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    Home » पाकिस्तान की स्थिति सीरिया जैसी हो सकती है, या कम से कम 3 टुकड़ों में बंट जाए
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    पाकिस्तान की स्थिति सीरिया जैसी हो सकती है, या कम से कम 3 टुकड़ों में बंट जाए

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 10, 2025No Comments6 Mins Read
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    9A 104 Hindi News Website

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    नई दिल्ली

    पाकिस्तान के निर्माण में मुहम्मद अली जिन्ना की टू नेशन थ्‍योरी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इसी आधार पर 1947 में भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण की मांग की गई थी. यह सिद्धांत मुख्य रूप से यह तर्क देता था कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, जिनके धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान इतने भिन्न हैं कि वे एक साथ एक राष्ट्र में नहीं रह सकते. इस सिद्धांत ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए एक अलग देश, पाकिस्तान, की स्थापना को औचित्य प्रदान किया.

    1971 में ही इस सिद्धांत को तिलांजलि देते हुए पूर्वी पाकिस्तान ने पाकिस्तान से अलग होकर अलग देश बांग्लादेश बना लिया. कायदे से इस सिद्धांत का अंत उसी दिन हो गया था. पर पाकिस्तान के हुक्मरान आज भी अपनी गद्दी बचाने और पाकिस्तान को बिखरने से रोकने के लिए इस सिद्धांत की दुहाई देते हैं. पहलगाम अटैक से कुछ रोज पहले ही पाकिस्तानी सेना के प्रमुख असीम मुनीर ने प्रवासी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए टू नेशन थियरी को सही बताया था. मुनीर ने इस सम्मेलन में हिंदुओं पर अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करते हुए भारत के खिलाफ खूब जहर उगला था. यही कारण है कि पाकिस्तान में भी लोगों का मानना है कि मुनीर ने अपनी महत्वाकांक्षा के चलते पहलगाम अटैक को अंजाम दिया है. पर पहलगाम हमले का खामियाजा अब पूरा पाकिस्तान भुगत रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने जैसी हरकतें की हैं उससे यही लगता है कि पाकिस्तान का भविष्य अधर में है. आइये देखते हैं कि भविष्य में पाकिस्तान का क्या हाल हो सकता है?

    1-पाकिस्तान में मुनीर को हटाकर कोई सैन्य तानाशाह आ जाए, आंशिक लोकतंत्र भी खत्म हो जाए

    पाकिस्तान में मार्शल ला का इतिहास रहा है. यहां सेना ने अतीत में कई बार सत्ता हथियाई है जैसे 1958, 1977, 1999 में. वर्तमान में भी सेना का राजनीतिक प्रभाव मजबूत है. जिस तरह वर्तमान सेना प्रमुख असीम मुनीर के खिलाफ पाकिस्तान में हवा चल रही है उससे उनके लिए खतरा बढ़ रहा है. हो सकता है कि भारत के हाथों पाकिस्तानी सेना के मुंह की खाने के बाद सेना का कोई दूसरा सैन्य अधिकारी मुनीर को कैदकर खुद तानाशाह बन जाए. पिछले दिनों पाक सेना में आंतरिक असंतोष की तमाम खबरें आईं थीं.

    मार्च 2025 में, पाकिस्तानी सेना के जूनियर अधिकारियों (कर्नल, मेजर, कैप्टन रैंक) और जवानों ने असीम मुनीर के खिलाफ एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उनके इस्तीफे की मांग की गई. पत्र में उन पर सेना को राजनीतिक उत्पीड़न का हथियार बनाने, लोकतांत्रिक ताकतों को कुचलने और आर्थिक बर्बादी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया.

    पत्र में 1971 के युद्ध की तुलना की गई, जिसमें कहा गया कि मुनीर के नेतृत्व ने सेना की प्रतिष्ठा को गटर में डाल दिया और जनता के बीच सेना को बेगाना बना दिया.

    कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और X पोस्ट्स में दावा किया गया कि 500 जवानों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया, हालांकि सेना मुख्यालय ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

    जाहिर है कि पाक सेना में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि ऐसी स्थिति में नया नेतृत्व जन्म लेता है जो हमेशा तख्तापलट से ही आता है. आम जनता भी आर्थिक संकट, आतंकवाद, और राजनीतिक अस्थिरता के कारण सैन्य शासन को स्वीकर कर लेती है.

