अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर 125% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने इसे “आर्थिक ब्लैकमेल” करार दिया है और “अंत तक लड़ने” की प्रतिज्ञा की है। यह कदम दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को और बढ़ा रहा है। ग्लोबल बाजारों में पहले से ही हलचल मची हुई है।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय की प्रवक्ता योंगकियान ने बढ़ते व्यापार युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका से “सही रास्ते” पर आने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने समझौता न होने पर “अंत तक लड़ने” की कसम भी खाई। योंगकियान ने कहा, “बातचीत का दरवाज़ा खुला है, लेकिन यह आपसी सम्मान पर आधारित होना चाहिए और समान तरीके से संचालित होना चाहिए।” चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे ग्लोबल आर्थिक व्यवस्था की स्थिरता गंभीर रूप से प्रभावित होगी।” मंत्रालय ने कहा, “यह एक घातक कारनामा है जो दुनिया की इच्छा के विरुद्ध है और पूरी दुनिया के विरुद्ध है।”
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि यदि चीन ने अमेरिकी सामानों पर अपना 34% का जवाबी टैरिफ वापस नहीं लिया, तो वह 9 अप्रैल 2025 से चीनी सामानों पर अतिरिक्त 50% टैरिफ लागू करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, इस साल चीनी आयात पर कुल टैरिफ 104% से बढ़कर 125% हो गया। ट्रंप ने कहा, “चीन ने विश्व बाजारों के प्रति अनादर दिखाया है, और अब अमेरिका और अन्य देशों को लूटने के दिन खत्म होने चाहिए।” यह फैसला उनके “लिबरेशन डे” टैरिफ प्लान का हिस्सा है, जिसके तहत उन्होंने दर्जनों देशों पर 10% से 50% तक टैरिफ लगाए थे, लेकिन बाद में 75 से अधिक देशों को 90 दिनों की राहत दी। हालांकि, चीन को इस छूट से बाहर रखा गया।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “चीनियों के विकास के अधिकार को छीना नहीं जा सकता। हम परेशानी नहीं शुरू करते, न ही इससे डरते हैं। अगर अमेरिका गलत रास्ते पर आगे बढ़ता है, तो चीन अंत तक लड़ेगा।” चीन ने पहले ही अमेरिकी सामानों पर 84% टैरिफ की घोषणा की थी, जो 10 अप्रैल से प्रभावी हो गई। इसके साथ ही, चीन ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिकी कृषि उत्पादों जैसे सोयाबीन और चिकन पर टैरिफ बढ़ा सकता है, दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है और अमेरिकी कंपनियों पर और सख्ती कर सकता है।
ट्रंप के टैरिफ और चीन की जवाबी कार्रवाई से ग्लोबल शेयर बाजारों में उथल-पुथल मच गई। बुधवार को अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट देखी गई, लेकिन ट्रंप के अन्य देशों पर टैरिफ में 90 दिनों की छूट की घोषणा के बाद बाजारों में कुछ राहत आई। एसएंडपी 500 में 9.5% की उछाल देखी गई, जो 2008 के बाद सबसे बड़ी एकदिवसीय बढ़ोतरी थी। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह राहत अस्थायी हो सकती है, और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से मंदी की आशंका बढ़ रही है। जेपी मॉर्गन ने वैश्विक मंदी की संभावना को 40% से बढ़ाकर 60% कर दिया है।
चीन के विशेषज्ञ डैन वांग ने कहा, “35% टैरिफ के बाद चीनी निर्यातकों का मुनाफा लगभग खत्म हो गया है। 125% टैरिफ के साथ, चीन अमेरिका को निर्यात बंद कर सकता है, लेकिन यूरोप अब उसका सबसे लाभकारी बाजार बन जाएगा।” वहीं, एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के डैनियल रसेल ने कहा, “चीन अपनी रणनीति नहीं बदलेगा। वे दबाव सहेंगे और ट्रंप को गलती करने देंगे, क्योंकि वे मानते हैं कि ट्रंप कमजोरी को न्योता देते रहते हैं।”
ट्रंप ने भारत सहित 75 से अधिक देशों को 90 दिनों की राहत दी है, जिसके तहत इन देशों पर “रेसिप्रोकल टैरिफ” को 10% तक सीमित कर दिया गया है। इससे भारत को कुछ समय मिलेगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह ट्रेड वॉर लंबा चला, तो भारत जैसे देश भी प्रभावित हो सकते हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह स्पेन, मलेशिया, वियतनाम और कंबोडिया का दौरा करने वाले हैं, जहां वह ट्रंप के टैरिफ के प्रभावों और वैकल्पिक व्यापारिक रणनीतियों पर चर्चा करेंगे। दूसरी ओर, ट्रंप ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से व्यापार वार्ताओं में शामिल होंगे। ग्लोबल व्यापार का भविष्य अब इन दो महाशक्तियों के अगले कदम पर टिका है।