राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने दावा किया कि एक शिलालेख पर गलत लिखा था कि अकबर की सेना ने हल्दीघाटी का युद्ध जीता था लेकिन हमने उसे बदलवा दिया है। हमने शिलालेख पर लिखवा दिया है कि महाराणा प्रताप ने बड़ी बहादुरी के साथ युद्ध लड़ा और प्रताप की वीरता अमर रहे । हालांकि अब भी ये शिलालेख इस बात पर मौन है कि हल्दीघाटी का युद्ध किसने जीता। लेकिन दीया कुमारी इस मामले को इस अंदाज में पेश कर रही हैं जैसे उन्होंने विजेता के तौर पर महाराणा प्रताप का नाम घोषित कर दिया हो ।
सन् 1576 का हल्दीघाटी का युद्ध राजस्थान के इतिहास का एक बहुत बड़ा और विवादित हिस्सा है। यह युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था। लेकिन इस युद्ध का नतीजा क्या था, इस पर लोग अलग-अलग बातें करते हैं। और आज भी ये मुद्दा विवाद का हिस्सा है । मुगल इतिहासकार कहते हैं कि अकबर की सेना ने हल्दीघाटी का युद्ध जीता, जबकि राजपूतों की कहानियां महाराणा प्रताप की वीरता और उनके हार न मानने वाले जज्बे की तारीफ करती हैं। और दावा करती हैं कि युद्ध तो महाराणा प्रताप ने ही जीता था ।
अब राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी इस मुद्दे को लेकर बड़ा दावा कर दिया है। महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर, जयपुर में एक समारोह को संबोधित करते हुए, राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि बतौर राजसमंद सांसद, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी हल्दीघाटी युद्ध से जुड़े एक विवादित शिलालेख को सुधारना।
उनके अनुसार, पहले इस शिलालेख पर लिखा था कि अकबर ने हल्दीघाटी युद्ध जीता था। दीया कुमारी ने कहा कि 2021 में, उन्होंने इस गलत शिलालेख का विरोध किया और इसे बदलवाने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग और तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के साथ काम किया। उनके प्रयासों से अब शिलालेख में लिखा है कि महाराणा प्रताप ने युद्ध लड़ा और उनकी वीरता अमर रही। दीया कुमारी ने इसे अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी सफलता बताया और कहा, “लोग बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन अब सच्चाई बताने का समय आ गया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह शिलालेख युद्ध के तथ्यों को साबित करता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक धरोहर के रूप में काम करेगा। हम मुगलों का लिखा इतिहास पढ़ रहे थे। दीया कुमारी ने कहा- अब सही इतिहास लोगों तक पहुंचाने का समय आ चुका है। अभी तक हम मुगलों का लिखा इतिहास पढ़ रहे थे। मुगल डिवाइड एंड रूल को फॉलो करते थे, जो अंग्रेजों ने भी किया। राजपूत को राजपूत से लड़ाओ, हिंदू को हिंदू से लड़ाओ और राज करो। अभी तक हमने यही इतिहास पढ़ा है। बड़े दुख की बात है कि अभी तक जो राजनीतिक दल हमारे देश में थे। वो भी इसी बात को चाहते थे। उन्होंने भी इसी इतिहास को आगे बढ़ाया। जो किताबें हमने पढ़ी उसमें यहीं लिखा था।
इस मामले पर इतिहासकारों की अलग-अलग टिप्पणियां हैं । कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुगल स्रोतों में हल्दीघाटी को मुगल विजय के रूप में दर्शाया गया है। उनके अनुसार, मान सिंह और आसिफ खान के नेतृत्व वाली विशाल मुगल सेना ने प्रताप की छोटी सेना को रणनीतिक रूप से हराया। मुगलों ने घेराबंदी की, जिससे प्रताप को पहाड़ों में पीछे हटना पड़ा। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि प्रताप पूरी तरह पराजित नहीं हुए और उन्होंने गुरिल्ला युद्ध जारी रखा।
इसी के साथ कुछ इतिहासकारों का मानना है कि हल्दीघाटी के युद्ध में कोई स्पष्ट विजेता नहीं था। वे प्रताप की वीरता, उनके योद्धाओं की बहादुरी, और उनकी स्वतंत्रता की भावना पर बात करने पर ज्यादा जोर देते हैं। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि हल्दीघाटी के शिलालेख में पहले लिखा था कि अकबर ने युद्ध जीता था। उनके अनुसार, यह जानकारी गलत थी और ब्रिटिश काल में लिखी गई थी, जब इतिहासकार मुगलों के पक्ष में लिखते थे। इस वजह से महाराणा प्रताप की वीरता को कम दिखाया गया। दीया कुमारी ने 2021 में इस शिलालेख को बदलवाया, जिसमें अब महाराणा प्रताप की बहादुरी को सम्मान दिया गया है। कई इतिहासकार इस बदलाव से सहमत हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह शिलालेख अब सच्चाई को दर्शाता है और प्रताप के साहस को सही तरीके से पेश करता है।
दीया कुमारी के इस दावे ने इतिहास जगत में एक नई चर्चा छेड़ दी है । इस मुद्दे पर कुछ लोग दीया कुमारी के दावे से सहमत हैं और कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं। सहमति जताते हुए लोग कह रहे हैं कि आखिरकार सालों से छिपाई गई सच्चाई सामने आ ही गई कि युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना ने किस तरह बहादुरी दिखाई थी।
वहीं आलोचना करने वालों का कहना है कि बीजेपी इसी तरह इतिहास के साथ खिलवाड़ करती आई है ताकि आने वाली पीढ़ी को हकीकत का पता ही ना चल पाए । कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि आजकल इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना और नए-नए दावे करके राजनीति करने का नया ट्रेंड शुरु हो गया है ।