महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को महायुति सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। यह कदम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जातिगत समीकरणों को संतुलित करने और गठबंधन की एकता को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों में छगन भुजबल के एनसीपी और महायुति गठबंधन के प्रति असंतोष की खबरें सुर्खियों में थीं। दिसंबर 2024 में मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें शामिल न किए जाने के बाद भुजबल ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था, “क्या मैं कोई खिलौना हूं?” और एनसीपी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। इसके अलावा, उनके द्वारा राज्यसभा सीट की पेशकश को ठुकराने की खबरें भी सामने आई थीं, जिसने उनके संभावित बगावत की अटकलों को और हवा दी थी।
भुजबल, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के प्रमुख नेता हैं, महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी नाराजगी को महायुति के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा था, क्योंकि ओबीसी मतदाता गठबंधन के लिए अहम हैं।
20 मई 2025 को, छगन भुजबल ने मुंबई के राजभवन में आयोजित एक समारोह में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। माना जा रहा है कि उन्हें खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय का प्रभार सौंपा जाएगा, जो धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद खाली हुआ था।
इस कदम को महायुति सरकार की ओर से भुजबल की नाराजगी को शांत करने और ओबीसी समुदाय के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने भुजबल की मंत्रिमंडल में वापसी का स्वागत करते हुए इसे सरकार के लिए एक मजबूती बताया।
महायुति गठबंधन, जिसमें बीजेपी, एनसीपी (अजित पवार गुट), और शिवसेना शामिल हैं, ने हाल के महीनों में जातिगत समीकरणों को संतुलित करने पर विशेष ध्यान दिया है। भुजबल की नियुक्ति को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि वे ओबीसी समुदाय के बीच व्यापक प्रभाव रखते हैं। इसके अलावा, यह कदम शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के प्रभाव को कम करने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है, जो ओबीसी और मराठा मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
छगन भुजबल का राजनीतिक सफर उल्लेखनीय रहा है। एक नगरसेवक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले भुजबल ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख स्थान बनाया है। वे पहले शिवसेना में थे, लेकिन बाद में एनसीपी में शामिल हो गए। उनकी संगठनात्मक क्षमता और ओबीसी समुदाय के बीच लोकप्रियता ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता बनाया है।
छगन भुजबल की मंत्रिमंडल में वापसी न केवल उनकी नाराजगी को शांत करने का प्रयास है, बल्कि महायुति की ओर से जातिगत और राजनीतिक समीकरणों को साधने की रणनीति का भी हिस्सा है। यह कदम गठबंधन को मजबूत करने और आगामी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है।