ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों एवं नक्षत्रों की चाल को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। साथ ही, इनकी स्थिति, दशा और राशि में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है। इसी क्रम में, अब वर्ष 2025 में बृहस्पति महाराज की चाल में बदलाव होने जा रहा है। यह मिथुन राशि में मार्गी होंगे और साथ ही, एक लंबे समय बाद हमें सूर्य और मंगल की युति देखने को मिलेगी। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको बृहस्पति मिथुन राशि में मार्गी के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि समय, तिथि आदि। हालांकि, गुरु की मार्गी चाल का प्रभाव सभी 12 राशियों को किस तरह प्रभावित करेगा और किन उपायों को अपनाकर बृहस्पति देव की कृपा आप प्राप्त कर सकेंगे, इस बारे में भी हम विस्तार से बात करेंगे। तो आइये बिना देर किये जानते हैं गुरु ग्रह के के बारे में।

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गुरु देव को एक शुभ एवं लाभकारी ग्रह कहा जाता है इसलिए इनकी स्थिति में होने वाला छोटा सा छोटा परिवर्तन बहुत मायने रखता है जिसका असर पूरे संसार पर दिखाई देता है। बृहस्पति ग्रह राशि चक्र की सभी 12 राशियों में से मीन और धनु राशि के स्वामी हैं। अब जब यह मार्गी अवस्था में आएंगे, तब ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी राशियों को शुभ फल देंगे क्योंकि जिन लोगों की कुंडली में गुरु पहले से नकारात्मक स्थिति में होंगे, उन्हें पुनः थोड़े कमज़ोर फल मिल सकते हैं। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गुरु ग्रह कब मार्गी होंगे?
बृहस्पति मिथुन राशि में मार्गी: तिथि और समय
ज्ञान, शुभ एवं मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह गुरु महाराज पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में 09 अक्टूबर 2024 को मिथुन राशि में वक्री हो गए थे जो अब 04 फरवरी 2025 की दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर मिथुन राशि में रहते हुए ही पुनः मार्गी हो जाएंगे। इस अवधि के दौरान बृहस्पति ग्रह राशियों समेत देश-दुनिया को प्रभावित करेंगे। यह मनुष्य जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे करियर, धन, रिलेशनशिप और स्वास्थ्य आदि में कुछ बड़े परिवर्तन लेकर आ सकते हैं। गुरु मार्गी की तिथि एवं समय के बाद हम आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में इनके महत्व से।
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ज्योतिष की नज़रों में गुरु ग्रह
सौरमंडल में सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति को माना गया है। वहीं, ज्योतिष में इनकी गिनती सबसे प्रमुख ग्रहों में होती है। बता दें कि गुरु ग्रह को नौ ग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जिन्हें देवताओं के गुरु होने के नाते देवगुरु भी कहा जाता है। साथ ही, यह सबसे शुभ एवं लाभकारी माने गए हैं।
इनकी शुभता का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब बृहस्पति देव अपनी अस्त अवस्था में होते हैं, उस समय शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं क्योंकि मांगलिक कार्य पूरी तरह से निषेध होते हैं। गुरु की यह स्थिति सामान्य रूप से तारा डूबना के नाम से जाने जाती है। इसी प्रकार, इनके उदित होने पर मांगलिक कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं।
मनुष्य जीवन पर बृहस्पति का प्रभाव
ज्योतिष की मानें, तो जिन जातकों की कुंडली में अधिकांश ग्रह नकारात्मक स्थिति में होते हैं, लेकिन बृहस्पति देव की स्थिति अच्छी होती है, तो ऐसा इंसान अपने जीवन में आसानी से आगे बढ़ना में सक्षम होता है। दूसरी तरफ, अगर गुरु ग्रह की शुभ दृष्टि कुंडली के किसी भी भाव या फिर ग्रह पर पड़ रही होती है, तो इनकी दृष्टि से प्रभाव से उस भाव या ग्रह के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
