Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • नेताओं से असुरक्षित स्त्रियाँ? ऐसे तो कमजोर राष्ट्र बनेगा
    • न्यूयॉर्क में बड़ा हादसा: ब्रुकलिन ब्रिज से टकराया मैक्सिकन नौसेना का जहाज, 19 लोग ज्यादा लोग घायल
    • भारत ने उत्तर-पूर्व और विदेशों में बांग्लादेश के निर्यात पर पाबंदी क्यों लगाई?
    • LIVE: इसरो का 101वां सैटेलाइट मिशन तकनीकी ख़राबी के कारण विफल
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 मई, दिनभर की ख़बरें
    • Shravasti News: श्रावस्ती में भाजपाइयों ने निकाली तिरंगा यात्रा, भारत पहले छेड़ता नहीं और किसी ने छेड़ा तो उसे छोड़ता नहीं
    • क्या पाकिस्तान पर हमले से भारत का कुछ नुकसान हुआ?
    • पसमांदा मुसलमानों का रुझान किस ओर? क्या बिहार में बदलेगा मुस्लिम वोटों का ट्रेंड? जानें किसको मिलेगा इनका समर्थन
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » पुलिस की नज़र में मुस्लिम: अपराधी या सिर्फ़ पूर्वाग्रह का शिकार?
    भारत

    पुलिस की नज़र में मुस्लिम: अपराधी या सिर्फ़ पूर्वाग्रह का शिकार?

    By March 28, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    क्या देश की पुलिस वर्दी के पीछे छिपा एक गहरा पूर्वाग्रह लिए चल रही है सीएसडीएस की ताज़ा रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला सच उजागर किया है। देश के कई पुलिसकर्मी मुस्लिम समुदाय को ‘स्वाभाविक अपराधी’ मानते हैं। दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य इस पूर्वाग्रह के केंद्र में हैं, जहां कानून के रखवाले खुद निष्पक्षता की कसौटी पर सवालों के घेरे में हैं। यह खुलासा न सिर्फ़ पुलिस की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाता है, बल्कि पूछता है कि क्या हमारा समाज वाक़ई में समानता की राह पर है, या यह सिर्फ़ कागज़ी वादा बनकर रह गया है

    दरअसल, हाल ही में प्रकाशित ‘स्टेटस ऑफ़ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2025: पुलिस टॉर्चर एंड (अन)अकाउंटेबिलिटी’ ने भारतीय पुलिस बल में एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दे को उजागर किया है। डेक्कन हेराल्ड ने यह ख़बर दी है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक़ इस अध्ययन में कहा गया है कि पुलिसकर्मियों में मुस्लिम समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह की भावना मौजूद है और इसमें दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य सबसे आगे हैं।

    रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंदू पुलिसकर्मी सबसे अधिक इस धारणा को मानते हैं कि मुस्लिमों का झुकाव ‘स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर होता’ है, जबकि सिख पुलिसकर्मियों में यह सोच सबसे कम पाई गई। यह खुलासा न केवल पुलिस व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, बल्कि भारत जैसे बहु-सांस्कृतिक देश में सामाजिक सौहार्द के लिए भी एक बड़ा ख़तरा पेश करता है।

    यह रिपोर्ट कॉमन कॉज और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज़ यानी सीएसडीएस द्वारा तैयार की गई है। इसमें देशभर के पुलिसकर्मियों के बीच सर्वेक्षण किया गया। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के पुलिसकर्मी सबसे अधिक इस सोच को मानते हैं कि मुस्लिम समुदाय अपराध की ओर ‘बहुत हद तक’ प्रवृत्त है। विशेष रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को शीर्ष तीन राज्यों के रूप में चिह्नित किया गया, जहां यह पूर्वाग्रह सबसे स्पष्ट रूप से देखा गया। इसके विपरीत, सिख पुलिसकर्मियों ने इस तरह की धारणा को सबसे कम स्वीकार किया, जो धार्मिक विविधता और संवेदनशीलता के बीच एक दिलचस्प अंतर को दिखाता है।

