मंगल का कर्क राशि में गोचर: हम इस बात को भली-भांति जानते हैं कि ग्रहों की स्थिति, दशा एवं चाल में होने वाले परिवर्तन मनुष्य जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इसी क्रम में, वैदिक ज्योतिष में मंगल नवग्रहों में सबसे उग्र ग्रह कहा जाता है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जुनून, मनोकामनाओं और पराक्रम आदि को नियंत्रित करते हैं। बता दें कि वैसे तो मंगल ग्रह एक नहीं अनेक नामों से जाने जाते हैं और इन नामों में ‘भौम पुत्र’ ‘कुजा’ और ‘लोहिता’ आदि भी शामिल हैं। लोहिता का अर्थ लाल रंग से है। हालांकि, अब मंगल ग्रह का जल्द ही गोचर होने जा रहा है जो कि 20 अक्टूबर 2024 को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको मंगल का कर्क राशि में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी।
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ऐसे में, मंगल के कर्क राशि में प्रवेश का असर सभी राशियों समेत देश-दुनिया पर भी दिखाई दे सकता है। मंगल ग्रह का यह गोचर कुछ राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा,तो कुछ को अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। किस राशि के जातकों को इस अवधि में बरतनी होगी सावधानी और करियर, व्यापार एवं प्रेम जीवन में कैसे मिलेंगे परिणाम? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख के माध्यम से प्राप्त होंगे। साथ ही, कुंडली में मंगल को मज़बूत करने के लिए किन उपायों को करना होगा फलदायी, इससे भी हम आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं मंगल गोचर का समय।
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कब और किस समय होगा मंगल का गोचर?
लाल ग्रह और पराक्रम के ग्रह के नाम से विख्यात मंगल 20 अक्टूबर 2024 की दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं और अब इनकी राशि में मंगल ग्रह विराजमान रहेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इस राशि में मंगल ग्रह अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए वक्री भी होंगे। कर्क राशि मंगल की नीच राशि है और ऐसे में, इनकी स्थिति कमज़ोर कही जाएगी। इसके फलस्वरूप, मंगल ग्रह का नीच का होना राशियों को कुछ हद तक नकारात्मक परिणाम देने का काम कर सकता है। अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं मंगल ग्रह के ज्योतिष में महत्व पर।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगल
मंगल महाराज को वैदिक ज्योतिष में शक्ति, साहस, क्रोध, उत्तेजना और सेना के कारक ग्रह माना जाता है। राशि चक्र में मंगल मेष और वृश्चिक राशि के अधिपति देव हैं। नक्षत्रों में इन्हें चित्रा, मृगशिरा और धनिष्ठा नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त है। बात करें मंगल के उच्च और नीच राशि की, तो मकर राशि में मंगल ग्रह उच्च के होते हैं और कर्क राशि में नीच के हो जाते हैं। हालांकि, जहाँ सूर्य, शुक्र, चंद्रमा और बुध जैसे बड़े ग्रहों का गोचर हर महीने होता है, वहीं मंगल देव को एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाने में लगभग 45 दिनों का समय लगता है।
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वैदिक ज्योतिष में मंगल को उग्र स्वभाव का ग्रह माना जाता है जो कि युद्ध के देवता और सेनापति के नाम से जाने जाते है। हमारे जीवन में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई एवं भूमि आदि के प्रमुख माने गए हैं। यह एक पुरुष प्रधान ग्रह हैं जिन्हें अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। मनुष्य जीवन में मंगल ऊर्जा को बढ़ाने का काम करते हैं और इसके फलस्वरूप, कोई व्यक्ति आपके कार्य को अपनी पूरी शक्ति और क्षमता के साथ करता हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के स्वभाव में निडरता और साहस दिखाई देता है और इस वजह से वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। इसके अलावा, मंगल दोष के लिए भी मंगल ग्रह ही जिम्मेदार होता है।
जीवन को कैसे प्रभावित करता है मंगल?
