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    Home » यूएस में अडानी जांचः अमेरिकी रेगुलेटर SEC ने भारत से क्यों मदद मांगी
    भारत

    यूएस में अडानी जांचः अमेरिकी रेगुलेटर SEC ने भारत से क्यों मदद मांगी

    By February 19, 2025No Comments8 Mins Read
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    अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने अडानी मामले में भारत से मदद मांगी है। एसईसी गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर लगे 265 मिलियन डॉलर के रिश्वतखोरी और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर रहा है। मंगलवार (18 फरवरी, 2025) को सामने आये यूएस फेडरल कोर्ट के दस्तावेज़ से यह जानकारी सामने आई है।

    SEC ने न्यूयॉर्क की अदालत को बताया कि गौतम और सागर अडानी को शिकायत की सूचना देने के उसके प्रयास जारी हैं। उसने गौतम अडानी को शिकायत की सूचना देने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय से सहायता मांगी है। यानी एसईसी गौतम अडानी को सूचना देने के लिए मोदी सरकार से मदद मांग रही है।

    गौतम अडानी और सागर अडानी अभी अमेरिकी हिरासत में नहीं हैं और वर्तमान में भारत में हैं। अडानी ग्रुप ने इस संबंध में रॉयटर्स के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। पहले खबरें आईं थीं कि अगर अडानी ग्रुप के चेयरमैन पूछताछ के लिए एसईसी के सामने हाजिर नहीं होते हैं तो उनका भारत से प्रत्यर्पण किया जा सकता है। सागर अडानी का जब्त मोबाइल अभी भी कोर्ट में जमा है। एफबीआई ने इसे जब्त किया था।

    पिछले साल, ब्रुकलिन के फेडरल अटॉर्नी ने एक आरोपपत्र पेश किया, जिसमें अडानी पर अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया था। कहा गया कि यह रिश्वत अडानी ग्रुप की सहायक कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी द्वारा उत्पादित बिजली खरीदने के लिए अधिकारियों को राजी करने के लिए दी गई थी। इस संबंध में कंपनी ने अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया है। जबकि कंपनी ने निवेशकों से लिखित में कहा था कि इस प्रोजेक्ट में उन्होंने किसी तरह की रिश्वत नहीं दी है, न ही किसी तरह के भ्रष्टाचार का सहारा लिया है।

    अडानी ग्रुप रिश्वत के आरोपों को “निराधार” बताता रहा है और “सभी संभव कानूनी उपाय” करने की बात कही थी। भारत में भी अडानी समूह पर करप्शन के कई आरोप लगे, लेकिन उसने उनका भी समय-समय पर खंडन किया। भारत में अडानी समूह को मोदी सरकार के नजदीक माना जाता है।

    क्या है पूरा मामला

    रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कि गौतम अडानी की कथित रिश्वत योजना का पूरा विवरण संघीय अभियोजकों के 54 पेज के आपराधिक अभियोग में दर्ज है। अडानी और उनके सात सहयोगियों के बीच बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को पकड़ा गया।  2020 की शुरुआत में, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अडानी ग्रीन एनर्जी को महत्व देना शुरू किया। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ने एज़्योर पावर ग्लोबल से भी 12 गीगावॉट सौर ऊर्जा परियोजना के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया। दोनों कंपनियों को बिजली बेचने से भविष्य में भारी मुनाफा होने वाला था।

    उसी बीच एक थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की 7 अप्रैल, 2021 की रिपोर्ट आई, जिसमें उसने बताया कि भारत के तमाम राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां भविष्य में कीमतों में गिरावट की उम्मीद करते हुए अडानी समूह और एज्योर पावर ग्लोबल से नई सौर ऊर्जा खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रही थीं। अडानी समूह के सामने कई अरब का मुनाफा डूबने का खतरा पैदा हो गया।

    सागर अडानी-एज्योर के सीईओ की वाट्सऐप पर चैट

    एसईसी के अनुसार, सागर अडानी और एज़्योर सीईओ ने उस समय इस देरी पर बेचैनी दिखाई और रिश्वत देने का संकेत दिया। एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन वाट्सऐप पर एज़्योर सीईओ ने 24 नवंबर, 2020 को लिखा कि स्थानीय बिजली कंपनियों को “प्रेरित किया जा रहा है,” सागर अडानी ने फरवरी 2021 में कथित तौर पर जवाब दिया, “हां… लेकिन ऑप्टिक्स को कवर करना बहुत मुश्किल है। सागर अडानी ने एज्योर के सीईओ से कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, हमने इन मंजूरियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन (रिश्वत) को दोगुना कर दिया है।”

    एसईसी ने एज़्योर सीईओ को प्रतिवादी के रूप में शामिल नहीं किया, लेकिन एज़्योर की सिक्योरिटीज़ फाइलिंग से पता चलता है कि उस समय सीईओ रंजीत गुप्ता थे। गुप्ता पर यूएस न्याय विभाग ने रिश्वत विरोधी कानून का उल्लंघन करने की साजिश का आरोप लगाया है। हालांकि एज़्योर ने कहा था कि वह अमेरिकी जांच में सहयोग कर रहा है, और आरोपों से जुड़े व्यक्तियों ने एक साल से ज्यादा समय पहले कंपनी छोड़ दी थी।

