रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने न केवल सीमा से सटे पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की, बल्कि उनकी धमक का अहसास पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय रावलपिंडी तक हुआ। यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को घोषित युद्धविराम के एक दिन बाद आया है। दोनों देशों ने शनिवार को युद्धविराम समझौते की घोषणा की थी।
राजनाथ सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘भारतीय सशस्त्र बलों ने शौर्य, पराक्रम और संयम के साथ पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर करारा जवाब दिया। हमने यह दिखा दिया कि भारत न केवल शक्तिशाली है, बल्कि वह आतंकवाद के निर्यात को बर्दाश्त नहीं करेगा।’ उन्होंने यह भी साफ़ किया कि भारत ने अपनी कार्रवाइयों में संयम बरता, लेकिन आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सुरक्षित नहीं रहने दिया जाएगा।
रक्षा मंत्री लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस एकीकरण और परीक्षण फ़ैसिलिटी के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उनका यह बयान तब आया है जब रविवार को ही इससे कुछ देर पहले पीएम मोदी ने रक्षा पर उच्च स्तरीय बैठक ली। इसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों के साथ-साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस अनिल चौहान के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल भी शामिल हुए।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढाँचा ढहाने के उद्देश्य से लांच किया था। हमने उनके आम नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया था। मगर पाकिस्तान ने न केवल भारत के नागरिक इलाकों को निशाना बनाया बल्कि मंदिर, गुरुद्वारा और गिरिजाघर पर भी हमले करने का प्रयास किया।’
उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ़ एक सैन्य कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है। यह ऑपरेशन आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की दृढ़ इच्छा शक्ति का और सैन्य शक्ति की क्षमता और संकल्प शक्ति का भी प्रदर्शन है। हमने दिखाया है कि भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ जब भी कोई कार्रवाई करेगा तो आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए सरहद पार की ज़मीन भी सुरक्षित नहीं रहेगी।’
राजनाथ सिंह ने कहा, “जिन भारत विरोधी और आतंकी संगठनों ने भारत माता के मस्तक पर हमला करके कई परिवारों के सिंदूर मिटाए थे, उन्हें भारतीय सेना ने ‘आपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से इंसाफ़ दिलाने का काम किया है। इसके लिए आज सारा देश भारतीय सेनाओं का अभिनंदन कर रहा है।”
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘
उन्होंने कहा, ‘भारत में आतंकवादी घटनाएँ करने और कराने का क्या अंजाम होता है, यह पूरे विश्व ने उरी की घटना के बाद देखा जब हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की, पुलवामा के बाद देखा जब बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की गईं और अब पहलगाम की घटना के बाद दुनिया देख रही है जब भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुस कर मल्टीपल स्ट्राइक्स की हैं।’
यह कार्रवाई 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए एक आतंकवादी हमले के जवाब में थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों, विशेष रूप से रावलपिंडी में नूर खान हवाई अड्डे पर हमले किए, जो पाकिस्तान की सैन्य परिवहन और हवाई ईंधन भरने की क्षमता का प्रमुख केंद्र है। यह अड्डा पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाले सामरिक योजनाएँ प्रभाग के मुख्यालय के भी निकट है।
अमेरिकी हस्तक्षेप को युद्धविराम समझौते को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, हालांकि भारत ने इस प्रक्रिया में किसी भी बाहरी भूमिका को स्वीकार नहीं किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका की सराहना की और कहा, ‘पाकिस्तान ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हित में इस समझौते को स्वीकार किया।’
युद्धविराम के बाद, उरी, पुंछ, फिरोजपुर, पठानकोट, अखनूर और राजौरी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। विस्थापित परिवार अपने घरों को लौट रहे हैं और स्थानीय बाजारों में कारोबार फिर से शुरू हो गया है। सुरक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रात भर कोई शत्रुतापूर्ण गतिविधि, गोलीबारी या ड्रोन गतिविधि की सूचना नहीं मिली। हालांकि, पंजाब में सीमावर्ती जिलों में सतर्कता के तौर पर रेड अलर्ट जारी है, और गश्त व निगरानी को बढ़ा दिया गया है।
कांग्रेस ने युद्धविराम समझौते के तौर तरीक़ों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार से अधिक पारदर्शिता की मांग की और प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने का आह्वान किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम में घटनाक्रम और युद्धविराम पर चर्चा के लिए एक विशेष संसद सत्र की भी मांग की। रमेश ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की “तटस्थ स्थल” वार्ता की टिप्पणी पर चिंता जताते हुए पूछा, “क्या हमने शिमला समझौते को छोड़ दिया है? क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दरवाजे खोल दिए हैं?”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।