Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • छत्तीसगढ़ में राजनीतिक भूकंप! DAP खाद घोटाले पर विधानसभा में हंगामा, 23 कांग्रेस विधायक निलंबित
    • खेती खत्म तो हत्याएं शुरू! ‘अप्रैल-जून में किसान खाली रहते, इसलिए मर्डर बढ़ते…’, ADG कुंदन कृष्णन का बयान सुन आगबबूला हुआ बिहार
    • मास्टरस्ट्रोक या मौकापरस्ती! ऐसा ऐलान कि नीतीश की नीयत पर बड़ा सवाल; क्या फैसले की लगेगी ‘कीमत’
    • Odisha Bandh: बेटियों के नाम ‘ओडिशा बंद’, प्रदर्शनकारियों ने लगाई इंसाफ की गुहार
    • Bharat Ke Famous Railway Station: भारत के वो रेलवे स्टेशन, जो ले जाएंगे आपको विदेश की सैर पर, चलिए जानते हैं
    • Sawan Famous Mandir: सावन में देश के इन रहस्यमयी शिव मंदिरों के दर्शन मात्र से पूरी होती हैं भक्तों की मनोकामनाएं
    • Nagdwar Yatra Ka Itihas: क्या आप जानते हैं नागद्वार यात्रा के रहस्य? श्रावण मास की यह कठिन यात्रा क्यों मानी जाती है मोक्ष का मार्ग!
    • ‘महाराष्ट्र में नाम कटवाकर जीते, अब बिहार में दोहराने की तैयारी…’, ममता बनर्जी का बीजेपी पर हमला
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » बोलने की आज़ादी लोकतंत्र का आधार: SC; प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ FIR रद्द
    भारत

    बोलने की आज़ादी लोकतंत्र का आधार: SC; प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ FIR रद्द

    By March 28, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फ़ैसले में कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी एक स्वस्थ और सभ्य समाज का अभिन्न हिस्सा है। इस फ़ैसले के तहत कोर्ट ने गुजरात में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द कर दिया। यह एफ़आईआर उनकी सोशल मीडिया पर साझा की गई एक कविता को लेकर दर्ज की गई थी। 

    जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने गुजरात पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि शत्रुता को बढ़ावा देने जैसे अपराध को ‘असुरक्षित लोगों’ के स्टैंडर्ड से नहीं आँका जा सकता, जो हर बात को ख़तरा या आलोचना मान लेते हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हास्य कलाकार कुणाल कामरा का शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के ख़िलाफ़ ‘गद्दार’ वाली टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला भी सुर्खियों में है।

    यह विवाद तब शुरू हुआ था जब इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया पर एक कविता पोस्ट की। इसके बैकग्राउंड में गाना ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ चल रहा था। इस कविता को बीजेपी शासित गुजरात सरकार पर तंज के रूप में देखा गया। इसके बाद गुजरात पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153ए (धर्म, जाति आदि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत एफ़आईआर दर्ज की। 17 जनवरी को गुजरात हाई कोर्ट ने इस एफ़आईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में सुनवाई के बाद फ़ैसला सुरक्षित रखा और अब इसे रद्द कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह कविता न तो धर्म-विरोधी थी और न ही राष्ट्र-विरोधी, और पुलिस को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में अभिव्यक्ति की आज़ादी को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का आधार बताया। बेंच ने कहा, ‘विचारों और भावनाओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक स्वस्थ सभ्य समाज का हिस्सा है। इसके बिना सम्मानजनक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। साहित्य, कविता, नाटक, कला, व्यंग्य – ये सब जीवन को समृद्ध करते हैं।’ कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि अदालतों और पुलिस का कर्तव्य संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। इसने कहा कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी सबसे कीमती अधिकार है।’

    कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अभिव्यक्ति पर उचित प्रतिबंध वास्तव में उचित होने चाहिए, न कि काल्पनिक या बाधा बनने वाले। जजों ने स्वीकार किया कि कभी-कभी बोले या लिखे गए शब्द उन्हें व्यक्तिगत रूप से पसंद न आएं, लेकिन उनकी ज़िम्मेदारी संविधान और उसके मूल्यों को बनाए रखने की है।

    यह फ़ैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में एक मज़बूत संदेश देता है, खासकर ऐसे समय में जब सोशल मीडिया पर व्यक्त विचारों के लिए लोगों पर मुक़दमे दर्ज किए जा रहे हैं। 

    कुणाल कामरा जैसे मामलों के संदर्भ में यह फ़ैसला एक मिसाल हो सकता है, जहां व्यंग्य और आलोचना को अपराध मानने का रुझान बढ़ रहा है।

    कुणाल कामरा पर एक पैरोडी शो में एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ कहने के लिए मानहानि का केस चल रहा है, और सुप्रीम कोर्ट का यह रुख ऐसे मामलों में राहत की उम्मीद जगा सकता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए और कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति की आज़ादी के मायने समझने चाहिए। कोर्ट ने इस पर भी जोर दिया हर आलोचना को शत्रुता या ख़तरे के रूप में नहीं देखा जा सकता। गुजरात हाई कोर्ट के एफ़आईआर रद्द करने से इनकार करने पर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतों को भी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।

    यह मामला केवल कानूनी दायरे तक सीमित नहीं है। गुजरात में बीजेपी की सरकार है, और इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के सांसद हैं। उनकी कविता को सत्तारूढ़ दल पर निशाना माना गया, जिसके बाद एफ़आईआर को राजनीति से प्रेरित भी कहा गया। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला विपक्षी नेताओं और एक्टिविस्टों के लिए राहत की बात हो सकता है, जो अक्सर अपनी टिप्पणियों के लिए निशाने पर आते हैं। साथ ही, यह साहित्य और कला के माध्यम से अभिव्यक्ति करने वालों को मज़बूती देता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने में उचित-अनुचित का ध्यान रखने का निर्देश दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह व्यावहारिक रूप से लागू हो पाएगा

    भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहस लंबे समय से चल रही है और कई बार पुलिस और सरकार की कार्रवाइयां इसे सीमित करती नज़र आती हैं। इस फ़ैसले से यह उम्मीद जगी है कि अदालतें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में अपनी भूमिका मज़बूती से निभाएंगी।

    सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला अभिव्यक्ति की आज़ादी को नई ऊंचाई देता है। इमरान प्रतापगढ़ी की कविता को लेकर दर्ज एफ़आईआर का रद्द होना न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह हर उस नागरिक के लिए संदेश है जो अपने विचार व्यक्त करना चाहता है। गुजरात पुलिस और हाई कोर्ट को आईना दिखाते हुए कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि लोकतंत्र में असहमति और आलोचना का स्थान है और इसे ‘असुरक्षित लोगों’ के डर से दबाया नहीं जा सकता। यह फ़ैसला आने वाले समय में अभिव्यक्ति की सीमाओं को तय करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

    (रिपोर्ट का संपादन: अमित कुमार सिंह)

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleजस्टिस वर्मा केस में रहस्यमयी महिला कौन, जो बातों में उलझाकर नकदी तक पहुँची?
    Next Article “पानी की समस्या है कि खत्म नहीं होती” नर्मदा किनारे बसे आदिवासी गांवों की कहानी

    Related Posts

    ट्रंप की तकरीर से NATO में दरार!

    June 25, 2025

    ईरान ने माना- उसके परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान हुआ, आकलन हो रहा है

    June 25, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 25 जून, शाम तक की ख़बरें

    June 25, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.