मध्य प्रदेश के भिंड जिले से पुलिस का बेहद खौफनाक चेहरा सामने आया है। मसला कथित अवैध उत्खनन, खनिज के अवैध परिवहन और पुलिस की चौथ वसूली का है। आरोप है कि ख़बरें छापने वाले पत्रकारों को एसपी ऑफिस में बुलाकर एसपी के कक्ष में बेरहमी से पिटाई की गई है। मामला उजागर होने के बाद सरकार मौन है और पुलिस पूरे मसले में लीपापोती करने में जुटी हुई है। मामले की शिकायत जिला कलेक्टर से की गई है। एसपी ने पत्रकारों के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि ‘ये सब ब्लैकमेलर हैं’।
घटनाक्रम बीती 1 मई, मजदूर दिवस का है। आरोप है कि अवैध रूप से खनिज उत्खनन, इसके अवैध परिवहन और पुलिस की कथित चौथ वसूली से जुड़ी ख़बरें, कुछ यूट्यूब चैनल और स्थानीय समाचार पत्र निरंतर छाप एवं दिखला रहे थे। पुलिस ने इन्हें चिन्हित किया। एक मई को भिंड एसपी ऑफिस बुलाया गया। यहाँ बता दें कि भिंड के एसपी असित यादव हैं। जबकि कलेक्टर पद पर संजीव श्रीवास्तव तैनात हैं। अलग-अलग थाना क्षेत्रों में निवासरत पत्रकारों को संबंधित थाने से सूचनाएँ दी गईं। बताया गया कि एसपी साहब ने बुलाया है। कुछ को चाय का हवाला दिया गया
आरोप है कि चिन्हित पत्रकार पहुँचे तो एसपी कक्ष में मौजूद एडिशनल एसपी, डीएसपी, विभिन्न थानों के प्रभारियों और अन्य उपस्थित पुलिस कर्मियों ने एक के बाद एक चिन्हित पत्रकारों को जमकर पिटाई की।
कानपुर से ऑनएयर होने वाले यू-ट्यूब चैनल ‘एनटीवी भारत’ के चीफ एडिटर प्रीतम सिंह राजावत ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, ‘उन्होंने 30 अप्रैल को एसपी से मुलाकात का समय मांगा था। भिंड से ‘हिन्दुस्तान प्रगति’ नामक समाचार पत्र प्रकाशित होता है। प्रीतम सिंह इससे भी जुड़े हुए हैं। प्रीतम सिंह ने कहा, ‘फौज से रिटायर हुए अपने सगे चाचा सुमेर सिंह के 2 मई 2025 को भिंड में आयोजित रिटायरमेंट की पार्टी का कार्ड देना चाहते थे।’ प्रीतम सिंह ने बताया, ‘उन्होंने समझा, चाचा की पार्टी के कार्ड के लिए एसपी ऑफिस बुलाया गया होगा, सो वे चले गए।’
प्रीतम का आरोप है, ‘इसके बाद कुछ पुलिस वालों ने उन्हें जकड़ लिया, सबसे पहले एसपी ने उन्हें जमकर पिटाई की। पुलिस के खिलाफ खबरें छापने को लेकर सवाल किए। बाद में एसपी के अन्य मातहतों ने पिटाई की। आंखों में चोट आयी। पूरा बदन सूजा दिया। लात-घूसे, थप्पड़ जड़े। बेरहमी से मारा। तीन दिन कानपुर में उपचार कराने के बाद 4 मई को लौटा हूँ।’
प्रीतम का दावा है, ‘उनके पहुंचने के पहले से एसपी कक्ष में उन पत्रकारों को पिटा जा रहा था जो पुलिस के खिलाफ खबरें चलाते या छापते हैं। कहा गया कि पुलिस को छोड़कर किसी के भी खिलाफ खबर चलाओ, लेकिन पुलिस को ऊंगली की तो बख्शा नहीं जाएगा। बारी-बारी से पिटाई कर, पत्रकारों को वापस भेजा जाता रहा।’
प्रीतम का यह भी दावा है, ‘हरेन्द्र सिंह भद्रपति और राहुल कुशवाहा नामक पत्रकारों ने तो पिटाई के दौरान पेंट में ही पेशाब कर दी। दैनिक भास्कर के एक वो पत्रकार जिसने अपने यहां खबर नहीं चलने/छपने पर, खबर उन्हें (प्रीतम को) पास कर दी थी और उन्होंने चला दी थी की भी पुलिस की पिटाई से पेंट में ही पेशाब छूट गई। पेशाब होती देख, पुलिस वाले ठहाके लगाते और दूसरे पत्रकारों में खौफ पैदा करने के लिए नजारा दिखाते रहे।’
‘मुंह पर चप्पलें बरसाईं’
बीते 15 सालों से भिंड में पत्रकारिता कर रहे शशिकांत गोयल (मूलतः जाटव समाज से आते हैं) को भी चप्पलों से पीटा गया। गोयल ने ‘सत्य हिन्दी’ से आपबीती साझा करते हुए बताया, ‘उन्हें थाने से फोन आया था। एसपी साहब ने याद किया है। चले गए। पहुंचे तो गिरिश शर्मा नामक पुलिस वाले ने काले रंग की दानेदार चप्पल उनके मुंह पर जमकर बरसाईं। जगह-जगह घाव हो गए। कनपटी लाल हो गई। आंख के नीचे नील पड़ गए।’
