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    Home » किसान संगठन आ रहे हैं एक मंच पर, कितना कामयाब होंगे?
    भारत

    किसान संगठन आ रहे हैं एक मंच पर, कितना कामयाब होंगे?

    By January 13, 2025No Comments5 Mins Read
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    किसान संगठनों की एकता के आह्वान के बाद प्रमुख किसान संगठनों की बैठक सोमवार 13 जनवरी को पटियाला जिले में हो रही है। पहले यह बैठक 15 जनवरी को तय थी। लेकिन सरकार की नीयत को देखते हुए और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की चिन्ताजनक हालत को देखते हुए यह बैठक 13 जनवरी को ही बुला ली गई। डल्लेवाल के मरणव्रत का सोमवार को 49वां दिन है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों को बैठे हुए 333 दिन हो चुके हैं ! केंद्र सरकार ने किसानों को अब उनके हाल पर छोड़ दिया है।

    दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा (राष्ट्रीय) ने केंद्र पर दबाव बनाने के लिए एकजुटता का आह्वान किया है। जिससे केंद्र पर “उनके साथ बातचीत के एक और दौर” के लिए दबाव डाला जा सके। एमएसपी सहित विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार के पैनल, सुप्रीम कोर्ट पैनल और किसान संघ के सदस्यों के बीच मतभेद के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता पंजाब और हरियाणा में अल-अलग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

    दोनों समूह शंभू और खनौरी में अपना दबदबा बनाए हुए हैं, जबकि अधिकांश अन्य यूनियनों ने दूरी बनाए रखी है। आंदोलन के कारण शंभू के पास नेशनल हाईवे बंद पड़ा है क्योंकि हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को अपने राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए हैं। हालांकि हाईवे बंद होने के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जबकि हरियाणा सरकार ने बॉर्डर पर बैरिकेडिंग करवा रखी है। यह ठीक शाहीनबाग आंदोलन के दौरान दिल्ली में भी हुआ था। दिल्ली में शाहीनबाग के पास कालिंदीकुंज पर दिल्ली पुलिस ने सड़क बंद कर दी थी और जिम्मेदार शाहीनबाग आंदोलन को ठहाराया जा रहा था। ताकि उस सड़क का इस्तेमाल करने वालों का गुस्सा आंदोलनकारियों के खिलाफ भड़के।

    हाल ही में खनौरी और हरियाणा के फतेहाबाद में हुई किसान महापंचायतों से पंजाब कि कई किसान यूनियनें दूर रहीं, क्योंकि उनका कहना था कि उनसे सलाह नहीं ली गई थी। अब संयुक्त बैठक पर भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के पंजाब अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ”हम सोमवार को मिलेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। विचार उन सभी गुटों को एकजुट करना है जिनका उद्देश्य समान है। यदि कोई मतभेद है तो उसे सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमने विस्तार से चर्चा के लिए आठ बिंदुओं का एक चार्टर पहले ही सौंप दिया है। हम अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने के लिए एकता स्थापित करेंगे।”

    49 दिनों से बेमियादी अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) नेताओं ने सभी की संयुक्त बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। सोमवार की बैठक उसी सिलसिले की कड़ी है।

    गुरुवार को मोगा “महापंचायत” के दौरान, राष्ट्रीय एसकेएम ने “एकता प्रस्ताव” पारित किया था, जिसमें उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों पर दबाव डालने के लिए विभिन्न यूनियनों के बीच व्यापक एकता की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।

    तीनों मंचों- राष्ट्रीय एसकेएम, एसकेएम (अराजनीतिक) और केएमएम ने शुक्रवार को एकसाथ डल्लेवाल से मुलाकात की। वहीं पर भविष्य की रणनीति तैयार करने का फैसला किया गया था। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 में लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करना और 2020-21 में आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना समेत अन्य शामिल हैं।

    फरवरी 2024 में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय और किसान नेताओं के बीच कई बार मुलाकात हुई लेकिन बातचीत बेनतीजा रही, जिसके कारण दोनों यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। किसानों के दिल्ली मार्च को भी हरियाणा पुलिस ने रोक दिया। किसानों ने दोनों बॉर्डर से जब जब दिल्ली कूच करने की कोशिश की, हरियाणा पुलिस की लाठी और पानी की बौछारों ने उन्हें रोक दिया।

    एक और किसान की मौत

    फरीदकोट के गोदारा गांव के जग्गा सिंह (80) की रविवार को सरकारी राजिंदर अस्पताल, पटियाला में मौत हो गई। 10 दिन पहले खनौरी मोर्चे पर विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें लकवा मार गया था और उन्हें इलाज के लिए राजिंदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले हफ्ते किसान रेशम सिंह ने खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार किसानों की सुनवाई नहीं कर रही है। हमारे पास और क्या रास्ता है। इस खबर को कथित राष्ट्रीय मीडिया ने दबा दिया था। रेशन सिंह से पहले, खन्ना के पास रतनहेड़ी गांव के 57 वर्षीय रणजोध सिंह ने 14 दिसंबर को शंभू सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कीटनाशक पी लिया था। बाद में 18 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई।

    13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक 34 किसानों की मौत हो चुकी है, जिसमें 22 साल के शुभकरण सिंह भी शामिल हैं, आरोप है कि पिछले साल 21 फरवरी को खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उन पर पैलेट गन से गोली चलाई गई थी। हरियाणा पुलिस ने आरोपों से साफ इनकार कर दिया था।

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