अखिलेश यादव और अमित शाह के बीच लोकसभा में उस समय टकराव हो गया जब सपा नेता ने दावा किया कि उन्हें सुनने में आया है कि अध्यक्ष के कई अधिकार छीन लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ‘हम आपके लिए लड़ेंगे’। इसी बात को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कड़ी आपत्ति जताई। दोनों में तीखी नोकझोंक हुई।
अखिलेश यादव वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बहस के दौरान लोकसभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा, ‘आपके और हमारे अधिकारों में कटौती की जा रही है। मैंने आपसे कहा था कि आप लोकतंत्र के न्यायाधीश हैं। मैंने सुना है कि आपके कुछ अधिकार छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा।’
इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत हस्तक्षेप किया और कहा कि अध्यक्ष के पास पूरे सदन पर अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘यह आसन का अपमान है। अध्यक्ष के अधिकार सिर्फ़ विपक्ष के नहीं, बल्कि पूरे सदन के हैं। इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते… आप अध्यक्ष के अधिकार के संरक्षक नहीं हैं।’
बाद में स्पीकर ओम बिरला ने अखिलेश यादव से कहा कि उन्हें और सदन के अन्य सदस्यों को आसन पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह मेरी अपेक्षा है कि आसन पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।’
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का विरोध करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यह विधायक एक राजनीतिक साजिश के तहत लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई धार्मिक संस्थाएँ हैं जो किसी अन्य वर्ग के हस्तक्षेप के बिना काम करती हैं।
अखिलेश यादव ने वक्फ बोर्ड में एक गैर-मुस्लिम की नियुक्ति पर सवाल उठाए और विधेयक में कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा, ‘वक्फ बोर्ड में एक गैर-मुस्लिम को रखने का क्या मतलब है अगर हम इतिहास को देखें और एक जिला कलेक्टर को सारी शक्ति देने पर विचार करें… तो मैं इतिहास को फिर से नहीं देखना चाहता हूँ, लेकिन हम जानते हैं कि एक जिला कलेक्टर ने क्या किया जिससे लोगों को परेशानी हुई।’ लोकसभा सांसद केरल के अलपुझा के कुट्टनाड के मूल निवासी के के नायर की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्हें जून 1949 में फैजाबाद का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था। यह घटना बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखे जाने से महीनों पहले की है।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा हताश और निराश है तथा पार्टी अपने कट्टर समर्थकों को खुश करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक इसलिए लाया गया है क्योंकि भाजपा को हाल ही में चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।’
बता दें कि 40 प्रस्तावित बदलावों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई प्रावधानों को निरस्त करने का प्रयास करता है, जो वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करता है। इसमें महत्वपूर्ण संशोधनों का भी सुझाव दिया गया है, जिसमें इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं।