डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पाक तनाव और संघर्षविराम में इतना इंटरेस्ट क्यों लिया? क्या इस वजह से कि ट्र्ंप के परिवार का पाकिस्तान में बहुत कुछ दाँव पर लगा है और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के साथ व्यापारिक संबंध है? ख़बर है कि ट्रंप के परिवार की एक ऐसी कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी है जिसने पाकिस्तान क्रिप्टोकरेंसी काउंसिल से सौदा किया है। इस सौदे की क्या अहमियत है, यह इससे समझा जा सकता है कि सौदे की बातचीत करने पहुँची उस कंपनी की टीम का खुद पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने न सिर्फ़ व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया था, बल्कि उनकी शहबाज़ शरीफ़ के साथ बैठक भी कराई थी। रिपोर्टों में ऐसे ही ट्रंप के क़रीबियों के और भी बड़े व्यापारिक हित की ख़बरें सामने आई हैं। ये घटनाक्रम भारत-पाक तनाव से पहले के हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई के बाद बढ़ गया। और इसी के साथ वैश्विक कूटनीति में एक अप्रत्याशित मोड़ आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक तनाव को शांत करने और युद्धविराम की घोषणा करने में सक्रिय भूमिका निभाने का दावा किया।
डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया कि उनकी मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान युद्धविराम के लिए सहमत हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में रात भर एक लंबी और गहन बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ने तत्काल और पूर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई है। मैं दोनों देशों के मजबूत नेतृत्व को उनकी समझदारी और साहस के लिए बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस ऐतिहासिक निर्णय को लिया। यह अनगिनत ज़िंदगियों को बचा सकता है और विनाश को रोक सकता है। यह दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा क़दम है। संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर शांति के लिए काम करना जारी रखेगा। एक बार फिर, शांति की जीत हुई है!’
हालाँकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ़ किया कि युद्धविराम में अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष मध्यस्थता नहीं थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि ट्रंप ने इस क्षेत्रीय संघर्ष में इतनी गहरी दिलचस्पी क्यों दिखाई? उन्होंने इस तरह के दावे कैसे किए? यह बयान ट्रंप के दावों पर सवाल उठाता है और उनके इस सक्रिय हस्तक्षेप के पीछे के मक़सद को जाँच के दायरे में लाता है।
ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम?
हाल के खुलासों ने ट्रंप के परिवार और उनकी कंपनियों के पाकिस्तान में व्यापारिक हितों को उजागर किया है। पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और ट्रंप परिवार से जुड़ी एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी के बीच एक बड़े सौदे की ख़बरें सामने आई हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पहलगाम हमले से ठीक पहले ट्रंप परिवार की एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी ने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के साथ एक समझौता किया। हाल ही में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट दी कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप का भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष में मध्यस्थ बनने का प्रयास उस सौदे पर ध्यान खींच रहा है, जो हाल ही में पाकिस्तान ने वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ किया।
यह सौदा जल्दबाज़ी में गठित पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के बीच हुआ। पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने पिछले महीने बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है ताकि इस्लामाबाद को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाया जा सके। बिनांस दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज है।
हालाँकि क्रिप्टो काउंसिल कुछ ही दिनों पहले अस्तित्व में आई थी, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने अपने प्रमुख प्रतिनिधियों को इस्लामाबाद भेजा। इन प्रतिनिधियों में ट्रंप के मित्र स्टीव विटकॉफ के बेटे ज़ैकरी विटकॉफ शामिल थे। इस्लामाबाद पहुँचने पर उनकी मेजबानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और शरीफ ने की।
वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के शेयरहोल्डरों में ट्रंप के दो बेटे, एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, साथ ही उनके दामाद जेरेड कुशनर शामिल हैं। कुशनर व्हाइट हाउस से अपने संबंधों का लाभ उठाने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
पाकिस्तान के काउंसिल द्वारा बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को सलाहकार नियुक्त किए जाने में ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के कॉलेज के दोस्त जेंट्री बीच की भी भूमिका बताई जा रही है।
असीम मुनीर और शहबाज शरीफ की भूमिका
पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दोनों कथित तौर पर इस सौदे में शामिल थे। मुनीर ने अमेरिकी बिजनेस प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और शरीफ के साथ उनकी चर्चा को आसान बनाया।
यह सौदा भारत और अमेरिका दोनों में जाँच के घेरे में आ गया है, क्योंकि यह पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले हुआ।
यह संदेह पैदा करता है कि क्या ट्रंप का भारत-पाक तनाव में हस्तक्षेप केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि उनके परिवार के व्यापारिक हितों को सुरक्षित करने का प्रयास था।
ट्रंप के दावों और उनके परिवार के पाकिस्तान में व्यापारिक हितों के बीच क्रोनोलॉजी ने कई सवाल खड़े किए हैं।
ट्रंप ने भारत-पाक युद्धविराम को अपनी मध्यस्थता का परिणाम बताया, लेकिन भारत ने इसे खारिज कर दिया। यह संकेत देता है कि ट्रंप ने अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया हो सकता है, संभवतः अपने व्यापारिक हितों को मजबूत करने या अपनी छवि को चमकाने के लिए। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह दावा पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का एक तरीक़ा हो सकता है, खासकर तब जब उनकी कंपनी के व्यापारिक हित दांव पर हों।
पहलगाम हमले के बाद ट्रंप का भारत के प्रति सहानुभूति दिखाना और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक सौदों में शामिल होना, उनके इरादों पर सवाल उठाता है।
ट्रंप की पाकिस्तान के प्रति नरम नीति ने भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित किया है। यह भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है, खासकर तब जब ट्रंप के परिवार के व्यापारिक हित भारत के विरोधी देशों के साथ जुड़े हों। पाकिस्तान को इस सौदे से आर्थिक और कूटनीतिक लाभ हो सकता है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।