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    Home » प्रयागराज-कौशांबी बौद्ध सर्किट को नई पहचान देगी वंदे भारत सेवा
    Tourism

    प्रयागराज-कौशांबी बौद्ध सर्किट को नई पहचान देगी वंदे भारत सेवा

    Janta YojanaBy Janta YojanaNovember 10, 2025No Comments4 Mins Read
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    Prayagraj Vande Bharat (Social Media).

    Prayagraj Vande Bharat

    Prayagraj News: उत्तर प्रदेश भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से जुड़े स्थलों में समृद्ध है , जो बौद्ध सर्किट का निर्माण करते हैं। उत्तर प्रदेश की पावन भूमि बुद्ध के जीवन के पांच प्रमुख स्थलों में से चार ( सारनाथ, कौशाम्बी, कुशीनगर और श्रावस्ती) की जननी है इस कारण यूपी राज्य वैश्विक बौद्ध पर्यटन का केंद्र बन गया है।

    केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार इसे बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित कर रही है। उत्तर प्रदेश में बौद्ध सर्किट का विकास विदेशी पर्यटकों के आगमन का प्रमुख आकर्षण बनता जा रहा है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का माध्यम है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान को भी सशक्त बनाता है। वाराणसी से खजुराहो के बीच वन्दे भारत एक्सप्रेस के संचालन से इस सर्किट में आने वाले स्थलों में पहुंचने वाले विदेशी पर्यटकों को कम समय में अधिक स्थल देखने का अवसर मिलेगा। बौद्ध सर्किट पर्यटन योजना के तहत उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है।

    हेरिटेज टूरिज्म को मिलेगी नई पहचान

    डबल इंजन की सरकार की तरफ से वाराणसी से खजुराहो के लिए वंदेभारत एक्सप्रेस के संचालन टूर ऑपरेटर्स भी उत्साहित हैं। विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनते जा रहे हेरिटेज टूरिज्म को इससे संजीवनी मिलने वाली है। टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के प्रयागराज चैप्टर के चेयरमैन और टूर कंपनी होली वाटर्स इंडिया जर्निज के संचालक नीलेश नारायण का कहना है वंदेभारत एक्सप्रेस खजुराहो और वाराणसी जैसे दो प्राचीन शहरों को जोड़ रही है और दोनों की पहचान हेरिटेज सिटी के तौर पर रही है। वाराणसी में गंगा के घाट व सारनाथ के हेरिटेज स्थल और खजुराहो के मंदिर हेरिटेज टूरिज्म का बना केंद्र हैं। विदेशी टूरिस्ट यहां हेरिटेज टूरिज्म के लिए ही मुख्य तौर पर आता है। इस दृष्टिकोण से सरकार की तरफ से शुरू हुई यह सेवा हेरिटेज टूरिज्म के लिए संजीवनी साबित होगी । प्रयागराज के छिवकी में भी इस ट्रेन का एक पड़ाव है। इस हिसाब से अगर देखा जाय तो डोमेस्टिक टूरिस्ट के लिए यह सेवा वरदान साबित होगी । ऐसे टूरिस्ट जो धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के लिए वाराणसी , चित्रकूट और अयोध्या के साथ खजुराहो के प्राचीन मंदिरों को देखना चाहते हैं वंदे भारत की यह नई सेवा बहुत उपयोगी होगी। लेकिन विदेशी टूरिस्ट को प्रयागराज स्टे के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि यहां हिस्ट्री और हेरिटेज टूरिज्म के स्थलों का विकास और प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर करना होगा चाहिए। प्रयागराज में संग्रहालय, आनंद भवन, खुसरो बाग को विकसित करने के अलावा विशेष तौर पर कौशाम्बी के बौद्ध स्थलों को बौद्ध सर्किट से जोड़कर इन्हें विकसित करना होगा।

    कौशांबी बौद्ध तीर्थ क्षेत्र को मिलेगी पहचान

    बौद्ध नगरी कौशाम्बी को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नई पहचान दी है । अपने अतीत में सभ्यता और समृद्धि का इतिहास समेटे 14 महाजनपद काल में वत्स राज्य की राजधानी रही कौशांबी को उत्तर प्रदेश का पर्यटन विभाग बौद्ध तीर्थ के रूप में विकसित कर रहा है । प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि कौशाम्बी के कोसम इनाम गाँव को पर्यटन विभाग बौद्घ तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित कर रहा है । इसे बौद्घ सर्किट से जोड़ने के लिए यहां पर 11 हेक्टेयर में 22.93 करोड़ के बजट से बुद्धा थीम पार्क का विकास किया जा रहा है जिसका 68 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। इस पार्क में ओपन एयर थियेटर, महात्मा बुद्ध के जीवन पर आधारित संग्रहालय, बुद्ध पर आधारित म्यूरल्स, थीमेटिक गेट, कैफेटेरिया और ठहरने के लिए गेस्ट हाउस का निर्माण किया जाएगा । यहीं पर 22.64 करोड़ की लागत से कॉमन फैसिलिटी सेंटर और 23.94 करोड़ की लागत से थीम गेट का निर्माण हो रहा है जिसका 73 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।

    कौशाम्बी में तीन बौद्ध विहार दुनिया भर बौद्ध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। सारनाथ आने वाले इन पर्यटकों को नई वंदे भारत एक्सप्रेस की सेवा उपलब्ध होने से अब उनके टूर पैकेज में प्रयागराज और कौशाम्बी भी शामिल सकेगा।

    दो नए बौद्ध विहार के विकास लिए 300 लाख की योजना का प्रस्ताव

    प्रदेश सरकार कौशाम्बी के अलावा प्रयागराज में अन्य सरकारों के कार्यकाल में उपेक्षित रहे बौद्ध विहारों को विकसित कर उनमें सुविधाओं का विकास कर रही है। प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी अपराजिता सिंह के मुताबिक प्रयागराज के अरैल में सम्राट हर्ष वर्धन बौद्ध विहार के विकास के लिए 300 लाख का और 100 लाख की लागत से सुगतानंद बौद्ध विहार के विकास का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इन दोनों बौद्ध विहारों में सुविधाओं के विकास से यहां विदेशी बौद्ध पर्यटकों का फुटफॉल बढ़ेगा । वाराणसी खजुराहो वंदे भारत का संचालन इन विदेशी पर्यटकों के आवागमन लिए सहूलियत प्रदान करेगा।

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