मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद उनका यह फ़ैसला आया है। हिंसा के लिए उनकी लगातार आलोचना होती रही। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग करते रहे थे। लेकिन तमाम आलोचनाओं के बाद वह पद पर बने रहे। उनका इस्तीफ़ा तब आया है जब कहा जा रहा है कि राज्य बीजेपी में उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष है और कांग्रेस उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने रविवार शाम को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद भाजपा के पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन ऐसी संभावना थी कि राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना कर सकते थे।
कहा जा रहा है कि पार्टी में अपने ख़िलाफ़ बने माहौल को देखते हुए संभावित संकट को टालने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नेतृत्व से विचार-विमर्श करने के बाद पद छोड़ा है। बीरेंद्र सिंह रविवार सुबह दिल्ली में थे, जहां उन्होंने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और इसके मुख्य रणनीतिकार, केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
एनडीटीवी ने पार्टी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि क़रीब 12 विधायक नेतृत्व परिवर्तन के लिए जोरदार तरीके से दबाव बना रहे थे, और करीब छह विधायक अभी भी असमंजस में हैं। ख़बरें तो ऐसी भी आ रही हैं कि विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद हैं।
इस्तीफे में क्या लिखा
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंपे अपने इस्तीफे में बीरेन सिंह ने कहा, ‘अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है। मैं समय पर कार्रवाई, हस्तक्षेप, विकास कार्य और मणिपुर के हर व्यक्ति के हितों की रक्षा और विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं।’
विधानसभा में क्या है स्थिति
मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के 32 विधायक हैं। इसके साथ ही नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच और जेडीयू के छह विधायकों का भी समर्थन है। सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद भाजपा के पास आरामदायक बहुमत है। हालांकि, ऐसी अटकलें थीं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की वकालत करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना करते।
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास पांच सीटें हैं, जबकि विपक्षी नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी के पास सात विधायक हैं। इसके अलावा, तीन निर्दलीय विधायक और कुकी पीपुल्स अलायंस का प्रतिनिधित्व करने वाले दो सदस्य हैं।