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    Home » मणिपुर में राष्ट्रपति शासन; बहुमत होते हुए बीजेपी क्यों नहीं बना पाई सरकार?
    भारत

    मणिपुर में राष्ट्रपति शासन; बहुमत होते हुए बीजेपी क्यों नहीं बना पाई सरकार?

    By February 13, 2025No Comments5 Mins Read
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    मणिपुर में आख़िरकार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। हिंसा प्रभावित मणिपुर में विपक्षी कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की धमकी के चलते मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी के पास बहुमत होने के बावजूद वह मुख्यमंत्री के लिए नये नाम घोषित नहीं कर सकी। तो सवाल है कि बीजेपी ने ऐसा क्यों किया 

    मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तीन दिन बाद भी एन बीरेन सिंह के उत्तराधिकारी पर कोई सहमति नहीं बन पाई। संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार राज्य विधानसभाओं को अपनी अंतिम बैठक के छह महीने के भीतर बुलाना अनिवार्य है। मणिपुर में पिछला विधानसभा सत्र 12 अगस्त, 2024 को आयोजित किया गया था। इस वजह से बुधवार को इसकी अगली बैठक की समय सीमा तय थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। 

    राष्ट्रपति शासन की यह घोषणा तब हुई है जब लगातार ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि मणिपुर में सीएम पद के लिए बीजेपी में इसलिए सहमति नहीं बन पा रही है क्योंकि पार्टी में अंदर ही अंदर असंतोष है।

    माना जा रहा है कि पार्टी में इसी असंतोष की वजह से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को रविवार शाम को राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंपना पड़ा था। सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद बीजेपी के पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन ऐसी संभावना थी कि राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना कर सकते थे। रिपोर्टं हैं कि पार्टी में अपने ख़िलाफ़ बने माहौल को देखते हुए संभावित संकट को टालने के लिए ही बीरेन सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से विचार-विमर्श करने के बाद पद छोड़ दिया। 

    राष्ट्रपति शासन शुरू में चार से पांच महीने के लिए लगाया जा सकता है और सीएम के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार मिलने तक इसे बढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति शासन को हर बार छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।

    कुछ दिन पहले ही बीजेपी के एक विधायक ने कहा था कि राष्ट्रपति शासन को विस्तार देने से बीजेपी की छवि ख़राब होगी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार विधायक ने कहा था, ‘विधानसभा में हमारे 60 में से 37 विधायक हैं। हमारे सहयोगी एनपीएफ़ और एनपीपी के पास कुल 11 विधायक हैं। हमारे पास पूर्ण बहुमत है। सरकार को राज्य भाजपा को चलाना है। इस लिहाज से न तो कोई राजनीतिक संकट है और न ही कानून-व्यवस्था की स्थिति पिछले कई महीनों से बदतर है।’

    बीरेन सिंह ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद दिया। हिंसा के लिए उनकी लगातार आलोचना होती रही। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग करते रहे थे।

    लेकिन तमाम आलोचनाओं के बाद वह पद पर बने रहे। उनका इस्तीफ़ा तब आया जब राज्य बीजेपी में उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष है और कांग्रेस उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी।

    बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को कहा था, ‘कांग्रेस कल (सोमवार को) मणिपुर विधानसभा में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। माहौल को भांपते हुए मणिपुर के सीएम ने अभी-अभी इस्तीफा दिया है। यह एक ऐसी मांग थी जो कांग्रेस मई 2023 की शुरुआत से ही कर रही थी, जब मणिपुर में उथल-पुथल मची थी। सीएम का इस्तीफा देर से हुआ। मणिपुर के लोग अब हमारे फ्रीक्वेंट फ़्लायर पीएम की यात्रा का इंतज़ार कर रहे हैं, जो अब फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर हैं और जिन्हें पिछले बीस महीनों में मणिपुर जाने के लिए न तो समय मिला है और न ही इच्छा हुई है।’ 

    राज्य में दो साल पहले भड़की थी हिंसा

    2023 में 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़की थी। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव हिंसा में बदल गया था। शुरू के तीन दिनों में कम से कम 52 लोगों की जान चली गई थी। तब मणिपुर में पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और नग्न परेड कराने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। महिलाओं का एक वीडियो 2023 के जुलाई महीने में वायरल हुआ था। एक खेत की ओर जाते समय पुरुषों को महिलाओं को घसीटते और उनका यौन उत्पीड़न करते देखा गया था।

    तब से जारी हिंसा के दौरान कम से कम 226 लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 20 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल हैं। करीब 1500 घायल हुए हैं। वहीं 60 हजार लोग इस हिंसा के कारण राज्य के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। इसके साथ ही 13247 आवास, दुकान, समेत अन्य संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। मारे गए लोगों के अलावा दो दर्जन से ज़्यादा लोग लापता हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि या तो उनका अपहरण हुआ है या उनकी हत्या कर दी गई है।

    (इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

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