Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Satya Hindi News Bulletin । 02 मई, दिनभर की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin । 02 मई, 8 बजे की ख़बरें
    • फूलों की घाटी फिर से महकी: उत्तराखंड का यह अनमोल रत्न 2025 के पर्यटन सीजन के लिए खुला
    • क्या देशभक्त होना इतना बड़ा गुनाह …. सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस से इशारों में पूछे सवाले, देश में हो रहे बवाल पर जताया दुख
    • इस महाभारत का शांतिपर्व कहाँ है?
    • Satya Hindi News Bulletin। 2 जून, दोपहर तक की ख़बरें
    • सावरकर-गोडसे परिवार के संबंधों को रिकॉर्ड में लाने की राहुल की मांग क्यों ठुकराई?
    • रूस का पर्ल हार्बर! यूक्रेन के ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने मचाया कहर
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » क्या भोपाल का प्रशासनिक अमला 29 हज़ार वृक्षों का स्थानांतरण कर पाएगा?
    ग्राउंड रिपोर्ट

    क्या भोपाल का प्रशासनिक अमला 29 हज़ार वृक्षों का स्थानांतरण कर पाएगा?

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 14, 2024Updated:August 11, 2024No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    भोपाल में मंत्रियों और अफसरों के सरकारी बंगलों के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव के खिलाफ लगातार प्रदर्शन जारी हैं. शुक्रवार की शाम भी शिवाजी नगर के 6 नंबर इलाके में सैकड़ों की संख्या में लोग इकठ्ठा हुए और सरकार से फैसले को वापस लेने की मांग की. हाथ में तख्तियाँ लेकर और सरकार को इस फैसले के खिलाफ संकल्प पत्र लिखते हुए शिवाजी नगर, तुलसी नगर सहित भोपाल के अलग-अलग हिस्से से यहाँ लोग इकठ्ठा हुए. प्रदर्शन में शामिल कुमुद सिंह हमसे बात करते हुए कहती हैं,

    “सरकार का यह फैसला उनकी अदूरदर्शिता दिखाता है.”

    दरअसल सरकार की प्रस्तावित परियोजना के तहत 2 हज़ार 378 करोड़ के बजट से मंत्रियों के लिए 30 बंगले और अधिकारियों के लिए 3 हज़ार से ज़्यादा बंगले बनने हैं. हालाँकि इस प्रस्ताव के निरस्त होने की एक खबर भी वायरल हुई थी मगर हमारी पड़ताल में यह खबर ग़लत पाई गई. इस विवाद के बीच सम्बंधित विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 29 हज़ार पेड़ काटे नहीं बल्कि स्थानांतरित (transplantation) किए जाएँगे. मगर सवाल यह है कि क्या वाकई भोपाल नगर निगम या फिर वन अमला इतना सक्षम है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ स्थानांतरित किए जा सकें?

    तुलसी नगर इलाके में दोपहर में वृक्ष के नीचे आराम फ़रमाते कामगार 

    वृक्षों के स्थानांतरण का भारतीय परिदृश्य

    उपर्युक्त सवाल पर बात करने से पहले यह समझ लेते हैं कि वृक्षों को काटने की अनुमति आखिर मिलती कैसे है? भोपाल नगर निगम की अपर आयुक्त निधि सिंह ग्राउंड रिपोर्ट को बताती हैं, 

    “यदि कहीं पेड़ काटे जाने हैं तो उसकी अनुमति देने का काम नगर निगम करता है. यदि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या अधिक है, उदहारण के लिए 4 या 5 हज़ार तो आवेदनकर्ता को पहले पर्यावरण वानिकी मंडल की अनुमति आवश्यक होती है.” 

    हमने वन विभाग के अधिकारियों से भी यह जानने की कोशिश की कि वह किस आधार पर यह अनुमति देते हैं? इसके लिए हमने भोपाल के ज़िला वन अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की मगर उन्होंने व्यस्तताओं के चलते बात करने से इनकार कर दिया. उनका जवाब मिलने पर खबर अपडेट कर दी जाएगी. 

    मगर पेड़ों को काटा जाना और उन्हें स्थानांतरित किया जाना दो अलग-अलग बात हैं. 29 हज़ार पेड़ों को स्थानांतरित किए जाने की बात पर राष्ट्रिय मानव स्थापन एवं पर्यावरण केंद्र (NCHSE) के डीजी डॉ. प्रदीप नन्दी सवाल उठाते हुए कहते हैं,

    “इतने बड़े पेड़ों को ट्रांसफर करना नामुमकिन है. पेड़ एक ‘लिविंग ऑर्गैनिज्म होते हैं उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर भी नुकसान होता ही है.”

