मार्च 2025: मार्च के महीने में कदम रखते ही, हमारा मन उम्मीदों और आशाओं से भर जाता है। मार्च बदलाव का समय है, जब सर्दियों की ठंडक धीरे-धीरे वसंत की गर्माहट में बदलने लगती है। इस महीने के हर दिन की शुरुआत के साथ हमारा मन अपने भविष्य को लेकर कई तरह के सवालों और उम्मीदों से घिर जाता है। बात चाहे करियर की हो या प्रेम जीवन की, जिंदगी के हर पहलू को लेकर लोगों के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है। नए माह की शुरुआत पर हम सभी के मन में इस तरह के सवाल उठते हैं और एस्ट्रोसेज एआई के इस खास ब्लॉग में हम आपको इन्हीं सवालों के स्पष्ट उत्तर देने जा रहे हैं।

मार्च केवल मौसम में बदलाव का समय नहीं है बल्कि यह माह सांस्कृतिक महत्व भी रखता है और इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। इस ब्लॉग में मार्च के व्रत एवं त्योहारों के साथ-साथ बैंक अवकाश और मुंडन मुहूर्त आदि के बारे में भी बताया गया है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मार्च 2025 में आपके लिए क्या खास है।
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मार्च 2025 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्च 2025 की शुरुआत 01 मार्च, 2025 को पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होगी। वहीं मार्च 2025 का समापन 31 मार्च को भरणी नक्षत्र में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होगा।
आगे जानिए मार्च माह के प्रमुख त्योहारों और व्रतों के बारे में।
मार्च 2025 के व्रत एवं त्योहारों की तिथियां
हिंदू धर्म में हर एक महीने में कई व्रत एवं त्योहार आते हैं जिनका अपना धार्मिक महत्व होता है। ये त्योहार महीने के आकर्षण और महत्व को बढ़ाने का काम करते हैं। आगे मार्च 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत एवं त्योहारों की सूची दी गई है।
तिथि | दिन | पर्व व व्रत |
10 मार्च 2025 | सोमवार | आमलकी एकादशी |
11 मार्च 2025 | मंगलवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
13 मार्च 2025 | गुरुवार | होलिका दहन |
14 मार्च 2025 | शुक्रवार | होली |
14 मार्च 2025 | शुक्रवार | मीन संक्रांति |
14 मार्च 2025 | शुक्रवार | फाल्गुन पूर्णिमा व्रत |
17 मार्च 2025 | सोमवार | संकष्टी चतुर्थी |
25 मार्च 2025 | मंगलवार | पापमोचिनी एकादशी |
27 मार्च 2025 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
27 मार्च 2025 | गुरुवार | मासिक शिवरात्रि |
29 मार्च 2025 | शनिवार | चैत्र अमावस्या |
30 मार्च 2025 | रविवार | चैत्र नवरात्रि |
30 मार्च 2025 | रविवार | उगाडी |
30 मार्च 2025 | रविवार | घटस्थापना |
30 मार्च 2025 | रविवार | गुड़ी पड़वा |
31 मार्च 2025 | सोमवार | चेटी चंड |
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मार्च 2025 में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार
मार्च के महीने में कई व्रत एवं त्योहार आते हैं लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख हैं जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है:
- आमलकी एकादशी: आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आमलकी शब्द आंवला फल को संदर्भित करता है। इसे हिंदू धर्म और आयुर्वेद में अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु के हृदय में विशेष स्थान रखता है और इसे भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी का निवास स्थान भी माना जाता है। इस वजह से आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर प्रार्थना एवं पूजा-अर्चना करने की परंपरा है। आमलकी एकादशी के शुभ दिन पर श्रद्धालु आंवले का उबटन बनाते हैं, आंवले के पानी से स्नान करते हैं, आंवला पूजन एवं इसके फल का सेवन करते हैं। इस दिन दान आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- प्रदोष व्रत: इस व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के साथ-साथ संपन्नता की प्राप्ति होती है एवं व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
- होलिका दहन: होली से एक रात पहले होलिका दहन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने का प्रयास करने वाली राक्षसी होलिका का अंत हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका को अग्नि से सुरक्षित रहने का वरदान मिला था इसलिए अपने भाई के बेटे प्रहलाद का अंत करने के लिए वह उसे गोद में लेकर आग में बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। बस, तभी से होलिका दहन का चलन शुरू हो गया। इस दिन लोग अलाव जलाकर प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन से नकारात्मकता और बुराई का नाश हो। होलिका दहन विश्वास, सकारात्मकता और धर्म की विजय का प्रतीक है।
- होली: हिंदू धर्म में होली के त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली की कथा पौराणिक समय में भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद और राक्षसी होलिका की पराजय से जुड़ी हुई है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है और यह पर्व वसंत की शुरुआत एवं सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक है। हरियाणा में इस लोकप्रिय त्योहार को धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है। होली के अवसर पर सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, नृत्य करते हैं और तरह-तरह के पकवान खाते हैं। यह त्योहार प्रेम और एकता की भावना को दर्शाता है।
