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    Home » भारत-पाक के बीच नियंत्रण रेखा का जन्म कैसे हुआ?
    भारत

    भारत-पाक के बीच नियंत्रण रेखा का जन्म कैसे हुआ?

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 9, 2025No Comments5 Mins Read
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    भारत और पाकिस्तान के बीच 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (LoC) सिर्फ एक सीमा रेखा नहीं, बल्कि युद्ध, तनाव और शांति की एक जटिल कहानी है। यह जम्मू-कश्मीर में दोनों देशों के नियंत्रित क्षेत्रों को अलग करती है, जो संगम (कश्मीर) से सियाचिन ग्लेशियर के पास NJ9842 तक फैली है। चार युद्धों और बार-बार युद्धविराम उल्लंघनों के बावजूद LoC विवादों का केंद्र बनी हुई है। आखिर यह रेखा अस्तित्व में कैसे आई, और क्यों यह आज भी भारत-पाक संबंधों की धुरी है?

    पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर

    22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या कर दी। जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया। भारत ने LoC पार नहीं की, बल्कि अपनी सीमा से ही हमले किए, यह दर्शाते हुए कि वह युद्ध की बजाय आतंकवाद के खिलाफ लक्षित कार्रवाई पर केंद्रित है। लेकिन पाकिस्तान ने इसका बदला लेने की धमकी दी, और LoC पर गोलीबारी तेज हो गई। 26 अप्रैल से 2 मई 2025 तक आठ रातों की गोलीबारी में तीन नागरिक मारे गए। तनाव चरम पर है, और LoC फिर से सुर्खियों में है।

    LoC का जन्म: बँटवारे से युद्ध तक

    LoC की कहानी 1947 के भारत-पाक बँटवारे से शुरू होती है। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहने का फ़ैसला किया, लेकिन पाकिस्तान ने कबायली घुसपैठ के ज़रिए युद्ध छेड़ दिया। हालात बिगड़ने पर हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। भारत की सेना युद्ध में कूदी, और 1 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र (UN) ने युद्धविराम लागू किया।

    27 जुलाई 1949 को हुए कराची समझौते ने 832 किमी लंबी युद्धविराम रेखा (Ceasefire Line, CFL) बनाई, जो NJ9842 तक परिभाषित थी। सियाचिन जैसे दुर्गम क्षेत्र को अपरिभाषित छोड़ दिया गया। UNMOGIP (संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह) की स्थापना CFL की निगरानी के लिए हुई। यह रेखा 1972 में शिमला समझौते के बाद LoC में तब्दील हुई।

    1971 का युद्ध और शिमला समझौता

    1971 का भारत-पाक युद्ध निर्णायक था। पाकिस्तान की हार हुई, बांग्लादेश बना, और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। 2 जुलाई 1972 को इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौता साइन किया, जिसने CFL को 740 किमी लंबी LoC में बदला।

    सियाचिन: LoC का अनसुलझा हिस्सा

    1970 के दशक में पाकिस्तान ने सियाचिन में पर्वतारोहण अभियान शुरू किए और इसे अपने नक्शों में दिखाया। भारत सतर्क हुआ, क्योंकि सियाचिन, लद्दाख, काराकोरम दर्रा और चीन-पाकिस्तान गलियारे के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। 13 अप्रैल 1984 को भारत ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ शुरू किया। कुमाऊँ रेजिमेंट और लद्दाख स्काउट्स ने बिलाफोंड ला, सिया ला और ग्यांग ला जैसे प्रमुख दर्रों पर कब्जा कर लिया। आज सियाचिन पर भारत का पूर्ण नियंत्रण है, लेकिन पाकिस्तान पश्चिमी हिस्सों पर दावा करता है, जिससे तनाव बरकरार है।

    युद्धविराम उल्लंघन: बार-बार टूटता भरोसा

    LoC पर युद्धविराम का इतिहास उल्लंघनों से भरा है। 1949 के कराची समझौते ने पहला युद्धविराम लागू किया, लेकिन 1965 का युद्ध और 1989 से कश्मीरी उग्रवाद ने इसे कमजोर किया। 1972 के शिमला समझौते के बाद भी 1999 का कारगिल युद्ध और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद ने युद्धविराम को तोड़ा। 2003 में दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) ने गोलीबारी रोकने का ऐलान किया, लेकिन 2008 के मुंबई हमले (166 मरे), 2016 के उरी हमले (18 सैनिक मरे) और 2019 के पुलवामा हमले (40 CRPF जवान मरे) के बाद उल्लंघन बढ़े।

    आँकड़े बताते हैं कि 2018 में 2,140, 2019 में 3,479 और 2020 में 5,133 उल्लंघन हुए—2003 के बाद सबसे ज़्यादा। 25 फरवरी 2021 को दोनों DGMOs ने युद्धविराम बहाल करने का वादा किया, जिसके बाद 2021 में 664 और 2022-2024 में कुछ दर्जन उल्लंघन हुए।

    वर्तमान संकट: युद्ध की छाया

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद LoC पर तनाव चरम पर है। पाकिस्तान की गोलीबारी और आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं। भारत में भावनाएँ प्रबल हैं कि आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। कुछ लोग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को भारत में मिलाने की माँग कर रहे हैं, जो संसद का सर्वदलीय संकल्प भी है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है और दोनों पर शांति का दबाव डाल रहा है।

    भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी कार्रवाइयाँ आतंकवाद और सीमा पार गोलीबारी के ख़िलाफ़ हैं, युद्ध का ऐलान नहीं। लेकिन भविष्य अनिश्चित है। क्या यह तनाव युद्ध में बदलेगा, या शांति की कोई राह निकलेगी?

    नियंत्रण रेखा भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ एक भौगोलिक रेखा नहीं, बल्कि नफरत, युद्ध और टूटे वादों का प्रतीक है। सियाचिन से लेकर आतंकवाद तक, LoC हर बार तनाव का केंद्र बनती है। पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति और युद्धविराम उल्लंघनों ने इस रेखा को बारूद का ढेर बना दिया है। भारत की नीति स्पष्ट है— आतंकवाद का जवाब और शांति की कोशिश। लेकिन जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियाँ नहीं बदलता, LoC पर शांति एक दूर का सपना रहेगी।

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