क्या पोलिंग बूथ की सीसीटीवी फुटेज देने से रोकने के लिए चुनाव संचालन नियमों में किया गया बदलाव ‘सिस्टेमैटिक कंस्पिरेसी’ यानी सुनियोजित साज़िश है क्या चुनाव प्रक्रिया में इस तरह की कथित ‘साज़िश’ लगातार की जा रही है कम से कम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऐसा ही आरोप लगाया है।
खड़गे ने रविवार को चुनाव दस्तावेजों तक पहुंच को रोकने के लिए चुनाव नियमों में संशोधन करने पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे चुनाव आयोग की निष्ठा को कमजोर करने की एक जानबूझकर की गई साजिश बताया। खड़गे ने इसके लिए मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पैनल से हटाने, चुनाव में कथित गड़बड़ियों का संज्ञान नहीं लेने जैसी कई शिकायतें गिनाई हैं।
Modi Govt’s audacious amendment in the Conduct of Election Rules is another assault in its systematic conspiracy to destroy the institutional integrity of the Election Commission of India.
Earlier, they had removed the Chief Justice of India from the Selection panel which… pic.twitter.com/c1u7pNdlif
— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 22, 2024
कांग्रेस अध्यक्ष ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मोदी सरकार द्वारा चुनाव संचालन नियमों में किया गया दुस्साहसिक संशोधन भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत निष्ठा को तबाह करने की उसकी सुनियोजित साजिश के तहत एक और हमला है।’
खड़गे ने अपने तर्क के समर्थन में कई मामलों को गिनाया है और कहा है, ‘इससे पहले उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से हटा दिया था, और अब वे हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को छिपाने का सहारा ले रहे हैं।’
उन्होंने शिकायत की, ‘जब भी कांग्रेस पार्टी ने ईसीआई को मतदाता सूची से नाम हटाए जाने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी विशेष चुनावी अनियमितताओं के बारे में लिखा, तो ईसीआई ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया और कुछ गंभीर शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया। यह फिर से साबित करता है कि ईसीआई, भले ही एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, स्वतंत्र रूप से व्यवहार नहीं कर रहा है।’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया,
“
मोदी सरकार द्वारा ईसीआई की निष्ठा को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उनकी रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष
बता दें कि खड़गे की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब शुक्रवार को चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक होने से रोकने के लिए चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया है। केंद्र ने तर्क दिया है कि इस क़दम का उद्देश्य उनके दुरुपयोग को रोकना है।
नियम 93 के अनुसार चुनाव से संबंधित सभी ‘कागज़ात’ सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले होने चाहिए। हालांकि, संशोधन में एक वाक्य ‘इन नियमों में निर्दिष्ट अनुसार’ को जोड़ा गया है। इसी वजह से फुटेज के जारी किए जाने पर रोक लग गई है।
दरअसल, संशोधन के बाद नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और खाता विवरण जैसे दस्तावेज़ चुनाव आचार संहिता के नियमों के अंतर्गत शामिल हैं, लेकिन आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और उम्मीदवार के वीडियो जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड इससे बाहर रखे गए हैं।
कांग्रेस ने इन बदलावों का तुरंत विरोध किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि वे संशोधन को कानूनी रूप से चुनौती देंगे। लोकसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि चुनाव आयोग ने अब तक अपने व्यवहार में अस्पष्टता और सरकार समर्थक रवैया चुना है।
संशोधन वाली लाइन को जोड़कर चुनाव आयोग ने यह साफ़ कर दिया है कि ‘कागजात’ में ऐसे कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं होंगे, जिन्हें नियमों में साफ़-साफ़ लिखा नहीं गया है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि इस अस्पष्टता को दूर करने और एक व्यक्ति द्वारा एआई का उपयोग करके मतदान केंद्र के अंदर सीसीटीवी फुटेज के संभावित दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए नियम में संशोधन किया गया है।