब दी जब दिल्ली पुलिस ने केस को बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की। यह मामला एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर आधारित था, जिसे प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस यानी पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। इस फ़ैसले ने न केवल क़ानूनी हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। 

    विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे देश के शीर्ष पहलवानों ने 2023 में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ दिल्ली में महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया। इन पहलवानों ने आरोप लगाया था कि बृजभूषण ने एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दो अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की थीं। पहली एफ़आईआर छह महिला पहलवानों की शिकायत पर आधारित थी जिसमें यौन उत्पीड़न और पीछा करने के आरोप थे। जबकि दूसरी एफ़आईआर एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।

    दिल्ली पुलिस ने पोक्सो मामले को बंद करने के लिए जो रिपोर्ट दाखिल उसमें कहा गया कि कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नाबालिग पहलवान के पिता ने स्वीकार किया कि उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की थी, क्योंकि उन्हें अपनी बेटी के साथ कथित अन्याय का बदला लेना था।

    पटियाला हाउस कोर्ट ने 26 मई 2025 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गोमती मनोचा की अध्यक्षता में केस बंद करने की दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह फ़ैसला नाबालिग पहलवान और उसके पिता द्वारा अपनी संतुष्टि जताने और केस बंद करने की रिपोर्ट का विरोध न करने के आधार पर लिया। रिपोर्टों के अनुसार 1 अगस्त 2023 को इन-चैंबर कार्यवाही के दौरान नाबालिग ने कोर्ट को बताया था कि वह दिल्ली पुलिस की जांच से संतुष्ट है और उसने अपनी पहले की शिकायत को वापस ले लिया। इसके अलावा नाबालिग ने धारा 164 के तहत कोर्ट के समक्ष दूसरा बयान दर्ज किया, जिसमें उसने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का कोई आरोप नहीं लगाया।

    इस मामले में उनके सहयोगी, पूर्व डब्ल्यूएफआई सहायक सचिव विनोद तोमर पर भी आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया है।

    बहरहाल, पोक्सो केस को बंद करने के इस फ़ैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस फ़ैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ यूजरों ने इसे बृजभूषण के लिए बड़ी राहत बताया, जबकि अन्य ने दिल्ली पुलिस की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, ‘नाबालिग और उसके पिता ने बयान वापस ले लिया, लेकिन क्या यह दबाव में हुआ? यह सवाल बना रहेगा।’ वहीं, कुछ ने इसे ‘न्याय की जीत’ करार दिया, यह दावा करते हुए कि बृजभूषण के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं थे।

    यह मामला कई कानूनी और नैतिक सवाल उठाता है। नाबालिग के पिता द्वारा अपनी शिकायत को “झूठा” स्वीकार करना और बयान वापस लेना क्या वास्तव में स्वेच्छा से हुआ, या इसके पीछे कोई दबाव था? दिल्ली पुलिस की केस बंद करने की रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत न मिलने का दावा क्या इस मामले की गंभीरता को कम करता है, खासकर तब जब देश के शीर्ष पहलवानों ने बृजभूषण के ख़िलाफ़ संगठित विरोध प्रदर्शन किया था?

    पोक्सो एक्ट के तहत न्यूनतम तीन साल की सजा का प्रावधान है, और इस तरह के मामलों में सबूतों की कमी का हवाला देकर केस बंद करने की रिपोर्ट स्वीकार करना संवेदनशील मामलों में जांच की गहराई पर सवाल उठाता है।

    इस मामले ने भारतीय कुश्ती को गहरे रूप से प्रभावित किया है। डब्ल्यूएफआई को दिसंबर 2023 में खेल मंत्रालय द्वारा निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि यह बृजभूषण के आवास से संचालित हो रहा था। हालांकि, मार्च 2025 में इस निलंबन को हटा लिया गया, जिसे बृजभूषण ने 99.9% लोगों के लिए खुशी की बात बताया। लेकिन साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसे शीर्ष पहलवानों ने इस फ़ैसले की आलोचना की और आरोप लगाया कि नए अध्यक्ष संजय सिंह बृजभूषण के क़रीबी सहयोगी हैं।

    यह फैसला उन पहलवानों के लिए निराशाजनक हो सकता है, जिन्होंने बृजभूषण के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी। साक्षी मलिक ने पहले कहा था कि वे निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद करती हैं।

    दिल्ली कोर्ट का यह फैसला बृजभूषण शरण सिंह के लिए एक कानूनी राहत है, लेकिन यह भारतीय कुश्ती और सामाजिक न्याय की दृष्टि से कई सवाल छोड़ गया है। क्या यह फैसला वास्तव में सच को सामने लाता है, या यह ताक़तवर लोगों के प्रभाव का नतीजा है? क्या नाबालिग की शिकायत वापसी स्वैच्छिक थी, या इसके पीछे कोई दबाव था? इन सवालों के जवाब नहीं मिलते दिखते हैं। हालांकि, यह साफ़ है कि बृजभूषण के ख़िलाफ़ दूसरा यौन उत्पीड़न मामला अभी भी राउज एवेन्यू कोर्ट में चल रहा है, और इसका परिणाम इस पूरे मामले को नई दिशा दे सकता है।

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