Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • भारत-पाक के बीच नियंत्रण रेखा का जन्म कैसे हुआ?
    • नए पोप के रूप में रॉबर्ट प्रीवोस्ट के नाम की घोषणा फ्रांस के कार्डिनल डोमिनिक माम्बरटी ने की
    • भारत-पाकिस्तान तनावः ईरान, सऊदी अरब, यूएस क्यों चाह रहे हैं न हो युद्ध
    • Live ताज़ा ख़बरेंः चंडीगढ़ में हमले के मद्देनज़र सायरन गूंजा, दिल्ली में सुरक्षा बढ़ी
    • वेटिकन में नया नेतृत्व, लेकिन ट्रम्प और वेंस की नीतियों से असहमत हैं पोप लियो
    • US के बाद सिंगापुर ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी, ‘पाकिस्तान की यात्रा न करें’
    • पाकिस्तान के हमले शुरू, भारत कर रहा नाकाम
    • अमेरिका ने भी अपने नागरिकों और दूतावास के अधिकारियों के लिए एडवाइजरी जारी की, लाहौर से निकल जाएं अमेरिकी नागरिक
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » स्वाधीनता संग्राम में बापू के योगदान की मिटाने की कोशिश?
    भारत

    स्वाधीनता संग्राम में बापू के योगदान की मिटाने की कोशिश?

    By February 7, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    एरिक हॉब्सबॉम का प्रसिद्ध कथन है कि (सांप्रदायिक) राष्ट्रवाद के लिए इतिहास उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी अफ़ीमची के लिए अफीम।

    हमारे देश में दक्षिणपंथ तेजी से अपने पंख फैला रहा है। और उतनी ही तेजी से उसके वैचारिक कर्ताधर्ता उसके राजनैतिक एजेंडा के अनुरूप नया इतिहास गढ़ रहे हैं। इस नए इतिहास में कुछ चीज़ों का महिमामंडन किया जा रहा है तो कुछ चीज़ों को दबाया, छुपाया और मिटाया जा रहा है। इस विरूपण के निशाने पर भारतीय के अतीत का प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक दौर तीनों हैं।

    मध्यकालीन इतिहास को इसलिए तोड़ा-मरोड़ा गया ताकि यह दिखाया जा सके कि वह इस्लामिक साम्राज्यवाद का दौर था, जिसमें दुष्ट, क्रूर और धर्मांध मुस्लिम राजा शासन करते थे। इसके ज़रिये आज के मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाई गई। प्राचीन भारत को वे देश का स्वर्णकाल बताते हैं। मगर उसके इतिहास से भी छेड़छाड़ करने से वे बाज नहीं आए। उन्हें यह साबित करना था कि आर्य, इस भूमि के मूल निवासी थे।

    स्वाधीनता संग्राम के सन्दर्भ में उन्होंने नेहरू पर निशाना साधा क्योंकि नेहरू ही वे महापुरुष थे जिन्होंने न सिर्फ सैद्धांतिक बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी धर्मनिरपेक्षता को अपनाया। नेहरू जानते थे कि भारत में धर्मनिरपेक्षता को ज़मीन पर उतारना एक बेहद कठिन काम है क्योंकि भारतीय समाज का बड़ा तबक़ा अंध-धार्मिकता के चंगुल में है। उन्होंने बहुसंख्यकवादी साम्प्रदायिकता के ख़तरे को समझा और उसे फासीवाद के समकक्ष बताया। नेहरू का मानना था कि अल्पसंख्यक साम्प्रदायिकता अधिक से अधिक अलगाववादी हो सकती है।

    नेहरू के गुरु महात्मा गाँधी की हत्या एक ऐसे व्यक्ति ने की थी जो हिन्दू महासभा के लिए काम करता था और आरएसएस द्वारा प्रशिक्षित था। मगर गांधीजी का दानवीकरण करना आसान नहीं था। इसका कारण था उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा और भारतीयों के दिलों में उनके प्रति प्रेम और श्रद्धा का भाव।

