
महाराष्ट्र की महायुति सरकार की महत्वाकांक्षी माझी लाडकी बहिन योजना फिर विवाद शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने स्वीकार किया कि इस योजना के तहत सभी महिला आवेदकों को बिना उचित जांच के लाभ देना एक “बड़ी गलती” थी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले समय की कमी और दबाव के कारण उचित जांच न कर पाने की वजह से यह हुआ। इस कबूलनामे ने विपक्ष, विशेष रूप से शिवसेना (यूबीटी), को सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। साथ ही, सरकार के मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयानों ने महायुति गठबंधन में आपसी तालमेल की कमी को उजागर किया है।
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना को अगस्त 2024 में शुरू किया गया था, जिसके तहत 21 से 65 वर्ष की आयु वाली उन महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक सहायता प्रदान की जाती है, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। इस योजना का उद्देश्य गरीब महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था। हालांकि, अजित पवार ने स्वीकार किया कि समय की कमी के कारण सभी आवेदकों की पात्रता की जांच नहीं हो सकी, जिसके परिणामस्वरूप 2,200 से अधिक सरकारी कर्मचारी महिलाओं सहित कई अपात्र महिलाओं को भी लाभ मिल गया। पिछले विधानसभा चुनाव के मौके पर महायुति ने महिलाओं को इस योजना के तहत 2100 रुपये हर महीने देने की घोषणा की थी। लेकिन वो वादा कभी पूरा नहीं हुआ। अब 1500 रुपये देने में ही महायुति सरकार को पसीने आ रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अजित पवार, जो राज्य के वित्त मंत्री भी हैं, ने कहा कि विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले समय की कमी के कारण योजना के तहत सभी आवेदकों को लाभ दे दिया गया। उन्होंने कहा, “हमने सभी महिलाओं को वित्तीय लाभ देने की गलती की। उस समय चुनाव दो-तीन महीने में होने वाले थे।” पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले से बांटा गया पैसा वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन भविष्य में सख्त जांच के बाद केवल पात्र महिलाओं को ही लाभ दिया जाएगा।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सोमवार को अजित पवार के इस बयान को “चुनावी रिश्वत” करार देते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला। राउत ने पवार के इस्तीफे की मांग की और आरोप लगाया कि इस योजना के जरिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश की गई। विपक्ष का कहना है कि यह योजना महायुति सरकार की ओर से वोटरों को लुभाने का एक हथकंडा थी।
मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयान
महायुति सरकार के मंत्रियों के बयानों से योजना को लेकर गठबंधन में मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं। सामाजिक न्याय मंत्री संजय श्रीसात ने कहा कि योजना के तहत मासिक सहायता को 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करना “बेहद मुश्किल” है और यह राशि देना संभव नहीं है। उन्होंने वित्त विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि विभाग ने योजना के लिए आवंटित धन को अन्य योजनाओं में डायवर्ट कर दिया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने पुष्टि की कि 2,289 अपात्र महिला आवेदकों के नाम लाभार्थी सूची से हटा दिए गए हैं, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
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इसके विपरीत, अजित पवार ने पहले 1,500 रुपये को बढ़ाकर 2,100 रुपये करने की घोषणा की थी, जिस पर बीजेपी ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। हालांकि, अब जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं, योजना को लेकर वित्तीय दबाव का हवाला देकर इसे सीमित करने की कोशिशें हो रही हैं।
महायुति सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले इस योजना को “गेमचेंजर” बताते हुए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। लेकिन अब वित्तीय दबाव के कारण योजना को लेकर असमंजस की स्थिति है। 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए आवंटन को 46,000 करोड़ रुपये से घटाकर 36,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिसे विपक्ष ने सरकार की “वादाखिलाफी” करार दिया। विपक्षी नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं किया।
कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महायुति ने वोट हासिल करने के लिए महिलाओं को गुमराह किया और अब वादों से मुकर रही है।
महायुति में मतभेद
लाडकी बहिन योजना को लेकर महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना (शिंदे), और एनसीपी (अजित पवार)) में आपसी तालमेल की कमी स्पष्ट है। पहले, शिवसेना के मंत्री शंभूराज देसाई ने अजित पवार पर योजना के प्रचार में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम हटाने का आरोप लगाया था। अब संजय श्रीसात के बयान और अजित पवार के कबूलनामे ने गठबंधन के भीतर तनाव को और बढ़ा दिया है।
बहरहाल, सरकार ने स्पष्ट किया है कि योजना बंद नहीं होगी, लेकिन सख्त जांच के बाद केवल पात्र महिलाओं को ही लाभ मिलेगा। अजित पवार ने अपात्र लाभार्थियों, विशेष रूप से 2.5 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाली महिलाओं, से स्वेच्छा से योजना से बाहर होने की अपील की है।
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विपक्ष ने इस योजना को “चुनावी जुमला” करार दिया है और दावा किया है कि सरकार ने वोट हासिल करने के लिए इसका दुरुपयोग किया।
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना, जो महायुति सरकार की महत्वपूर्ण पहल थी, अब विवादों के घेरे में है। अजित पवार का कबूलनामा, मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयान, और वित्तीय दबाव ने इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। महायुति गठबंधन में आपसी तालमेल की कमी और विपक्ष के तीखे हमलों ने सरकार की स्थिति को और कमजोर किया है।
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