एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग हमारे पाठकों को “शनि कुंभ राशि में अस्त” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा जैसे तिथि, महत्व एवं प्रभाव आदि। ज्योतिष में शनि महाराज को न्याय के देवता कहा जाता है जो अब अपनी ही राशि कुंभ में अस्त होने जा रहे हैं। ऐसे में, इनकी चाल में होने वाले इस परिवर्तन का प्रभाव कुंभ समेत सभी 12 राशियों पर नज़र आएगा। कौन सी राशि वालों को मिलेगी मनपसंद नौकरी? क्या व्यापार में होगा लाभ? प्रेम जीवन में मिलेगी सफलता या होगा निराशा से सामना? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे आपको हमारे इस ब्लॉग में जो कि हमारे विशेषज्ञ एवं अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों की चाल एवं स्थिति की गणना कर तैयार किया गया है।

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शनि ग्रह अब कुछ ही समय में कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे और इसका प्रभाव प्रत्येक मनुष्य के जीवन के विभिन्न आयामों जैसे कि व्यापार, करियर, प्रेम, स्वास्थ्य आदि पर पड़ेगा। इसके अलावा, शनि की अस्त अवस्था के दौरान कुंभ राशि में शुभ योगों का भी निर्माण होगा जिससे कई राशियों को लाभ प्राप्त होगा। किन राशियों को शनि अस्त होने से होगा लाभ और किन्हें रहना होगा सावधान? यह जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें, लेकिन सबसे पहले जानते हैं शनि अस्त की तिथि और समय के बारे में।
शनि कुंभ राशि में अस्त: तिथि एवं समय
नवग्रहों में शनि देव को एक ऐसे ग्रह का दर्जा प्राप्त है जिनके नाम से भी लोग भयभीत हो जाते हैं। शनि एक लंबे समय तक अर्थात ढाई साल तक एक राशि में रहते हैं इसलिए इनकी चाल एवं स्थिति में होने वाला बदलाव बहुत मायने रखता है। अब शनि ग्रह 22 फरवरी 2025 की सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर कुंभ राशि में अस्त होने जा रहे हैं। यह इस अवस्था में लगभग 40 दिनों तक रहेंगे और अस्त अवस्था में ही मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। ऐसे में, शनि कुंभ राशि में अस्त होकर देश-दुनिया को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकते हैं। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं जब शनि कुंभ राशि में अस्त होंगे, तब कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे।
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कुंभ राशि में बनेगा त्रिग्रही योग
वैदिक ज्योतिष में एक निश्चित समय के बाद ग्रहों के गोचर होते हैं और इनसे अनेक शुभ-अशुभ योगों का निर्माण होता है। ऐसे में, कुंभ राशि में भी एक साथ तीन ग्रहों की युति बनने जा रही है, जिसमें सूर्य, शनि और बुध ग्रह एक साथ मौजूद होंगे। इन तीन ग्रहों की युति बनने से त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि शनि देव साल 2023 से कुंभ राशि में विराजमान हैं जबकि बुध 11 फरवरी 2025 और सूर्य 12 फरवरी 2025 को कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। हालांकि, इसके कुछ समय बाद शनि देव कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे जिससे परिणाम कुछ कमज़ोर रह सकते हैं। चलिए अब आपको अवगत करवाते हैं कि ग्रह का अस्त होना किसे कहते हैं?