    मगर अब जबकि सांप्रदायिक दक्षिणपंथ को लगता है कि उसकी जड़ें काफी गहराई तक पहुँच चुकी हैं, इसलिए उसके चिन्तक-विचारक अब गांधीजी की ‘कमियों’ पर बात करने लगे हैं और भारत के स्वतंत्रता हासिल करने में उनके योगदान को कम करके बताने लगे हैं। इस 30 जनवरी को जब देश राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दे रहा था तब कुछ पोर्टल ऐसे वीडियो प्रसारित कर रहे थे जिनका केन्द्रीय संदेश यह था कि गांधीजी केवल उन कई लोगों में से एक थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। 

    अलग-अलग पॉडकास्टों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के ज़रिये यह प्रचार किया जा रहा था कि अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे महात्मा गाँधी के प्रयासों की बहुत मामूली भूमिका थी।

    पिछले कई सालों से ‘महात्मा गोडसे अमर रहें’ के नारे ट्विटर (अब एक्स) पर अलग-अलह मौकों पर गूंजते रहे हैं। यह सचमुच बहुत खेदजनक और दुखद है। पूनम प्रसून पांडे ने गांधीजी के पुतले पर गोलियां चलाईं और फिर उससे खून बहता दिखाया। तीस जनवरी को 11 बजे सुबह सायरन बजाने और दो मिनट का मौन रखने की परंपरा का भी पूरी तरह पालन नहीं किया जा रहा है। इस साल महाराष्ट्र सरकार ने दो मिनट के मौन के बारे में जो सर्कुलर जारी किया, उसमें गांधीजी का नाम तक नहीं था।

    गाँधीजी के शहादत दिवस पर इन सब दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हालातों के बावजूद भी क्या हम भूल सकते हैं कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी। यह दुष्प्रचार किया जाता है कि गांधीजी और कांग्रेस ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को नज़रअंदाज़ किया। तथ्य यह है कि नेताजी और कांग्रेस में भले ही रणनीति को लेकर कुछ मतभेद रहे हों मगर दोनों का मूल उद्देश्य एक ही था- अंग्रेजों को देश से बाहर करना। नेताजी ने ही पहली बार गांधीजी को ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था। उन्होंने अपनी आज़ाद हिंद फ़ौज की एक बटालियन का नाम ‘गाँधी बटालियन’ रखा था। गाँधीजी और कांग्रेस ने आज़ाद हिंद फौज के गिरफ्तार कर लिए गए सेनानियों के मुक़दमे लड़ने के लिए भूलाभाई देसाई, कैलाशनाथ काटजू और जवाहरलाल नेहरू जैसे जानेमाने वकीलों की समिति गठित की थी।

    हमें यह भी बताया जा रहा है कि गांधीजी ने भगतसिंह को फाँसी से बचाने के लिए कुछ नहीं किया। मगर हमसे यह तथ्य छिपा लिया जाता है कि गांधीजी ने लार्ड इरविन को पत्र लिख कर भगतसिंह को मौत की सजा न देने के लिए कहा था। इसके जवाब में इरविन ने कहा कि वे ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि पंजाब के सभी ब्रिटिश अधिकारियों ने धमकी दी है कि अगर गांधीजी के अनुरोध को स्वीकार किया गया तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे। सबसे दिलचस्प बात यह है कि भगतसिंह ने अपने पिता से अनुरोध किया था कि वे भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के जनरल (महात्मा गाँधी) का समर्थन करें। और भगतसिंह के पिता कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

    गांधीजी के योगदान को कम करके बताने के लिए उनके द्वारा शुरू किये गए तीन बड़े आंदोलनों में दोष निकाले जाते हैं। सन 1920 के असहयोग आन्दोलन – को अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ाई में आमजनों को शामिल करने का पहला गंभीर प्रयास था- के बारे में कहा जाता है कि वह इसलिए प्रभावी नहीं हो सका क्योंकि उसे चौरीचौरा की घटना के बाद वापस ले लिया गया। चौरीचौरा में भीड़ ने एक पुलिस थाने में आग लगाकर कई पुलिसवालों को जिंदा जला दिया था। सांप्रदायिक ताकतें यह आरोप भी लगाती हैं कि गांधीजी का खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करने का निर्णय सही नहीं था क्योंकि यह आन्दोलन तुर्की में उस्मानी साम्राज्य की पुनर्स्थापना की मांग को लेकर शुरू हुआ था। मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि गांधीजी के इसी निर्णय के चलते भारत में बड़ी संख्या में मुसलमानों ने ब्रिटिश-विरोधी आन्दोलन में शिरकत की। इसी तरह, मोपला विद्रोह को भी मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर हमले के रूप में प्रचारित किया जाता है। सच यह है कि यह गरीब मुस्लिम किसानों का जन्मियों (ज़मींदारों, जिनमें से अधिकांश हिन्दू थे) का खिलाफ विद्रोह था। ब्रिटिश सरकार ज़मींदारों के हक में थी।

