बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को प्रमुख एवं महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इन्हें शुभ एवं लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। सिर्फ इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में बृहस्पति ग्रह को देव गुरु के नाम से जाना जाता है। यह ऐसे ग्रह हैं जो मनुष्य के जीवन में सौभाग्य लेकर आते हैं और मांगलिक कार्यों के कारक हैं। ऐसे में, गुरु देव की राशि, स्थिति या चाल में होने वाला किसी भी तरह का परिवर्तन आपके जीवन को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है। अब यह जल्द ही मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं और इसका असर न सिर्फ सभी राशियों पर पड़ेगा, बल्कि देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, आपको बताएंगे कि गुरु की वक्री चाल आपको अच्छे या बुरे कैसे परिणाम देगी।
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हम इस खास लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे कि राशि चक्र की किन राशियों के लिए गुरु की वक्री चाल फलदायी रहेगी और किन जातकों को नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, बृहस्पति महाराज का ज्योतिष में महत्व, कुंडली में इसके शुभ-अशुभ होने पर प्रभाव और गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के उपायों के बारे में भी बताएंगे। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु ग्रह की तिथि और समय के बारे में।
बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: तिथि और समय
शायद ही आप जानते होंगे कि गुरु ग्रह को सौरमंडल का दूसरा सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है। नवग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह होने के नाते मनुष्य जीवन पर इनका प्रभाव भी उतना ही अधिक होता है। अब यह जल्दी ही 09 अक्टूबर 2024 की सुबह 10 बजकर 01 मिनट पर मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि बृहस्पति देव 03 जून 2024 की देर रात 03 बजकर 21 मिनट पर वृषभ राशि में वक्री हो गए थे और अब यह वक्री अवस्था में ही मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। अगले साल यानी कि नए साल में बृहस्पति देव पुनः वक्री से मार्गी हो जाएंगे। अब आगे बढ़ने से पहले हम आपको अवगत करवाएंगे कि क्या होता है ग्रह का वक्री होना?
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क्या होता है ग्रह का वक्री होना?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक ग्रह अपनी चाल और स्थिति में समय-समय पर बदलाव करता है जिसे अक्सर वक्री, मार्गी, अस्त या उदय आदि कहा जाता है। लेकिन, अगर हम बात करें गुरु के वक्री होने की, तो इसका यह मतलब होता है कि जब कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुए आगे की तरफ बढ़ने की बजाय उल्टी चाल चलना शुरू कर देता है अर्थात पीछे की तरफ चलता हुआ प्रतीत होता है, उसे ग्रह का वक्री होना कहते हैं। हालांकि, यह वास्तव में नहीं होता है और विज्ञान भी ग्रहों के वक्री होने को नहीं मानता है।
मान्यता है कि जब भी कोई ग्रह वक्री होता है, तब उससे मिलने वाले शुभ परिणामों में कमी आती है और अशुभ परिणाम मिलने लगते हैं। लेकिन, यह बात सभी राशियों पर लागू नहीं होती है क्योंकि जिनकी कुंडली में कोई विशेष ग्रह कमज़ोर या अशुभ होता हैं, उस समय इस ग्रह का वक्री होना जातकों के लिए फलदायी साबित होता है। साथ ही, ग्रहों की वक्री चाल आपको अचानक से परिणाम देती है जो कि अच्छे या बुरे दोनों तरह के हो सकते हैं।
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ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व
गुरु या बृहस्पति ग्रह को शुभ एवं मांगलिक कार्यों का ग्रह माना गया है और इनकी अस्त अवस्था को ही “तारा डूबना” कहा जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों को करना निषेध होता है। इसके अलावा, बृहस्पति महाराज प्रसिद्धि, ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और ध्यान आदि के कारक ग्रह हैं। कुंडली में गुरु देव के शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति रातोंरात अमीर बन सकता है। वहीं, राशि चक्र की 12 राशियों में से इन्हें जल तत्व की राशि मीन और धनु पर आधिपत्य प्राप्त है।
27 नक्षत्रों में गुरु महाराज पुनर्वास, पूर्वाभाद्रपद और विशाखा नक्षत्र के स्वामी ग्रह हैं। बात करें इनके प्रिय रत्न की, तो बृहस्पति देव का रत्न पुखराज है और सप्ताह में इन्हें गुरुवार का दिन समर्पित होता है। गुरु आपके जीवन को किस तरह प्रभावित करते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि कुंडली के किस भाव में बृहस्पति ग्रह मौजूद हैं। इन्हें करियर के क्षेत्र में फाइनेंस, कानून, बैंकिंग, शिक्षा, राजनीति और काउंसलिंग आदि पर नियंत्रण प्राप्त हैं।
आइए अब नज़र डालते हैं बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक और सकारात्मक प्रभावों पर।
कुंडली में गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव
बृहस्पति देव की कुंडली में मज़बूत स्थिति होने पर जातक बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृति के होते हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति में मानवता के भाव पैदा होते हैं।गुरु ग्रह का शुभ प्रभाव आपको अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने का साहस देता है। ऐसे में, आप जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करते हैं।कुंडली में गुरु ग्रह की मज़बूत स्थिति होने पर आपके व्यक्तित्व में निखार आता है और आप आकर्षक बनते हैं। बृहस्पति के बली होने पर व्यक्ति धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। साथ ही, आपकी दिनचर्या बेहतर होती है और एकाग्रता क्षमता भी मज़बूत रहती है।
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कुंडली में गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर होने पर व्यक्ति उदारवादी बनता हैं। ऐसे में, अक्सर यह लोग कर्ज या विवादों के जाल में फंस जाते हैं।गुरु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों की वजह से जातक को फिजूलखर्ची की आदत लग जाती है और इंसान जुए की लत में पड़ जाता है। गुरु ग्रह अगर कमज़ोर होते हैं, तो जातक के जीवन में धन, समृद्धि और मान-सम्मान में कमी आती है।कुंडली में बृहस्पति अशुभ होने पर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, एनीमिया, बवासीर, अपच और पेट से संबंधित बीमारी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनके प्रभाव से मनुष्य गलत फैसले लेने लगता है और चीजों की गलत व्याख्या करने लगता है जिससे बदनामी की आशंका बढ़ जाती है।
गुरु वक्री के दौरान करें ये सरल एवं प्रभावी उपाय
बृहस्पतिवार देव को प्रसन्न करने के लिए नहाते समय पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें। इन जातकों को आटे की लोई में चने की दाल, गुड़ और हल्दी मिलाकर गाय को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। आर्थिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को केले और पीले रंग के वस्त्रों का दान करें।अगर किसी की कुंडली में देवगुरु बृहस्पति कमज़ोर होते हैं, तो आप पुखराज रत्न धारण कर सकते हैं। हालांकि, इस रत्न को धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।गुरु ग्रह का आशीर्वाद पाने के लिए गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े धारण करें। इस उपाय को करने से बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव भी दूर होते हैं।गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर बृहस्पति देव के बीज मंत्र ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का जाप करें।
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बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री दूसरे……(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके पहले… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके बारहवें… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री ग्यारहवें… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में वक्री…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके आठवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री सातवें… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मिथुन राशि में वक्री आपके चौथे… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बृहस्पति ग्रह 09 अक्टूबर 2024 को मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं।
राशि चक्र में गुरु ग्रह मीन और धनु राशि के स्वामी हैं।
बुध ग्रह को मिथुन राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।
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