    साल 2021 में वन अनुसंधान संस्थान (FRI), देहरादून ने केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समक्ष वृक्षों के स्थानान्तरण से सम्बंधित एक रिपोर्ट पेश की. इसमें 17 प्रदेशों के वृक्ष स्थानांतरण के आँकड़ों का अध्ययन किया गया. रिपोर्ट के अनुसार पाँच राज्यों ने वन अनुसंधान संस्थान को बताया कि उन्होंने वृक्षों का कभी भी स्थानान्तरण नहीं किया है. इन 5 राज्यों में मध्यप्रदेश भी शामिल है. इसके अलावा केरल, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा शामिल है. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि इन राज्यों के वन विभाग के पास ऐसे संसाधन भी नहीं है कि वह ऐसी विशेषज्ञतापूर्ण गतिविधि कर सकें.

    डॉ. नन्दी भी प्रशासन में विशेषज्ञों की अनुपस्थिति को रेखांकित करते हैं. वह कहते हैं कि शहर के विकास के लिए योजना बनाने वाले विभागों के पास ऐसे विशेषज्ञ नहीं हैं जो पर्यावरणीय क्षति को कम करने में मदद कर सकें. 

    क्या स्थानान्तरण बेहतर विकल्प है?

    प्रदर्शन में शामिल बिंदिया 29 हज़ार वृक्षों को स्थानांतरित करने की बात को बचकाना मानती हैं. वह कहती हैं,

    “मुझे यह नहीं समझ आता कि ऊपर बैठकर ऐसे बचकाने फ़ैसले लेता कौन है? हमने इससे पहले भी स्थानान्तरण देखे हैं मगर भारी पैसों की बर्बादी के अलावा इससे कुछ भी हासिल नहीं होता.”

    प्रदर्शन कर रहे लोगों के अनुसार वृक्षों का स्थानान्तरण एक बचकाना ख्याल है

    वह कहती हैं कि प्रशासन खुद नहीं जानता कि जितने पेड़ उन्होंने स्थानांतरित किए थे उनमें से कितने पेड़ बचे. वन अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट भी बताती है कि 12 राज्यों में से केवल उत्तरप्रदेश ही ऐसा उदाहरण है जहाँ स्थानांतरित किए गए वृक्ष 5 सालों के बाद भी जीवित थे. वहीँ भोपाल का हाल यह है कि यहाँ प्रशासन को यह पता ही नहीं है कि कितने वृक्ष अब तक जिंदा हैं. 13 जून को स्थानीय दैनिक पीपुल्स समाचार की एक खबर के अनुसार बीते 10 वर्षों में निगम ने 1450 पेड़ स्थानांतरित किए हैं मगर इनमें से कितने जिंदा हैं इसका आँकड़ा नहीं है.

    गौरतलब है कि बीते 10 सालों में 10 हज़ार से भी ज़्यादा पेड़ भोपाल में काटे गए हैं. ऐसे में इतनी कम संख्या में स्थानान्तरण यह दिखाता है कि हर प्रोजेक्ट में पेड़ों को काटना ही चुना गया है. वहीँ ग्राउंड रिपोर्ट की एक रिपोर्ट में हमने बताया है कि कैसे विकास कार्यों के लिए कटने वाले पेड़ों के बदले क्षतिपूरक वृक्षारोपण के बजाय सम्बंधित विभाग ने क्षतिपूर्ति राशि देकर वृक्ष काटना ही चुना है. ऐसे में इस बार वृक्षों को स्थानांतरित किया जाएगा इसकी सम्भावना कम है.

    यह भी पढ़ें

    Bhopal Tree Cutting: माननीयों के आवास के लिए कटेंगे 29 हज़ार पेड़
    सीहोर के चंदेरी गांव का जल संकट “जहां पानी नहीं वहां रहकर क्या करेंगे?”
    एक हैंडपंप पर निर्भर टीकमगढ़ का मछौरा गांव, महिलाएं-बच्चे भर रहे पानी
    अमृतकाल में ‘सरोवर’ की राह ताकते मध्य प्रदेश के गाँव

    पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

    पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleजल गंगा संवर्धन अभियान: समसगढ़ की बावड़ियों की कब सुध लेगा प्रशासन?
    Next Article भोपाल में ‘एकलव्य फाउंडेशन’ का पर्यावरण अनुकूल भवन क्यों है खास?
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.