
Kangana Ranaut: बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत इन दिनों चर्चा में हैं। इसके पीछे की वजह है 78 साल की किसान महिला मोहिंदर कौर, जिन्होंने सम्मान की लड़ाई पिछले चार सालों से चल रही थी। मोहिंदर कौर से कंगना रनौत ने हाथ जोड़कर माफी मांगी। फिलहाल अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा किया, लेकिन अब पूरे पंजाब में यही कहा जा रहा है कि सच्चाई देर से सही, पर जीतती जरूर है।
बुजुर्ग किसान की चार साल लंबी जंग
मोहिंदर कौर पंजाब के बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जंडियां गांव की रहने वाली हैं। उनके पास 13 एकड़ जमीन है, लेकिन जिंदगी किसी संपन्न किसान जैसी नहीं। उनका घर पुराना है, लकड़ी के लट्ठों से छत को सहारा मिला हुआ है। हर सुबह वह अपने 80 वर्षीय बीमार पति लाभ सिंह और बिस्तर पर पड़े बेटे गुरदास के लिए चूल्हे पर रोटियां बनाती हैं। मोहिंदर कहती हैं कि लोग समझते हैं कि जमीन होने से किसान अमीर होता है, पर हकीकत यह है कि खेती में मेहनत ज़्यादा और आमदनी कम होती है। पहले कपास उगाते थे, लेकिन जब कीड़े लग गए तो धान पर आ गए। अब तो ज्यादातर जमीन किराए पर दे दी है।
टूटा परिवार, लेकिन नहीं टूटा हौसला
मोहिंदर कौर का बेटा पिछले तीन महीनों से गंभीर संक्रमण से जूझ रहा है। बहू डेढ़ साल पहले बीमारी से गुजर गई। घर की सारी जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर है। मोहिंदर कौर कहती हैं कि किसान का जीवन कभी आसान नहीं होता। मेरे बेटे की हालत खराब है, बहू चली गई, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगी। जब तक सांस है, लड़ती रहूंगी। दमे से पीड़ित पति अक्सर उनकी ओर से कोर्ट में पेशी देते हैं। इस उम्र में भी यह दंपति अपने सम्मान की लड़ाई अकेले लड़ रहा है। बिना शोर, बिना राजनीति के।
जब अदालत में मिली इंसाफ की झलक
जब कंगना रनौत अदालत में पेश हुईं, तो पूरे बठिंडा की नजर उस एक पल पर थी। कंगना ने अदालत में माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें अपनी गलती पर पछतावा है और यह सब गलतफहमी की वजह से हुआ। अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया, और अगली सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की।
मोहिंदर कौर के वकील रघुबीर सिंह बेहनीवाल, जो खुद बीजेपी से जुड़े हैं, कहते हैं, “कंगना की माफी सिर्फ औपचारिकता है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। पंजाब की माताओं का अपमान हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह मुकदमा अंत तक लड़ा जाएगा।”
कौन हैं ये ‘किसान दादी’?
यह मामला 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान शुरू हुआ था, जब कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया था। उस पोस्ट में मोहिंदर कौर की तस्वीर थी, और कंगना ने लिखा था कि ये वही ‘दादी’ हैं जो शाहीन बाग में दिखी थीं, जिन्हें प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं।
यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हुई और मोहिंदर कौर को गहरी ठेस पहुंची। उन्होंने कहा, “मैंने ज़िंदगीभर खेतों में पसीना बहाया है, पैसे लेकर धरना करने वाली नहीं हूं।” और यहीं से शुरू हुई उनकी चार साल लंबी कानूनी जंग।
आज भले ही अदालत में सिर्फ माफी हुई हो, लेकिन मोहिंदर कौर के लिए यह जीत का पहला कदम है। एक बुजुर्ग महिला किसान ने साबित किया कि सच्चाई की आवाज उम्र या ताकत नहीं देखती, बस साहस चाहिए।


