
Chamoli Tourism (Image Credit-Social Media)
Chamoli Tourism
Chamoli Mein Ghoomne ki Jagah: गढ़वाल हिमालय का अत्यंत महत्वपूर्ण जिला चमोली, उत्तराखंड के सबसे सुंदर और पवित्र जिलों में गिना जाता है। यह वही भूमि है जहाँ श्री बद्रीनाथ धाम स्थित है—विश्व के प्रमुख चार धामों में से एक। अलकनंदा नदी की धारा, हिमालय की चोटियाँ, विश्व-प्रसिद्ध फूलों की घाटी, तपोस्थलियाँ, आध्यात्मिक केंद्र और रोमांचक ट्रैक चमोली को देवभूमि का वास्तविक हृदय बनाते हैं।
चमोली का ऐतिहासिक महत्व भी अत्यंत समृद्ध है—चिपको आंदोलन का जन्मस्थान, महाभारत कालीन प्रसंग, पंचकेदारों में से कई धाम, और योग-तपस्या की परंपरा इसका आधार हैं। यह जिला औषधीय पौधों, ऊनी उत्पादन, हस्तशिल्प, साफ़ और समृद्ध जल संसाधनों तथा पर्यटन उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
पर्यटक स्थल और विशेषताएँ
श्री बद्रीनाथ धाम
– 3,300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित विश्व प्रसिद्ध वैष्णव धाम।
– माना जाता है कि भगवान विष्णु ने तपस्या के लिए इस क्षेत्र को चुना था।
– पास में तप्त कुंड, नारद कुंड, ब्रह्मकपाल आदि।
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (UNESCO World Heritage)
– विश्व में अपनी तरह की अनूठी घाटी।
– 600+ दुर्लभ फूलों की प्रजातियाँ, हिमालयी जीव-जंतु, रंगों से भरी अद्भुत घासभूमि।
हेमकुंड साहिब
– 4,633 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सिखों का अत्यंत पवित्र तीर्थस्थान।
– 7 हिमालयी चोटियों के बीच स्थित झील का अद्भुत दृश्य।
औली – स्कीइंग का प्रमुख केंद्र
– अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्की रिज़ॉर्ट।
– गुरसों बुग्याल, चट्टी बुग्याल और रोपवे की विश्व स्तरीय सुविधा।
पंचकेदार में स्थित स्थल
– रुद्रनाथ
– कल्पेश्वर
– तुंगनाथ (सीमा जिले से जुड़ा)
जोशीमठ (Jyotirmath)
– आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक।
– विंटर चारधाम यात्रा का केंद्र।
ग्वालदम
– पाइन व जन्नत जैसे जंगल, शीतल जलवायु और पंचाचूली के दृश्य।
धर्म, उद्योग व इतिहास
धर्म
– श्री बद्रीनाथ धाम
– पंचकेदार
– शंकराचार्य मठ
– हेमकुंड साहिब
उद्योग
– ऊनी वस्त्र
– हस्तशिल्प एवं पाइन आधारित उत्पाद
– औषधीय पौधों की खेती
– पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी
इतिहास
– चिपको आंदोलन (1973) का जन्म यहीं हुआ
– आदि शंकराचार्य का गहन आध्यात्मिक केंद्र
– पांडवों की यात्रा और महाभारत महत्त्व
कैसे पहुँचें
सड़क मार्ग: ऋषिकेश–जोशीमठ राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा निर्बाध संपर्क।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन — ऋषिकेश/हरिद्वार।
हवाई मार्ग: जॉलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून (≈ 150–200 किमी दूरी)।
आने का सर्वोत्तम समय
अप्रैल से अक्टूबर।
नवंबर–मार्च में बर्फबारी के कारण ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पहुँच सीमित हो जाती है।


