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    Home » क्या औरंगजेब की तरह हैं फडणवीस, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने तुलना क्यों की?
    भारत

    क्या औरंगजेब की तरह हैं फडणवीस, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष ने तुलना क्यों की?

    By March 17, 2025No Comments5 Mins Read
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    महाराष्ट्र की सियासत में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना मुगल बादशाह औरंगजेब से की। सपकाल के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे “बचकाना” और “महाराष्ट्र की पहचान का अपमान” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।

    रविवार (16 मार्च 2025) को रत्नागिरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सपकाल ने कहा, “औरंगजेब एक क्रूर शासक था, जिसने अपने भाइयों की हत्या की और धर्म का इस्तेमाल शासन के लिए किया। आज देवेंद्र फडणवीस भी उतने ही क्रूर हैं और हमेशा धर्म का सहारा लेते हैं। औरंगजेब और फडणवीस का शासन एक जैसा है।” सपकाल ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी राज्य में हिंसा और अशांति को बढ़ावा दे रही है, और उनकी सरकार किसानों को उचित मूल्य या कर्ज माफी देने में नाकाम रही है।

    सपकाल का यह बयान औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में आया, जहां बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने छत्रपति संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। सपकाल ने कहा, “औरंगजेब का महिमामंडन नहीं करना चाहिए, लेकिन विडंबना यह है कि बीजेपी ही इसे प्रायोजित कर रही है।” उन्होंने फडणवीस की शासन शैली को “गैंग्स ऑफ वासेपुर” की संज्ञा दी और कहा कि यह सरकार सत्ता के लिए आपसी संघर्ष में उलझी हुई है।

    सपकाल के बयान पर बीजेपी ने कड़ा एतराज जताया। बीजेपी एमएलसी चित्रा वाघ ने कहा, “फडणवीस की तुलना औरंगजेब से करना छत्रपति शिवाजी महाराज के हर अनुयायी का अपमान है। कांग्रेस के हर नेता को शिवाजी महाराज से नफरत है।”

    वहीं, बीजेपी के प्रदेश नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे “बचकाना और गैर-जिम्मेदाराना” बताते हुए कहा, “यह बयान महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति को कलंकित करता है। फडणवीस और औरंगजेब की तुलना करके कांग्रेस ने महाराष्ट्र की अस्मिता का अपमान किया है।”

    यह विवाद ऐसे समय में उभरा है, जब औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र में पहले से ही तनाव चल रहा है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब को “महान प्रशासक” कहकर उनकी तारीफ की थी, जिसके बाद बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई थी। फडणवीस ने भी औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग का समर्थन किया था, जिसे विपक्ष ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया।

    सपकाल के बयान ने महाराष्ट्र की पहले से गरमायी सियासत को और भड़का दिया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच यह तनातनी उस समय सामने आई है, जब राज्य में किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। लेकिन उन मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए औरंगजेब का मुद्दा खड़ा कर दिया गया।

    महाराष्ट्र सरकार राज्य में बढ़ते महिला विरोधी अपराध, किसानों की खुदकुशी, दवा घोटाला और बीड सरपंच हत्याकांड पर बात नहीं करना चाहती है। लेकिन वो औरंगजेब पर बात करना चाहती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एक ऐसा बिल पास कराना चाहते हैं, जिससे सरकार की आलोचना करने पर ही प्रतिबंध लग जाएगा। आइए, जानते हैं कि महाराष्ट्र के असली मुद्दे अभी क्या हैं-

    मार्च 2025 में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया। आरोपी पीयूष मोरे, जो बीजेपी का पूर्व पार्षद है, ने पुलिस सुरक्षा के बावजूद यह हरकत की। कई घंटों तक एफआईआर दर्ज न होने की शिकायत के बाद मंत्री को खुद थाने जाना पड़ा। विपक्ष ने इसे बीजेपी की “गुंडाराज” की मिसाल बताकर सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “जब मंत्री की बेटी सुरक्षित नहीं, तो आम जनता का क्या हाल होगा” बीजेपी ने इस घटना को व्यक्तिगत बताकर राजनीति से जोड़ने से इनकार किया। इससे पहले पुणे में एक बस स्टैंड पर खड़ी बस में महिला से रेप किया गया। आरोपी के राजनीतिक कनेक्शन पाए गए।

    महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा भी विवादों में रहा। सरकार के एक मंत्री ने विधानसभा में स्वीकार किया कि राज्य में रोजाना 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कांग्रेस ने इसे केंद्र और राज्य की नीतियों की नाकामी बताते हुए नरेंद्र मोदी के “किसानों की आय दोगुनी” वादे पर तंज कसा। इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्री ने खुलासा किया कि सरकारी अस्पतालों में नकली दवाइयां खरीदी गईं, जिसे विपक्ष ने जनता के जीवन से खिलवाड़ करार दिया। इन मुद्दों ने सत्तारूढ़ गठबंधन को बैकफुट पर ला दिया। लेकिन सरकार इन पर बात नहीं कर रही है।

    दिसंबर 2024 में बीड जिले के सरपंच संतोष देशमुख की निर्मम हत्या ने राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड है, जो कथित तौर पर महायुति सरकार के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का कारोबारी साझेदार है। हत्यारों ने न केवल देशमुख की हत्या की, बल्कि उनकी अधजली लाश पर पेशाब करते हुए वीडियो भी बनाया, जिसने क्रूरता की हदें पार कर दीं। कांग्रेस ने इसे “डबल इंजन सरकार” की नाकामी का सबूत बताते हुए प्रदर्शन किए। बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला है, न कि सरकार की विफलता का।

    महाराष्ट्र की यह विवादास्पद राजनीति न केवल सत्ता और विपक्ष के बीच वैचारिक टकराव को दर्शाती है, बल्कि राज्य में कानून-व्यवस्था, किसानों की बदहाली और सामाजिक तनाव जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करती है। जैसे-जैसे ये विवाद गहराते जा रहे हैं, आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरण और जनता का मिजाज कैसे बदलता है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन फिलहाल तो लोगों को औरंगजेब की तरफ मोड़ा जा रहा है। जो औरंगजेब को नहीं जानते थे, वे भी इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं। उन्हें यह भी पढ़ना पड़ रहा है कि औरंगजेब के समय भारत दुनिया का सबसे अमीर मुल्क था। इसीलिए अंग्रेज भारत के संसाधनों को लूटने के ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए यहां आए। 

    रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी

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