हालांकि, बृहस्पति देव को एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में गोचर करने में 13 महीने का समय लगता है। यह वजह है कि इनके गोचर को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह एक साल से अधिक समय तक एक राशि में रहते हैं।
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गुरु और मंगल की होगी युति
शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि जब गुरु मिथुन राशि में मार्गी होंगे, उस समय मंगल ग्रह भी इसी राशि में विराजमान होंगे। बता दें कि मंगल अपनी वक्री अवस्था में मिथुन राशि में 21 जनवरी 2025 को गोचर करेंगे जबकि इस राशि में बृहस्पति देव काफ़ी समय से विराजमान हैं। ऐसे में, मिथुन राशि में मंगल और गुरु की युति का निर्माण होगा।
इस प्रकार, मिथुन राशि में युद्ध, साहस एवं पराक्रम के ग्रह और ज्ञान के कारक ग्रह का मिलन होगा, तो संसार में कुछ बेहतरीन परिणाम जातकों को प्राप्त हो सकते हैं। बता दें कि मंगल-बृहस्पति की युति जातक को महत्वाकांक्षा, साहस एवं उनके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करती है। इस युति के निर्मित होने से जातक को जीवन के हर क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह व्यक्ति को न्यायप्रिय और धर्म के जानकार बनाती है। इनके प्रभाव से जातक अच्छा शिक्षक बनता है।
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गुरु ग्रह प्रसन्न होते हैं इन पांच चीज़ों से
बृहस्पति देव को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है और इन्हें सप्ताह में गुरुवार का दिन समर्पित होता है। वहीं, रंगों में गुरु ग्रह को पीला रंग पसंद है। लेकिन, हम आपको यहाँ बताने जा रहे हैं ऐसी 5 चीज़ों के बारे में जिनसे गुरु ग्रह जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
फूल: देवगुरु बृहस्पति को जैस्मिन का फूल बहुत प्रिय होता है और इनकी पूजा में इस पुष्प के इस्तेमाल से गुरु ग्रह जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
पीला रंग: भगवान विष्णु के समान ही गुरु ग्रह को पीला रंग और इससे संबंधित वस्तुएं बहुत प्रिय होती हैं इसलिए गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने से लेकर बृहस्पति देव को पीले फूल, पीली मिठाई चढ़ाना फलदायी साबित होता है।
चने की दाल: बृहस्पति ग्रह के लिए की जाने वाली पूजा में चने की दाल को अत्यंत महत्व दिया जाता है। गुरुवार के दिन चने की दाल और चावल को मिलाकर गुरु देव को अर्पित करने से और उसकी खिचड़ी का प्रसाद के रूप में भोग लगाने से तथा खुद भी ग्रहण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
पुखराज: बात करें रत्नों की, तो हर ग्रह को एक रत्न प्रिय होता है और इस तरह, गुरु ग्रह को पुखराज बेहद प्रिय है। बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए पुखराज धारण करना शुभ रहता है।
धातु: अगर आप कुंडली में गुरु ग्रह को मज़बूत करना चाहते हैं, तो बृहस्पतिवार के दिन सोने, तांबे और कांसे की धातु का दान अपने सामर्थ्य के अनुसार करें। इन धातुओं को खरीदना भी शुभ रहता है।
गुरु मार्गी के दौरान जरूर करें ये उपाय
- भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा-अर्चना करें और उन्हें पीले रंग की मिठाई का प्रसाद रूप में भोग लगाएं।
- गुरु ग्रह के बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- अगर संभव हो, तो ज्यादा से ज्यादा पीले रंग के कपड़े धारण करें। साथ ही, किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद अपनी कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति के आधार पर पुखराज रत्न पहनें।
- गुरुवार के दिन व्रत रखना फलदायी रहता है।
- घर या कार्यस्थल में गुरु यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से उसका पूजन करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज्योतिष के अनुसार, गुरु ग्रह लगभग हर 13 महीने बाद अपना राशि परिवर्तन करते हैं।
राशि चक्र की अंतिम राशि मीन के स्वामी गुरु ग्रह हैं।
बृहस्पति ग्रह 04 फरवरी 2025 को मिथुन राशि में वक्री से मार्गी हो जाएंगे।
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