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मनुष्य जीवन में मंगल ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में, कुंडली में मंगल ग्रह का शुभ स्थिति में होना बेहद जरूरी होता है। जिन जातकों की कुंडली में इनकी स्थिति कमज़ोर या अशुभ होती है, उन्हें अपने जीवन में अनेक तरह की परेशानियों या समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में जब मंगल मजबूत होता है, परंतु अशुभ होता है, तो यह जातक को अपराधी बनाने का काम कर सकता है।
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इसके विपरीत, जिन जातकों की कुंडली में मंगल महाराज मजबूत होते हैं, तब वह व्यक्ति को सेना में भर्ती करवा सकते हैं और देश की सेवा में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, इनके बलवान होने पर भूमि और जमीन से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपने जीवन में भूमि, भवन और मकान का अभाव नहीं होता है। मंगल ग्रह के बलवान होने पर शत्रु आपसे जीतने में समर्थ नहीं होते हैं।
कुंडली में कमज़ोर मंगल कैसे पहचाने?
जिन जातकों की कुंडली में मंगल पीड़ित होता है, उन्हें ब्लड प्रेशर, गुर्दे में पथरी, फोड़े-फुंसी, गठिया आदि स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। शादीशुदा लोगों का जीवन कमज़ोर मंगल होने पर अशांति या कलह से भर जाता है या फिर शादी टूटने की भी संभावना होती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष की मौजूदगी विवाह में देरी की वजह बनती है। व्यक्ति के जीवन पर मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव होने से संतान प्राप्ति की राह में समस्याएं बनी रहती हैं। मंगल का पीड़ित या कमज़ोर होना आपको कानून या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्करों में फंसाने का काम कर सकता है। साथ ही, करीबी आपको धोखा दे सकते हैं।
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कुंडली में मज़बूत मंगल के लक्षण
कुंडली में मज़बूत मंगल वाले लोग बेहद दृढ़ निश्चयी होते हैं और यह एकदम से उत्साहित नहीं होते हैं। यह जातक अपना लक्ष्य पाने तक बिना रुके और हार माने आगे बढ़ते रहते हैं। शुभ मंगल के प्रभाव से व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वास से भरा रहता है और दूसरों के सामने अपने मन की बात बिना घबराए रख देते हैं। साथ ही, ऐसे लोग अपने लिए आवाज़ बुलंद करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।जिन जातकों का मंगल ग्रह बलवान होता है, उनके व्यक्तित्व में साहस कूट-कूटकर भरा होता है इसलिए अक्सर, यह जातक बहादुर होते हैं और जोख़िम उठाने से डरते नहीं हैं। इन लोगों के स्वभाव में प्रतिस्पर्धा के भाव देखने को मिलते हैं और इसके परिणामस्वरूप, इन्हें खुद को या फिर दूसरों को चुनौती देते हुए देखा जा सकता है। कुंडली में मंगल महाराज के बलवान होने पर व्यक्ति ऊर्जावान और भावुक होता है। ऐसे में, यह जातक हर काम में आगे रहते हैं।
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इन सरल उपायों से मिलेगा मंगल ग्रह का आशीर्वाद
मंगल ग्रह के लिए मंगलवार के दिन व्रत करना शुभ साबित होता है। यदि आपकी कुंडली में मंगल कमज़ोर होता है, तो मंगलवार के दिन स्नान करें और लाल रंग के कपड़े पहनें। इसके पश्चात, मंगल देव के मंत्र ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’ का जाप करें। मंगलवार के दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को भोजन करवाने से मंगल के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। कुंडली में मंगल के दुर्बल अवस्था में होने पर मूंगा रत्न धारण करना शुभ रहता है, परन्तु ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें। हनुमान जी को मंगलवार के दिन चमेली का तेल मिलाकर सिंदूर चढ़ाएं और इसके बाद, संकटमोचन को चोला भी अर्पित करें।
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मंगल का कर्क राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क…(विस्तार से पढ़ें)
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वृषभ राशि वालों की कुंडली में मंगल देव को सातवें और बारहवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। अब……(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल महाराज आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल का कर्क राशि में गोचर आपके … (विस्तार से पढ़ें)
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कर्क राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पहले/लग्न … (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए मंगल देव आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल कर्क राशि में गोचर करके…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में मंगल देव आपके पहले/लग्न भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। अब इनका…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब मंगल का कर्क राशि में…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके ग्यारहवें और चौथे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके सातवें… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए मंगल देव आपके तीसरे और दसवें भाव के अधिपति देव हैं। अब मंगल का कर्क राशि में… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि वालों की कुंडली में मंगल महाराज आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके पांचवें… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह लगभग 45 दिन के बाद अपनी राशि परिवर्तन करते हैं।
राशि चक्र की चौथी राशि कर्क के स्वामी ग्रह चंद्र देव हैं।
कर्क राशि में मंगल का गोचर 20 अक्टूबर को होगा।
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