Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • हाइफा में 14-15-16 जून को क्या हुआ, इसराइल की मुख्य रिफाइनरी तबाह
    • मायावती की गद्दी हिलाने या अंत करने आया रावण! यूपी की सियासत में नई बगावत, दलित वोटर्स का नया वारिस कौन?
    • ईरान परमाणु अप्रसार संधि छोड़ने की तैयारी में; हथियार बनाने या दबाव बनाने की रणनीति?
    • Satya Hindi News Bulletin। 16 जून, दोपहर तक की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin। 16 जून, सुबह तक की ख़बरें
    • जनगणना की अधिसूचना जारी, सबसे पहले उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में
    • ईरान ट्रंप की हत्या कराना चाहता है- क्या नेन्याहू ने यह बयान हताशा में दिया
    • इसराइल-ईरान War Live: दोनों तरफ से हमले तेज, तेलअवीव-तेहरान में काफी तबाही
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » हाईकोर्टों में 78% फीसदी जज ऊंची जातियों के, ऐसा क्यों? 
    भारत

    हाईकोर्टों में 78% फीसदी जज ऊंची जातियों के, ऐसा क्यों? 

    By March 26, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    हाल ही में एक महत्वपूर्ण सरकारी जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया गया कि वर्ष 2018 से हाईकोर्टों में नियुक्त किए गए लगभग 78% जज ऊपरी जातियों से हैं। यह आंकड़ा विधि मंत्रालय ने पेश किया है, जिसमें यह भी उल्लेख किया गया कि इस अवधि में अल्पसंख्यक समुदायों और अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) से केवल 5% जजों की नियुक्ति हुई है। यह खुलासा सामाजिक विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार और न्यायपालिका के प्रयासों पर सवाल उठाता है।

    विधि मंत्रालय के अनुसार, 2018 से अब तक उच्च न्यायालयों में कुल जजों की नियुक्ति में से 78% जज सामान्य वर्ग (ऊपरी जातियों) से हैं। इसके विपरीत, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व बेहद कम रहा है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से बार-बार अनुरोध किया है कि जजों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक और महिलाओं से संबंधित योग्य उम्मीदवारों पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि सामाजिक विविधता सुनिश्चित हो सके।

    कानून मंत्री ने संसद में इस मुद्दे पर कहा कि सरकार उच्च न्यायालयों में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए 2018 से एक नई व्यवस्था शुरू की गई, जिसमें जजों के पद के लिए सिफारिश किए गए व्यक्तियों को अपने सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी देना अनिवार्य किया गया। यह प्रारूप सुप्रीम कोर्ट के परामर्श से तैयार किया गया था। मंत्री ने कहा, “हमने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से यह अनुरोध किया है कि वे नियुक्ति प्रस्ताव भेजते समय सामाजिक रूप से वंचित समुदायों और महिलाओं को प्राथमिकता दें।” लेकिन 2018 से अब तक इस पर कितना अमल हुआ, इस सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं है।

    जाति जनगणना से भाग रही मोदी सरकार का जवाब इस मुद्दे पर कुछ और है। कानून मंत्री का कहना है कि सरकार के पास इस मामले में सीमित अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय के कॉलिजियम और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर ही आधारित होता है। मंत्री ने कहा- “सरकार केवल उन व्यक्तियों को जज के रूप में नियुक्त करती है, जिनकी सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम द्वारा की जाती है।” इसके अलावा, जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत तय होती है।

    मंत्री ने बताया कि जजों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव पेश करने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट में भारत के चीफ जस्टिस की होती है, जबकि उच्च न्यायालयों में यह संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर निर्भर करता है। यह प्रक्रिया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के तहत संचालित होती है। सरकार का कहना है कि वह लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि नियुक्तियों में विविधता लाई जाए, लेकिन अंतिम निर्णय कॉलिजियम के हाथों में होता है। सरकार तमाम संवैधानिक संस्थाओं में अपनी मनमानी कर रही है तो फिर अगर कॉलिजियम गलत है तो सरकार ने अपनी कोशिश क्यों नहीं की। 2014 से बीजेपी के पास केंद्र की सत्ता है। 

    इस आंकड़े के सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने न्यायपालिका में विभिन्न वंचित समुदायों के जजों की कमी पर सवाल उठाए हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऊपरी जातियों का यह प्रभुत्व देश की विविध आबादी के प्रतिनिधित्व को प्रभावित करता है। वहीं, कुछ का यह भी कहना है कि कॉलिजियम सिस्टम में पारदर्शिता और सुधार की जरूरत है ताकि सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

    सरकार ने यह संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर विचार-विमर्श जारी रखेगी और उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए तेजी से काम कर रही है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि सामाजिक विविधता को सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका और सरकार के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है। इस बीच, यह आंकड़ा भारतीय समाज में समानता और प्रतिनिधित्व के व्यापक सवालों को फिर से चर्चा में ला रहा है।

    नेता विपक्ष राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दल इसी वजह से बार-बार जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं ताकि सभी समुदायों की भागीदारी पूरे सिस्टम में लाई जा सके। राहुल गांधी ने उदाहरण देकर संसद और संसद से बाहर यह सवाल उठाया है कि सरकार चलाने वाले सचिवों, उप सचिवों के स्तर पर कितने ओबीसी वर्ग के लोग हैं। यही स्थिति तमाम संवैधानिक संस्थाओं की भी है। मोदी सरकार ने लैटरल एंट्री यानी आरक्षण को ताक पर रखकर भर्तियां कीं, उनमें भी ऊंची जाति के लोगों का बोलबाला रहा। सवाल ये है कि जनता आखिर कब तक इन हालात को मूक दर्शक की तरह देखती रहेगी।

    रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleTrain Time and Day Changed: इस ट्रेन का शेडूल हुआ चेंज, अब सप्ताह में तीन दिन नहीं रोज़ चलेगी ये ट्रेन
    Next Article बच्चे पैदा करने के लिए स्कूली छात्राओं को तैयार कर रहा रूस, यूक्रेन युद्ध से बुरा हाल

    Related Posts

    हाइफा में 14-15-16 जून को क्या हुआ, इसराइल की मुख्य रिफाइनरी तबाह

    June 16, 2025

    ईरान परमाणु अप्रसार संधि छोड़ने की तैयारी में; हथियार बनाने या दबाव बनाने की रणनीति?

    June 16, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 16 जून, दोपहर तक की ख़बरें

    June 16, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.