गोयल का भी यही कहना है, ‘पुलिस के खिलाफ छोड़कर किसी भी विभाग के खिलाफ छापो, कोई ऐतराज नहीं करेंगे। पुलिस को छेड़ा, तो छोड़ा नहीं जाएगा‘बचा हुआ दांत भी तोड़ देंगे’एसपी ऑफिस तलब किए गए 56 साल के अमरकांत चौहान उस दिन को याद कर आज भी कंपकपा रहे हैं। उन्होंने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, ‘एसपी ऑफिस से फोन आया, तब वे सो रहे थे। पत्रकारिता करते हुए 25 साल हो गए हैं। अभी स्वराज एक्सप्रेस न्यूज चैनल के वे भिंड जिला ब्यूरो प्रमुख हैं। साथ में एक दुकान भी चलाते हैं।’
अमरकांत के अनुसार सोकर उठने पर कॉलबैक किया। बताया गया एसपी साहब याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा प्रेस कांफ्रेंस है। जवाब मिला, चाय पर आ जाइये। वे चले गए।’
अमरकांत ने आरोप लगाया, ‘मुझे पीटा तो नहीं गया, लेकिन गंदी-गंदी गालियां एसपी ने दीं। बोला, कलेक्टर के हिमायती हो। हमारे खिलाफ खबरें करते हो। कितने दांत हैं? बताया एक। जवाब मिला वो भी तोड़ देंगे। पुलिस के खिलाफ खबरें करना बंद कर दो।’
एसपी बोले- ‘ब्लैकमेलर हैं सब’
पूरे घटनाक्रम को लेकर हमने, एसपी असीत यादव से बात की। उन्होंने कहा, ‘घटना को बेवजह तूल दिया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रीतम सिंह, अमरकांत चौहान और शशिकांत गोयल के खिलाफ लंबे समय से लोगों को ब्लैकमेल करने की शिकायतें हैं।’ जब उनसे पूछा गया, आप डेढ़ सालों से भिंड के एसपी हैं, कोई एफ़आईआर इन तीनों के ख़िलाफ़ हैं? एसपी ने कहा, ‘कोई एफ़आईआर तो नहीं है। शिकायतें भर हैं।’
‘आवेदन संभागायुक्त को भेज दिया है’
भिंड के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, ‘उन्हें कुछ पत्रकारों के एक मई को एसपी कार्यालय में बुलाकर पीटने संबंधी शिकायती आवेदन मिले हैं। पत्रकारों के जो आवेदन आये हैं, उन्होंने वो सभी आवेदन, ज़रूरी कार्रवाई के लिए ग्वालियर संभागायुक्त को अग्रेषित कर दिए हैं।’
कलेक्टर-एसपी की तनातनी में पिटे पत्रकार?
अमरकांत, प्रीतम और शशिकांत गोयल ने बातचीत में एक सुर में कहा, ‘भिंड डीएम पद पर जब से संजीव श्रीवास्तव आये हैं, तब से खनन और अन्य मॉफिया आहत हैं। सबके धंधे उन्होंने बंद कर रखे हैं।’
उधर, अमरकांत चौहान ने कहा, ‘एसपी धमका रहे थे, कलेक्टर के खास बनते हो, उनके पक्ष में और हमारे खिलाफ खबरें करते हो’। इससे लगता है कि कलेक्टर और एसपी के बीच रिश्ते सही नहीं हैं। बता दें कि संजीव श्रीवास्तव लंबे वक्त से भिंड के डीएम पद पर आसीन हैं। भेस बदलकर रेड करने, मॉफिया से सीधे भिड़ जाने संबंधी ख़बरें उन्हें लेकर लगातार आती रही हैं।सरकार ने साधी चुप्पी!
पूरा घटनाक्रम आने के बाद राजनीति शुरू हो गई है। सरकार और भाजपा संगठन के साथ-साथ मप्र के डीजीपी को भी शिकायत हुई है। चार दिन हो चुके हैं। अब तक कोई एक्शन नजर नहीं आया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव यूं तो अफसरों को सजा देने में देर नहीं करते हैं, लेकिन चार दिनों के बाद भी इस सनसनीखेज घटना को लेकर सरकार की ओर से कोई बड़ा एक्शन अभी तक सामने नहीं आया है।
इस बीच, पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाये और पत्रकारों पर ‘थर्ड डिग्री’ के उपयोग के लिए दोषी, भिंड जिले के एसपी को तत्काल सस्पेंड करते हुए सभी दोषी पुलिस वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।