    सन 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में कहा जा रहा है कि इससे गाँधी-इरविन समझौते के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ। सच यह है कि इस समझौते से भारतीय स्वाधीनता संग्राम को नयी ताक़त मिली।

    यह भी बताया जाता है कि नमक सत्याग्रह से नमक पर कर समाप्त नहीं हुआ। मगर सच यह है कि इसके बाद लोगों को नमक बनाने की आज़ादी मिल गई। नमक बनाना गैर-कानूनी नहीं रहा।

    जहाँ तक 1942 के ‘करो या मरो’ के नारे और भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रश्न है, यह सही है कि इसके शुरू होते ही गांधीजी और कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और यह आन्दोलन हिंसक भी हो गया था। मगर इस आन्दोलन ने जनता में जबरदस्त जागरूकता उत्पन्न की। यह उस जनचेतना के प्रसार का चरम बिंदु था जिसकी शुरुआत 1920 के असहयोग आन्दोलन से हुई थी।

    इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि भगतसिंह और उनके जैसे अन्य क्रांतिकारियों, सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फौज और नौसैनिकों के विद्रोह ने भी लोगों को जगाने का काम किया, उनमें आज़ादी की चाहत जगाई और भारतीयता के भाव को मजबूती दी। मगर गांधीजी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था। उसके कारण भारतीयों में भाईचारे का भाव जन्मा। सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने इसे भारत के एक राष्ट्र बनने की प्रक्रिया बताया था।

    भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के दो लक्ष्य थे। एक, ब्रिटिश सरकार से मुक्ति पाना और दो, भारत को एक राष्ट्र का स्वरूप देना। गांधीजी को यह अहसास था कि स्वाधीनता पाने के लिए लोगों को एक करना सबसे ज़रूरी है। दक्षिणपंथी सांप्रदायिक ताकतें लोगों को जगाने और भारत को एक राष्ट्र बनाने में गांधीजी के योगदान को स्वीकार करें या न करें मगर यही प्रयास, यही योगदान गांधीजी को राष्ट्रपिता बनाता है।

    (अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया। लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं।)

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleशेख हसीना की यूनुस सरकार पर की गई सख्त टिप्पणी बांग्लादेश को रास नहीं आई, भारत से की ये शिकायत
    Next Article Chandrashekhar Azad News: सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कर दी बड़ी मांग, सरकार से सेना और अर्धसैनिक बलों के वेतन को इनकम टैक्स फ्री करने को कहा

    Related Posts

    भारत-पाक के बीच नियंत्रण रेखा का जन्म कैसे हुआ?

    May 9, 2025

    भारत-पाकिस्तान तनावः ईरान, सऊदी अरब, यूएस क्यों चाह रहे हैं न हो युद्ध

    May 9, 2025

    Live ताज़ा ख़बरेंः चंडीगढ़ में हमले के मद्देनज़र सायरन गूंजा, दिल्ली में सुरक्षा बढ़ी

    May 9, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025

    सरकार ने बढ़ाए कपास बीज के दाम, किसान बोले बढ़ती लागत को कम करे

    April 14, 2025

    जल संकट: मध्य प्रदेश के 6 जिलों में 100% से ज़्यादा हो रहा भूजल दोहन

    April 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    नए पोप के रूप में रॉबर्ट प्रीवोस्ट के नाम की घोषणा फ्रांस के कार्डिनल डोमिनिक माम्बरटी ने की

    May 9, 2025

    US के बाद सिंगापुर ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी, ‘पाकिस्तान की यात्रा न करें’

    May 8, 2025

    अमेरिका ने भी अपने नागरिकों और दूतावास के अधिकारियों के लिए एडवाइजरी जारी की, लाहौर से निकल जाएं अमेरिकी नागरिक

    May 8, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.