    2-पाकिस्तान की स्थिति सीरिया जैसी हो सकती है

    पाकिस्तान के लिए युद्ध कितना मुश्किल है यह इससे समझा जा सकता है कि पाकिस्तान सरकार अभी से आर्थिक संकट में है. जाहिर है कि ऐसी दशा में कर्ज संकट ($73 बिलियन 2025 तक चुकाना) और बेरोजगारी बढ़नी तय है. अगर ऐसा होता है तो सामाजिक अशांति (प्रदर्शन, हड़ताल) सीरिया जैसे विरोध प्रदर्शनों को जन्म दे सकती है. बलूचिस्तान में BLA और KPK में PTM हिंसा को बढ़ा सकते हैं. सोशल मीडिया पर तमाम दावे हैं कि बलूचिस्तान स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहा है, और भारत का समर्थन इस समस्या को और बढ़ा सकता है. TTP और ISIS-खोरासान जैसे समूह सीरिया के ISIS की तरह अराजकता फैला सकते हैं, विशेष रूप से KPK और बलूचिस्तान में. जाहिर है कि पाक सेना का पूरा ध्यान भारतीय सेना से बचाव पर रहेगा. इसका प्रभाव और सरकार की अक्षमता को बढ़ाएगा जो जनता के असंतोष को और बढ़ा सकती है, जैसा सीरिया में असद के खिलाफ हुआ.

    3-भारत सीमित सैन्य संघर्ष को तब तक खींचेगा जब तक पाकिस्तान खुद ब खुद न टूट जाए

    भारत की रणनीति हो सकती है कि पाकिस्तान के साथ तनाव को सीमित सैन्य संघर्ष में बदल दिया जाए. पाहलगाम हमले के बाद जिस तरह के कदम भारत ने उठाए हैं वो कुछ ऐसा ही संकेत देते हैं. सिंधु जल संधि को निलंबित करना  और ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदम कुछ ऐसा ही फैसला है जो बताता है कि भारत सीधे जंग में उतरने की बजाय सीमित सैन्य संघर्ष को लंबा खींचना चाहेगा. भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ से सीमा पर गोलीबारी, सर्जिकल स्ट्राइक, या हवाई हमले बढ़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, और ईरान ने संयम की अपील की है पर कोई भी खुलकर किसी भी पक्ष से सामने नहीं आना चाहता है.

    दरअसल सीमित संघर्ष से आर्थिक नुकसान विशेष रूप से पाकिस्तान को होगा. क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर है. भारत की सैन्य श्रेष्ठता (S-400, राफेल) उसे बढ़त दे सकती है. भारत यही चाहेगा कि पाकिस्तान युद्ध में इस तरह फंस जाए कि उसकी आर्थिक रूप से कमर टूट जाए. सेना भारतीय सीमा पर फंसेगी जिसके चलते पाकिस्तान में बलूच और खैबर पख्तुनवा, सिंध आदि में स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी.

    4-पाकिस्तान कम से कम 3 टुकड़ों में बंट जाए

    भारत जिस तरह की आक्रामकता इस बार दिखा रहा है उससे यही लगता है कि 1971 जैसे युद्ध के लिए वो तैयार है. अगर भारत और पाकिस्तान में सीधा मुकाबला होता है तो बलूचिस्तान, सिंध, और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्र अलग होने की उड़ान भर सकते हैं. कुछ लोगों का दावा है कि भारत, अफगानिस्तान और कुछ अन्य देश इन आंदोलनों को समर्थन दे सकते हैं. पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट में है. कर्ज का बोझ ($73 बिलियन 2025 तक चुकाना) और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी ($4.3 बिलियन, 2023 में) के चलते पाकिस्तान सरकार कमजोर स्थिति में है. जिसका सीधा फायदा भारत उठाएगा. बलूचिस्तान और सिंध अगर स्वतंत्रता की घोषणा करते हैं तो भारत उन्हें सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में होगा. पाकिस्तान के इन अलगाववादी आंदोलनों के चलते अफगानिस्तान या ईरान जैसे पड़ोसी देश भी अपना प्रभाव बढ़ा सकते हैं.

     

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