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    Home » मिथुन राशि में ग्रहों के सेनापति करेंगे प्रवेश, इन राशियों को रहना होगा सावधान!
    राशिफल

    मिथुन राशि में ग्रहों के सेनापति करेंगे प्रवेश, इन राशियों को रहना होगा सावधान!

    By January 21, 2025No Comments8 Mins Read
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    मिथुन राशि में ग्रहों के सेनापति करेंगे प्रवेश, इन राशियों को रहना होगा सावधान!

    एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको मंगल का मिथुन राशि में गोचर से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। साथ ही, इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ-साथ कुंडली में मंगल को मजबूत करने के उपायों से भी आपको रूबरू करवाएंगे। बता दें कि साल 2025 के पहले महीने जनवरी में मंगल समेत कई बड़े ग्रहों के गोचर होने जा रहे हैं। मंगल के इस राशि परिवर्तन की वजह से सभी राशियों के जातकों के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे। अगर आप इस गोचर के बारे में सब कुछ विस्तारपूर्वक जानना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें।  

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    आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं मंगल गोचर के समय और तिथि के बारे में। 

    मंगल का मिथुन राशि में गोचर: तिथि एवं समय 

    मंगल को उग्र ग्रह माना गया है जो कि लाल ग्रह के नाम से भी जाने जाते हैं। इनका गोचर लगभग हर महीने होता है और ऐसे में, यह एक राशि में निश्चित समय तक रहने के बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। बता दें कि अब मंगल महाराज 21 जनवरी 2024 की सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। हालांकि, इस गोचर की सबसे ख़ास बात यह होगी कि मंगल अपनी वक्री अवस्था में मिथुन राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में, इस गोचर से जातकों को नकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है। इन अशुभ प्रभावों से आप कैसे बच सकते हैं? इस बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं क्या होती है ग्रह का वक्री होना। 

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    क्या होती है ग्रह का वक्री अवस्था?

    जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि मंगल ग्रह वक्री चाल में चलते हुए कर्क राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में, आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ग्रह की वक्री चाल क्या होती है? तो बता दें कि जब कोई ग्रह अपनी परिक्रमा पथ पर उल्टा चलने लगता है यानी कि आगे की बजाय पीछे की तरफ चलता हुआ प्रतीत होता है, इसे ही ग्रह की वक्री अवस्था कहते हैं। हालांकि, ज्योतिष में ग्रह की वक्री चाल को अशुभ माना जाता है जो अधिकतर नकारात्मक फल देती है। लेकिन, कभी-कभी यह जातक को शुभ परिणाम भी दे सकती है। आपको वक्री मंगल का मिथुन राशि में गोचर कैसे फल देगा? यह पूरी तरह से आपकी कुंडली पर निर्भर करता है। 

    ज्योतिषीय दृष्टि से मंगल ग्रह 

    वैदिक ज्योतिष में मंगल देव को विशेष दर्जा प्राप्त है जो कि शक्ति, साहस, पराक्रम और ऊर्जा के कारक ग्रह माने जाते हैं। राशि चक्र में मंगल देव को पहली राशि मेष और सातवीं राशि वृश्चिक का स्वामित्व प्राप्त है। मंगल ग्रह की वजह से ही कुंडली में मांगलिक या मंगल दोष का निर्माण होता है। ऐसे में, यह कहना गलत नही होगा कि मंगल ग्रह का सीधा प्रभाव जातकों के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। 

    बात करें मंगल की स्थिति की, तो जिन जातकों की कुंडली में मंगल कमज़ोर स्थिति में होते हैं, उनका स्वभाव गुस्सैल होता है। साथ ही, उन्हें क्रोध भी जल्दी-जल्दी आता है। वहीं, ऐसे लोग जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मज़बूत होती है, वह हमेशा ऊर्जा ओर साहस से भरे रहते हैं। इसके अलावा, वह हर काम को व्यवस्थित तरीके से करने में सक्षम होते हैं।

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    क्या होता है मंगल दोष?

    ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह कुछ विशेष भावों में बैठे होते हैं, तब मंगल दोष का निर्माण होता है। अगर कुंडली में मंगल ग्रह पहले/लग्न, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में उपस्थित होते हैं, तो मांगलिक दोष या मंगल दोष का निर्माण होता है। इन भावों में बैठे मंगल ग्रह की स्थिति को वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा, कुछ ज्योतिषियों द्वारा मंगल दोष को तीन लग्न (चंद्र, सूर्य और शुक्र) से भी देखा जाता है। मांगलिक दोष के बारे में जानने के बाद अब हम नज़र डालते हैं मांगलिक दोष के लक्षणों पर। 

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    कुंडली में मंगल दोष की पहचान कैसे करें?

    • ऐसे जातक जिसकी कुंडली में मंगल दोष उपस्थित होता है, उनके विवाह में अनेक तरह की समस्याएं आती हैं। विवाह में देरी होना, बिना किसी कारण के रिश्ता टूट जाना या विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ आपसी तालमेल का न होना आदि मांगलिक दोष का प्रभाव होता है। 
    • अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में मंगल दोष होता है, तो ऐसे व्यक्ति का अपने जीवनसाथी के साथ मनमुटाव बना रहता है। कभी-कभार विवाद इस हद तक बढ़ जाते हैं कि टकराव, तनाव और तलाक तक की नौबत आ जाती है। 
    • मांगलिक दोष का असर सिर्फ विवाह पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि इसके प्रभाव से व्यक्ति कर्ज के बोझ में भी डूबने लगता है या फिर जमीन-जायदाद से संबंधित समस्याएं परेशानी करती रहती हैं।
    • मंगल दोष का अशुभ प्रभाव जातक को गुस्सैल, उग्र और अहंकारी बनाने का काम करता है। 
    • मांगलिक दोष पति के अलावा ससुराल पक्ष के साथ भी रिश्ते खराब होने या बिगड़ने की वजह बनता है।
    • जब कुंडली के बारहवें भाव में मांगलिक दोष जन्म लेता है, तो जातक को वैवाहिक जीवन में समस्याओं के साथ-साथ शारीरिक क्षमता का कमज़ोर होना, अल्प आयु, रोग और कलह आदि बाधाएं भी परेशान करती हैं। 

    मांगलिक दोष के निवारण के लिए जरूर करें ये उपाय

    • मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए मंगल ग्रह की शांति पूजा करना सर्वश्रेष्ठ होता है। 
    • मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। 
    • संभव हो, तो मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान जी के मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद लोगों को बांटें। 
    • मंगलवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करें। साथ ही, भगवान हनुमान को सिंदूर अर्पित करें। 
    • घर में आने वाले मेहमानों को मिठाई अवश्य खिलाएं क्योंकि ऐसा करने से मंगल दोष के प्रभाव में कमी आती है। 
    • कुंडली में मंगल दोष के होने पर जातक को विवाह से पूर्व नीम का पेड़ लगाना चाहिए और लगभग 43 दिनों तक इस नीम के पेड़ की देखरेख करें। इस उपाय को करने से मंगल दोष से राहत मिलती है। 

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    मंगल का मिथुन राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

    मेष राशि

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    इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

    मिथुन राशि के स्वामी कौन हैं?

    राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन के स्वामी बुध ग्रह हैं। 

    मंगल कब मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे?

    मिथुन राशि में मंगल देव 21 जनवरी 2025 को गोचर कर जाएंगे। 

    मंगल ग्रह का स्वभाव कैसा है?

    मंगल को एक उग्र स्वभाव का ग्रह माना गया है।

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