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    Home » नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ः क्या जांच में हादसे की सही वजह सामने आ पायेगी?
    भारत

    नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ः क्या जांच में हादसे की सही वजह सामने आ पायेगी?

    By February 17, 2025No Comments5 Mins Read
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    नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार 15 फरवरी की रात को हुई भगदड़ में 18 मौतों की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में जिन संभावित कारणों की ओर इशारा किया गया है: प्रयागराज के लिए विशेष ट्रेन की घोषणा के बाद प्लेटफॉर्म बदलने से पैदा हुआ भ्रम; ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्रियों का दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर भागना; और भीड़ को नियंत्रित करने में कथित विफलता। लेकिन क्या सिर्फ यही वजह इस हादसे के लिए जिम्मेदार है। आखिर लोगों के तमाम सवाल शक क्यों बरकरार हैं।

    जांच समिति ने रविवार को हादसे की जगह का निरीक्षण किया और आदेश दिया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सभी वीडियो फुटेज सुरक्षित रखे जाएं। इस कमेटी में उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (पीसीसीएम) नरसिंह देव और प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त (पीसीएससी) पंकज गंगवार हैं। 

    अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों में यह भ्रम उस दिन इसलिए फैला, क्योंकि चार ट्रेनें प्रयागराज महाकुंभ के लिए जा रही थीं। इसमें शिव गंगा एक्सप्रेस जो रात 8.05 बजे चलती है; मगध एक्सप्रेस जो रात 9.05 बजे रवाना होती है और प्रयागराज एक्सप्रेस जो रात 10.10 बजे जाती है। इनके अलावा एक और विशेष ट्रेन भेजने की योजना थी। भीड़ बहुत ज़्यादा थी, लेकिन महाकुंभ को देखते हुए यह असामान्य बात नहीं थी।

    अधिकारी ने बताया, “यात्रियों ने पहले शिव गंगा एक्सप्रेस में घुसने की कोशिश की। सैकड़ों यात्री अंदर नहीं जा सके। यह ट्रेन प्लेटफॉर्म 12 पर थी। उनमें से कुछ यात्री प्लेटफॉर्म 14 पर पहुंचे, वहां मगध एक्सप्रेस में जाने की कोशिश की। उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, जो जम्मू के कटरा के रास्ते में थी, प्लेटफॉर्म 15 पर थी। प्रयागराज एक्सप्रेस के यात्री अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, जो आने वाली थी। इसी बीच, घोषणा हुई कि प्रयागराज के लिए विशेष ट्रेन प्लेटफॉर्म 12 पर आ रही है। तब यात्री उस तरफ भागे और यही हादसे की वजह बना।”

    उस अधिकारी के मुताबिक “प्लेटफ़ॉर्म 16 को प्लेटफ़ॉर्म 1 से जोड़ने वाले फ़ुटओवर ब्रिज पर पहले से ही काफ़ी भीड़ थी। एक प्लेटफ़ॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म तक जाने के लिए लोग बढ़ने लगे, हर तरफ भीड़ थी। इसके बाद भगदड़ शुरू हो गई। लोग एक दूसरे पर गिरते-पड़ते भागने लगे। घटना रात 9 से 9.20 बजे के बीच हुई थी।”

    कमेटी ने भीड़ के कुप्रबंधन पर ध्यान दिया है तथा वह इस बात की जांच कर रही है कि प्लेटफॉर्म पर उचित संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे या नहीं। हालांकि यह खानापूरी के अलावा और नहीं तो क्या है। पहली नजर में ही यह साफ है कि वहां भीड़ को संभालने का कोई इंतजाम नहीं था। जबकि पहले से मालूम था कि महाकुंभ की वजह से आये दिन रेलवे स्टेशन पर भीड़ बढ़ रही है।

    • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच 9,600 सामान्य श्रेणी के टिकट बेचे गए थे।

    दिल्ली के संगम विहार से संजय कुमार, जो अपने 11 परिवार के सदस्यों के साथ प्रयागराज जा रहे थे, ने बताया कि उन्हें रात 10.10 बजे प्रयागराज एक्सप्रेस में सवार होना था। इस हादसे में मरने वालों में उनकी बहन पिंकी देवी (37) भी शामिल थीं। “… मुझे आधे घंटे बाद अपनी बहन मिली… फिर हमने उसे सीपीआर देने की कोशिश की और कई बार उसके शरीर को दबाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।”

    संजय ने कहा, “हम करीब एक घंटे तक प्लेटफॉर्म पर रहे और उसे बचाने की कोशिश करते रहे। तब तक कोई भी (रेलवे अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस) नहीं आया।” उन्होंने आगे बताया कि उन्हें और परिवार के अन्य सदस्यों को रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने और अपनी बहन को अस्पताल ले जाने के लिए दूसरी रेलवे पटरी पार करनी पड़ी।

    दिल्ली पुलिस के डीसीपी के अनुसार, पहली नजर में ऐसा लगता है कि गलत सूचना या भ्रम के कारण यह घटना हुई।

    जांच कमेटी के सदस्य नरसिंह देव ने बताया, “हम सभी गवाहों को बुलाएंगे और विस्तृत जांच करेंगे। उसके बाद ही हम घटना के कारणों के बारे में कुछ कह पाएंगे। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, सभी तथ्य सामने आ जाएंगे। सभी सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिए गए हैं। हमें जो भी कहना है, हम रिपोर्ट में कहेंगे।”

    जांच कमेटी के सदस्य की बात अपनी जगह। लेकिन यह पूरी जांच एक खानापूरी बनकर रह जायेगी। क्योंकि जांच कमेटी लोगों के बयान लेने के लिए अब कई दिनों बाद अखबारों में विज्ञापन देकर चश्मदीदों को बुलायेगी। जिनके परिवार के लोग मर चुके हैं या घायल हैं, वे क्या इन हालात में होंगे कि आकर जांच कमेटी को अपना बयान देंगे। आमतौर पर इस मामले में जिन लोगों पर कार्रवाई होना है, वे अपने बनाये हुए चश्मदीदों को बयान देने के लिए भेज देंगे। रेलवे के कुछ अधिकारी, कर्मचारी और बहुत होगा तो रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) या जीआरपी के पुलिसकर्मी निलंबित किये जायेंगे। लेकिन इस ढील के लिए जो सिस्टम जिम्मेदार है, वो बचा रहेगा। इस हादसे का सच आना मुश्किल है। यहां तक कि लोग मृतकों की संख्या पर भी शक जता रहे हैं। वो शक क्या जांच कमेटी दूर कर पायेगी।

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