ज्योतिष में शनि अस्त का महत्व
ज्योतिष में शनि अस्त के महत्व के बारे में जानने से पहले यह जानना जरूरी हो जाता है कि आख़िर क्या होता है ग्रह का अस्त होना? बता दें कि जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत नज़दीक चला जाता है, तो उसे ग्रह का अस्त होना कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, किसी ग्रह के सूर्य से 8 डिग्री के भीतर प्रवेश करने को अस्त कहा जाता है। अस्त होने पर ग्रह सूर्य की तीव्र ऊर्जा के कारण अपनी शक्तियां खो देता है जिससे व्यक्ति की अशुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
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इसी क्रम में, जब शनि देव अस्त हो जाते हैं, तो इनके विशेष गुणों जैसे कि संरचना, अनुशासन, जिम्मेदारी और अधिकार आदि मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं। ऐसे में, व्यक्ति के भीतर इन गुणों का प्रभाव कमज़ोर पड़ने लगता है या फिर वह इनका सही उपयोग करने में असफल होने लगता है। साथ ही, इनकी अस्त अवस्था के दौरान लोग सुस्त नज़र आ सकते हैं। साथ ही, न्यायपालिका और कानून से जुड़े मामलों में देरी, हड़ताल जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से शनि ग्रह
- शनि ग्रह दायित्व, समस्याओं, अनुशासन, तपस्या और विनम्रता से संबंधित है।
- वहीं, ज्योतिष में शनि महाराज कर्तव्य, आध्यात्मिकता और संरचना को दर्शाते हैं।
- इन्हें न्याय के देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है इसलिए यह लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
- राशि चक्र में शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं।
- यह एक राशि में 2 वर्ष 6 महीने तक रहते हैं और इसके बाद, दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। बता दें कि शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है क्योंकि ये वास्तविकता, तर्क, अनुशासन, कानून, धैर्य, देरी, कड़ी मेहनत, श्रम और दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं।
- शनि ग्रह लोगों को सपनों की दुनिया से बाहर लेकर आते हैं और वास्तविकता से उनका सामना करवाते हैं।
- कुंडली में शनि देव ही साढ़े साती के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह ऐसे साढ़े सात वर्ष होते है जो जातक के जीवन में बड़े बदलाव लेकर आते हैं।
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कुंडली में कमज़ोर शनि के लक्षण
जिन जातकों की कुंडली में शनि महाराज अशुभ या कमज़ोर होते हैं, वह नीचे दिए गए लक्षणों के माध्यम से इनकी पहचान कर सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं:
- शनि ग्रह के अशुभ होने पर जातक सट्टेबाजी, शराब और जुए की बुरी लत में पड़ जाता है।
- ऐसे इंसान की चप्पल या जूते बार-बार टूटने लग जाते हैं।
- कुंडली में शनि के नकारात्मक होने पर इंसान कर्ज़ के तले दबने लगता है।
- शनि कमज़ोर होने से जातक की धन-संपत्ति धीरे-धीरे करके नष्ट होना शुरू हो जाती है।
- शनि की दुर्बल स्थिति की वजह से आपके घर, मकान या संपत्ति का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो सकता है।
- इसके अलावा, इनके अशुभ होने पर दुकान या घर में आग लग सकती है।
- शनि कुपित होने पर जातक कानूनी या आपराधिक मामलों में फंसकर जेल जा सकता है।
कमज़ोर शनि के बाद चलिए अब जानते हैं किन उपायों से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं ये उपाय
- शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर जाकर तेल अर्पित करें। साथ ही, तेल का दान भी करें।
- शनि ग्रह को कुंडली में मज़बूत करने करने के लिए हनुमान जी की पूजा-अर्चना करें और रोज़ाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- नियमित रूप से काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
- शनि ग्रह से शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए मछलियों को दाना डालें।
- मछली, अंडे, शराब और मांस जैसी तामसिक वस्तुओं के सेवन से परहेज़ करें।
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शनि कुंभ राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपके दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए शनि देव आपकी कुंडली में नौवें भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि ग्रह आपके आठवें भाव और नौवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए शनि महाराज आपकी कुंडली में सातवें भाव और आठवें भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों की कुंडली में शनि देव आपके छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपके पांचवें भाव और छठे भाव के अधिपति देव हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि वालों की कुंडली में शनि देव आपके चौथे और पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि ग्रह आपके तीसरे भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं। वर्तमान… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए शनि देव आपकी कुंडली में दूसरे भाव और तीसरे भाव के अधिपति देव हैं जो … (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों की कुंडली में शनि देव आपके लग्न भाव और दूसरे भाव के स्वामी हैं। अब यह… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपके लग्न और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए शनि महाराज आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
न्याय के देवता शनि कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे।
राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि कुंभ के अधिपति देव शनि ग्रह हैं।
ज्योतिष के अनुसार, शनि देव की साढ़े साती सात साल तक चलती है।
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