    मुस्लिम पुलिसकर्मियों की क्या सोच

    रोचक यह है कि हर पांच में से दो मुस्लिम पुलिसकर्मी यानी 40 प्रतिशत मानते हैं कि मुस्लिम ‘स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर प्रवृत्त’ होते हैं। सर्वे में शामिल लगभग एक-तिहाई मुस्लिम और हिंदू पुलिसकर्मी यह भी सोचते हैं कि ईसाई बहुत हद तक या कुछ हद तक अपराध करने की ओर प्रवृत्त हैं।

    यह सर्वेक्षण 16 राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी में 82 स्थानों- पुलिस स्टेशन, पुलिस लाइन और अदालतों में विभिन्न रैंकों के 8276 पुलिसकर्मियों पर किया गया।

    अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में सर्वे किए गए 39 प्रतिशत पुलिसकर्मी मानते हैं कि मुस्लिम बहुत हद तक अपराध करने की ओर प्रवृत्त हैं, जबकि 23 प्रतिशत का मानना है कि वे कुछ हद तक प्रवृत्त हैं।

    राजस्थान में 70 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 68 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 68 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 68 प्रतिशत, गुजरात में 67 प्रतिशत और झारखंड में 66 प्रतिशत पुलिसकर्मियों का मानना है कि मुस्लिम समुदाय बहुत हद तक या कुछ हद तक अपराध करने की ओर स्वाभाविक रूप से झुका हुआ है। कर्नाटक में ऐसा करने वाले 61 प्रतिशत हैं। कर्नाटक में केवल 7 प्रतिशत पुलिसकर्मी मानते हैं कि मुस्लिम बिल्कुल भी अपराध की ओर प्रवृत्त नहीं हैं।

    दलितों, आदिवासियों के प्रति भी पूर्वाग्रह

    गुजरात के पुलिसकर्मियों में सबसे अधिक हिस्सा यानी 68 प्रतिशत ऐसा मानता है कि दलित स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर प्रवृत्त हैं। महाराष्ट्र में 52 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 51 प्रतिशत पुलिसकर्मी भी मानते हैं कि दलित बहुत हद तक या कुछ हद तक अपराध करने की ओर प्रवृत्त हैं। कर्नाटक में यह 46 प्रतिशत है। गुजरात में 56 प्रतिशत और ओडिशा में 51 प्रतिशत पुलिसकर्मी मानते हैं कि आदिवासी स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर झुके हुए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हर पांच में से दो पुलिसकर्मी मानते हैं कि प्रवासी स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर प्रवृत्त हैं। आधे से अधिक पुलिसकर्मियों का मानना है कि हिजड़ा, ट्रांसजेंडर और समलैंगिक लोग समाज पर बुरा प्रभाव डालते हैं और पुलिस को उनके साथ सख्ती से निपटना चाहिए।

    बहरहाल, भारत में पुलिस बल में धार्मिक पूर्वाग्रह का मुद्दा नया नहीं है। 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट ने भी मुस्लिम समुदाय की सरकारी सेवाओं में कम भागीदारी की ओर इशारा किया था और सुझाव दिया था कि मुस्लिम बहुल इलाक़ों में वरिष्ठ मुस्लिम पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति से समुदाय का विश्वास बढ़ सकता है। 

    सच्चर समिति की सिफ़ारिशों के बावजूद पुलिस बल में मुस्लिम प्रतिनिधित्व अभी भी बेहद कम है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, यह केवल 3-4% के आसपास है।

    यह कमी न केवल समावेशिता की कमी को दिखाती है, बल्कि पुलिस की सोच और व्यवहार में पूर्वाग्रह को भी बढ़ावा दे सकती है।

    यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब देश में धार्मिक ध्रुवीकरण और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएँ चर्चा में हैं। राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश – ये तीनों राज्य बीजेपी शासित हैं और इन राज्यों में हाल के वर्षों में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ कथित पूर्वाग्रहपूर्ण कार्रवाइयों की ख़बरें सामने आती रही हैं। मिसाल के तौर पर 2019 के एक अन्य अध्ययन में भी कहा गया था कि पुलिसकर्मियों का एक बड़ा वर्ग गाय तस्करी जैसे मामलों में भीड़ द्वारा सजा देने को स्वाभाविक मानता है और इन घटनाओं में ज़्यादातर पीड़ित मुस्लिम ही होते हैं। इस तरह की मानसिकता न केवल कानून के शासन को कमज़ोर करती है, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ाती है।

    रिपोर्ट ने यह भी बताया कि हालांकि अधिकांश पुलिसकर्मियों को मानवाधिकार, जातिगत संवेदनशीलता और भीड़ नियंत्रण का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन यह प्रशिक्षण ज़्यादातर केवल नौकरी शुरू करने के समय ही होता है। नियमित और प्रभावी प्रशिक्षण की कमी के कारण पूर्वाग्रहपूर्ण सोच को दूर करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, पुलिसकर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी कमी दिखती है। जब पुलिस खुद को कानून से ऊपर मानने लगे या किसी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह दिखाए, तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरे की घंटी है।

    यह अध्ययन कई सवाल खड़े करता है। पहला, क्या पुलिस बल में धार्मिक और सामाजिक विविधता को बढ़ाने की दिशा में ठोस क़दम उठाए जाएंगे दूसरा, क्या सरकार और पुलिस प्रशासन इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेंगे और सुधार के लिए नीतियां बनाएंगे तीसरा, क्या यह पूर्वाग्रह केवल पुलिस तक सीमित है, या यह समाज के व्यापक हिस्से की सोच को दिखाता है इन सवालों के जवाब आने वाले समय में भारत की न्याय व्यवस्था और सामाजिक ढांचे को परिभाषित करेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही अभिव्यक्ति की आज़ादी को ‘सबसे कीमती अधिकार’ बताया है, लेकिन जब देश का पुलिस बल ही किसी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह रखता हो, तो यह आज़ादी कितनी सुरक्षित है राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में यह समस्या सबसे गंभीर रूप में सामने आई है, लेकिन यह पूरे देश के लिए एक सबक है। पुलिस सुधार, बेहतर प्रशिक्षण और समावेशी भर्ती नीतियों के बिना इस पूर्वाग्रह को ख़त्म करना मुश्किल होगा। 

    (रिपोर्ट का संपादन: अमित कुमार सिंह)

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी घिरीं; उनके कार्यक्रम में बवाल क्यों?
    Next Article भयंकर भूकंप: म्‍यांमार से थाईलैंड तक भारी तबाही, बैंकॉक और मांडले में आपातकाल, सैकड़ों की मौत की आशंका

    Related Posts

    नेताओं से असुरक्षित स्त्रियाँ? ऐसे तो कमजोर राष्ट्र बनेगा

    May 18, 2025

    भारत ने उत्तर-पूर्व और विदेशों में बांग्लादेश के निर्यात पर पाबंदी क्यों लगाई?

    May 18, 2025

    LIVE: इसरो का 101वां सैटेलाइट मिशन तकनीकी ख़राबी के कारण विफल

    May 18, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    न्यूयॉर्क में बड़ा हादसा: ब्रुकलिन ब्रिज से टकराया मैक्सिकन नौसेना का जहाज, 19 लोग ज्यादा लोग घायल

    May 18, 2025

    संयुक्त राष्ट्र ने बताया- 2024 में भुखमरी से दुनिया भर में 29.5 करोड़ लोग प्रभावित

    May 17, 2025

    बगदाद में अरब लीग का वार्षिक शिखर सम्मेलन आरंभ, ट्रंप की छाया में अरब देशों की कूटनीतिक चाल तेज

    May 17, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.