    गौतम अडानी ने रिश्वत की पेशकश की

    फेडरल कोर्ट के अभियोग के मुताबिक अगस्त 2021 में, गौतम अडानी की दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के एक अधिकारी के साथ कई बैठकों में से पहली बैठक हुई, जिसे उन्होंने कथित तौर पर राज्य को बिजली खरीदने के लिए सहमत करने के बदले में 228 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया था। जस्टिस विभाग के अभियोग के अनुसार दिसंबर तक, आंध्र प्रदेश बिजली खरीदने के लिए सहमत हो गया और छोटे अनुबंध वाले अन्य राज्यों ने भी जल्द ही ऐसी ही पहल की। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अन्य राज्यों के अधिकारियों को भी रिश्वत देने का वादा किया गया था।

    “

    एसईसी के अनुसार, 6 दिसंबर, 2021 को एक कॉफी शॉप में बैठक के दौरान, एज़्योर के अधिकारियों ने कथित तौर पर इन “अफवाहों पर चर्चा की कि अडानी ने किस तरह सरकारी सौदों पर हस्ताक्षर कराने में मदद की थी”। गौतम अडानी ने 14 दिसंबर, 2021 को कहा कि “2030 तक अडानी ग्रीन एनर्जी दुनिया की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी” बन जाएगी। एसईसी ने अपनी शिकायत में लिखा, “एज़्योर और अडानी ग्रीन के लिए अचानक अच्छी किस्मत ने मार्केट में धूम मचा दी।” भारतीय मीडिया अडानी समूह की सफलता के गीत गाने लगा। लेकिन पर्दे के पीछे कथित रिश्वत इस सफलता के जड़ में थी।


    अमेरिकी न्याय विभाग का आरोप है कि एसईसी ने 17 मार्च, 2022 को एज़्योर को एक “सामान्य पूछताछ” पत्र भेजा। एज्योर उस समय न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार कर रही थी। सीईसी ने उसके हालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के बारे में पूछा था। न्याय विभाग के अनुसार, गौतम अडानी ने अगले महीने यानी अप्रैल में अपने अहमदाबाद दफ्तर में एक बैठक के दौरान एज़्योर के प्रतिनिधियों से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उन्होंने अधिकारियों को जो रिश्वत दी थी, उसके लिए $80 मिलियन से अधिक की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जिससे अंततः एज़्योर के अनुबंधों को लाभ हुआ। कुछ एज़्योर प्रतिनिधियों और कंपनी के एक प्रमुख निवेशक ने अपनी कंपनी को संभावित रूप से लाभदायक परियोजना को संभालने की अनुमति देकर अडानी को वापस भुगतान करने का फैसला किया। 

    अभियोजकों ने कहा कि प्रतिनिधि और निवेशक कथित तौर पर एज़्योर के निदेशक मंडल को यह बताने के लिए सहमत हुए कि अडानी ने रिश्वत के पैसे का अनुरोध किया था, लेकिन योजना में अपनी भूमिका छिपा ली। इस दौरान, अडानी की कंपनियां अमेरिकी निवेशकों सहित अंतरराष्ट्रीय बैंकों के माध्यम से अरबों डॉलर के लोन और बांड जुटा रही थीं। 2021 और 2024 के बीच चार अलग-अलग धन उगाहने वाले लेनदेन में, कंपनियों ने निवेशकों को दस्तावेज भेजे, उनमें दावा किया गया था कि उन्होंने रिश्वत नहीं दी थी।

    • 17 मार्च, 2023 को अमेरिका की यात्रा के दौरान, एफबीआई एजेंटों ने सागर अडानी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया। एफबीआई एजेंटों ने सागर अडानी को एक जज का सर्च वारंट सौंपा, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी सरकार धोखाधड़ी कानूनों और विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के संभावित उल्लंघन की जांच कर रही थी। 

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    अभियोजकों के अनुसार, गौतम अडानी ने 18 मार्च, 2023 को सर्च वारंट के हर पेज की तस्वीरें खुद को ईमेल कीं।


    अभियोजकों के अनुसार, अडानी की कंपनियों ने फिर भी 5 दिसंबर, 2023 को 1.36 बिलियन डॉलर का सिंडिकेटेड लोन समझौता किया और मार्च 2024 में एक बार फिर निवेशकों को बताया कि उनकी कंपनी रिश्वत देकर काम नहीं कराती। 24 अक्टूबर को, ब्रुकलिन में संघीय अभियोजकों ने गौतम अडानी, सागर अडानी, गुप्ता और इस योजना में कथित रूप से शामिल पांच अन्य लोगों के खिलाफ एक गुप्त ग्रैंड जूरी अभियोग हासिल किया। 20 नवंबर को अभियोग पर से पर्दा हट गया। अडानी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य में 27 बिलियन डॉलर की गिरावट आई। अडानी ग्रीन एनर्जी ने $600 मिलियन की निर्धारित बांड बिक्री को तुरंत रद्द कर दिया।

    भारत में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इस मामले को संसद में जोरशोर से उठाया लेकिन मोदी सरकार ने राहुल के बयानों को सदन की कार्यवाही से हटवा दिया। इस कार्यवाही को लोकसभा में स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा में सभापति धनखड़ ने अंजाम दिया। अडानी समूह ने इन सारे आरोपों का खंडन किया। बीच में खबर आई कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने विदेश में रिश्वत देकर कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले विरोधी कानून पर रोक लगा दी है और इससे अडानी समूह को राहत मिल जायेगी। लेकिन अब सामने आ रहा है कि ऐसा हुआ नहीं। सीईसी की कार्यवाही अपने स्तर पर जारी है। देखना है कि मोदी सरकार एसईसी को इस मुद्दे पर क्या जवाब देती है।

    (रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)

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