
भारत और पाकिस्तान की सरहदें जब गुरुवार रात हमलों और धमाकों के शोर से गूंज रही थीं तो ड्रोन हमलों का शोर था। दोनों देशों में स्थानीय लोगों से लेकर सैन्य अधिकारी तक लगातार ड्रोन हमले के दावे करते रहे। हालाँकि, मिसाइल हमले की भी ख़बरें आईं, लेकिन ज़्यादातर ड्रोन से हमले की ख़बरें ही आती रहीं। पाकिस्तान ने लगातार ड्रोन से हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने उन्हें नाकाम कर दिया। भारत ने ड्रोन से हमले किए और पाकिस्तान ने भी माना कि उनके ठिकानों पर हमले हुए हैं। इस बीच भारत ने लाहौर में पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया।
तो सवाल है कि ड्रोन क्या है? डिफेंस में इसका किस किस तरह इस्तेमाल होता है? ड्रोन हमला क्या है? क्या यह रडार से बच सकता है? ड्रोन के फायदे और नुक़सान क्या हैं? आइए जानते हैं कि आख़िर ड्रोन से क्या-क्या संभव है।
ड्रोन क्या है?
ड्रोन आम तौर पर मानव रहित हवाई वाहन यानी यूएवी है। यह एक ऐसा विमान है जिसमें कोई मानव पायलट मौजूद नहीं होता। इसे रिमोट कंट्रोल या ऑटोनॉमस सिस्टम के ज़रिए चलाया जाता है। ड्रोन कई तरह के होते हैं, जो सैन्य, वाणिज्यिक, कृषि और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं। सैन्य संदर्भ में ड्रोन का इस्तेमाल मुख्य रूप से निगरानी, टोही और हमले के लिए होता है।
डिफेंस में ड्रोन का इस्तेमाल
सैन्य क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल कई तरह से होता है-
निगरानी और टोही: ड्रोन दुश्मन के क्षेत्र में गतिविधियों की निगरानी और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इनमें हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे, सेंसर, और रडार लगे होते हैं। मिसाल के तौर पर भारत का सर्चर एमके-II ड्रोन हिमालय जैसे ऊँचे क्षेत्रों में निगरानी के लिए उपयुक्त है।
टार्गेट ढूंढना: ड्रोन टार्गेट की सटीक स्थिति का पता लगाकर अन्य हथियार प्रणालियों को निर्देशित करते हैं।
हमले करना: एलएमएस यानी Loitering Munition System जैसे कुछ ड्रोन विस्फोटक ले जा सकते हैं और टार्गेट पर सीधे हमला करते हैं। भारत का बाज़ अटैक ड्रोन रॉकेट लांचर फायर करने में सक्षम है।
रसद सहायता: ड्रोन दवाइयां या गोला-बारूद जैसे सैन्य सामान दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
स्वार्म ड्रोन: कई ड्रोन एक साथ हमला करते हैं, जिससे दुश्मन की रक्षा प्रणाली को भेदना आसान हो जाता है।
ड्रोन हमला क्या है?
ड्रोन हमला एक ऐसी सैन्य कार्रवाई है जिसमें ड्रोन का उपयोग टार्गेट को तबाह करने के लिए किया जाता है। ये हमले दो प्रकार के हो सकते हैं। ड्रोन मिसाइल या बम के साथ टार्गेट पर हमला करते हैं। ड्रोन स्वयं विस्फोटक के साथ टार्गेट पर टकराकर तबाह हो जाता है। इसे “सुसाइड ड्रोन” भी कहते हैं।
क्या ड्रोन रडार से बच सकता है?
हाँ, कुछ आधुनिक ड्रोन रडार से बचने में सक्षम हैं। इसके लिए कुछ तकनीकों का इस्तेमाल होता है। ऐसी तकनीक वाली भारत की ब्रह्मोस-NG मिसाइल है जो कम रडार सिग्नेचर वाली है।
ड्रोन जमीन के क़रीब उड़कर रडार की पकड़ से बच सकते हैं। ड्रोन रडार सिग्नल को बाधित करने वाले उपकरणों से लैस हो सकते हैं। कई ड्रोन एक साथ हमला करते हैं, जिससे रडार सिस्टम को भ्रमित करना आसान हो जाता है।
हालाँकि, भारत का एस-400 या लेजर-आधारित DEW जैसे उन्नत रडार सिस्टम ड्रोन को आसानी से पकड़ और तबाह कर सकते हैं।
ड्रोन के फायदे
सैनिकों को खतरनाक क्षेत्रों में भेजने की जरूरत नहीं पड़ती। ड्रोन सटीक हमले और निगरानी में सक्षम हैं। पारंपरिक विमानों या मिसाइलों की तुलना में ड्रोन की लागत कम होती है। ड्रोन को निगरानी, हमले, और रसद जैसे कई कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है। सर्चर एमके II जैसे कुछ ड्रोन 16 घंटे तक हवा में रह सकते हैं।
ड्रोन में कमियाँ
उन्नत डिफेंस सिस्टम ड्रोन को आसानी से तबाह कर सकते हैं। ड्रोन बड़े हथियार या भारी सामान ले जाने में सक्षम नहीं होते। ड्रोन रिमोट कंट्रोल पर निर्भर होते हैं, और सिग्नल जैमिंग से प्रभावित हो सकते हैं। ड्रोन हमलों से नागरिकों को नुकसान होने की आशंका रहती है। ड्रोन संचालन के लिए विशेष प्रशिक्षण और रखरखाव की जरूरत होती है।
ड्रोन की लागत क्या आती है?
ड्रोन की लागत उनके प्रकार और उपयोग पर निर्भर करती है। फोटोग्राफी और मनोरंजन के लिए 10,000 से 1 लाख रुपये तक में ड्रोन मिल सकते हैं। कृषि में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन 2 लाख से 10 लाख रुपये तक में मिल सकते हैं।
सेना में इस्तेमाल होने वाले छोटे ड्रोन यानी एलएमएस ड्रोन 10-50 लाख रुपये में मिल सकते हैं। मध्यम ड्रोन (रुस्तम-2) 50 करोड़ से 100 करोड़ रुपये और उन्नत ड्रोन (MQ-9 रीपर जैसा) 100 करोड़ रुपये से अधिक में मिल सकता है।
भारत की ताक़त
भारत ने स्वदेशी ड्रोन विकास यानी डीआरडीओ- बाज़ और AI-संचालित स्वार्म ड्रोन में भारी निवेश किया है। एस-400 और लेजर DEW जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम भारत को रक्षा में बढ़त देते हैं। भारत का ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले का उदाहरण है।
पाकिस्तान की स्थिति
पाकिस्तान मुख्य रूप से चीनी ड्रोन और तकनीक पर निर्भर है। इसकी ड्रोन क्षमता भारत की तुलना में सीमित है और HQ-9BE जैसे सिस्टम भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को रोकने में असमर्थ हैं।
ड्रोन आधुनिक युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं, जो निगरानी, हमले, और रसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत ने ड्रोन तकनीक और एंटी-ड्रोन सिस्टम में पाकिस्तान की तुलना में काफी प्रगति की है, जिससे उसे रणनीतिक बढ़त मिलती है। हालांकि, ड्रोन की सीमाएं, जैसे रडार और जैमिंग का खतरा, इसे अजेय नहीं बनातीं। भविष्य में AI और स्वार्म तकनीक ड्रोन युद्ध को और घातक बना सकती है।