- मीन संक्रांति: सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने को संक्राति के रूप में जाना जाता है। साल में कुल 12 संक्रांतियाां आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव मीन राशि में गोचर करते हैं, तब उस संक्रांति को मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह संक्रांति सर्दियों के खत्म होने और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। मीन संक्रांति को बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन को दान-पुण्य करने, पवित्र नदियों में स्नान करने और भगवान सूर्य की उपासना करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- फाल्गुन पूर्णिमा व्रत: फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि पर यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। यह व्रत पवित्रता एवं भक्ति का प्रतीक है। इस दिन श्रद्धालु संपन्नता और आध्यात्मिक विकास के लिए व्रत एवं पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इस व्रत का संबंध होली के त्योहार से भी है।
- संकष्टी चतुर्थी: हिंदू धर्म के अनुसार हर माह संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भक्तों के जीवन के सारे कष्ट और अड़चनें दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी का व्रत एवं पूजन किया जाता है।
- पापमोचिनी एकादशी: चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी पर भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजन करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं।
- मासिक शिवरात्रि: प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि का बहुत महत्व है एवं यह व्रत आस्था और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और पाप कर्मों से छुटकारा पाने के लिए भक्त व्रत एवं पूजन के साथ-साथ शिव के मंत्रों का जाप भी करते हैं।
- चैत्र अमावस्या: चैत्र माह की अमावस्या तिथि पर चैत्र अमावस्या पड़ती है। हिंदू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि कई जगहों पर इस दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन व्रत, प्रार्थना एवं पितरों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण एवं अनुष्ठान करने से उनका आशीर्वाद मिलता है, मार्ग में आ रही सारी अड़चनें दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति एवं संपन्नता आती है।
- चैत्र नवरात्रि: भारत के प्रमुख त्योहारों में चैत्र नवरात्रि का नाम भी शामिल है। अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नव वर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के इन नौ दिनों को मां दुर्गा की उपासना करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए बहुत शुभ और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली माना जाता है। नवरात्रि में छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है एवं उनका सम्मान किया जाता है। यह त्योहार आध्यात्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक समृद्धि दोनों का प्रतीक है।
- उगादी: यह पर्व खासतौर पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महराष्ट्र में मनाया जाता है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। चैत्र माह के पहले दिन को उगादी के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर यह पर्व मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है। उगादी को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है एवं यह त्योहार वसंत के आगमन और सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक है। इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा कर सालभर के लिए संपन्ना एवं सुख की कामना करते हैं। इस पर्व पर ‘उगादी पचड़ी’ नाम का खास व्यंजन भी बनाया जाता है। यह व्यंजन 6 तरह के स्वादों का मिश्रण होता है जो कि जीवन की अलग-अलग भावनाओं जैसे दुख और सुख को दर्शाता है।
- गुड़ी पड़वा: इस त्योहार को मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू नववर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। चैत्र माह के पहले दिन गुड़ी पड़वा पड़ती है। यह पर्व भगवान राम के लंकापति रावण को हराकर अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस तरह गुड़ी पड़वा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन श्रद्धालु अपने घर के बाहर गुड़ी लगाते हैं जो कि धन, संपन्नता और नई शुरुआत को दर्शाती है।
- चेटी चंड: यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सिंधी चंद्र कैलेंडर के अनुसार इस दिन से सिंधी हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत होती है। सिंधी हिंदू चेटी चंड को नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। चैत्र महीने के पहले दिन को चेटी चंड के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को सम्मानित संत भगवान झूलेलाल के जन्मदिवस की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि उन्होंने सिंधी हिंदुओं को विदेशी आक्रमणों से बचाया था। इस दिन भगवान झूलेलाल के सम्मान में जुलूस निकाले जाते हैं और अनुष्ठान किए जाते हैं। चेटी चंड सांस्कृतिक उत्सव और आध्यात्मिक भक्ति का दिन है।
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मार्च 2025 में आने वाले बैंक अवकाशों की सूची
तिथि | दिन | अवकाश | राज्य |
05 मार्च | बुधवार | पंचायती राज दिवस | उड़ीसा |
07 मार्च | शुक्रवार | चापचर कुट | मिज़ोरम |
14 मार्च | शुक्रवार | होली | राष्ट्रीय अवकाश इन राज्यों को छोड़कर – कर्नाटक, केरल, मणिपुर, लक्ष्द्वीप, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल |
14 मार्च | शुक्रवार | याओसांग | मणिपुर |
14 मार्च | शुक्रवार | डोल्यात्रा | पश्चिम बंगाल |
15 मार्च | शनिवार | याओसांग का दूसरा दिन | मणिपुर |
22 मार्च | शनिवार | बिहार दिवस | बिहार |
23 मार्च | रविवार | सरदार भगत सिंह शहादत दिवस | हरियाणा, पंजाब |
28 मार्च | शुक्रवार | शब-ए-क़द्र | जम्मू और कश्मीर |
28 मार्च | शुक्रवार | जमात-उल-विदा | जम्मू-कश्मीर |
30 मार्च | रविवार | उगादी | आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजराज, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, राजस्थान, दमन और दीउ, दादर और नागर हवेली, तेलंगाना |
30 मार्च | रविवार | तमिल नव वर्ष | तमिलनाडु |
30 मार्च | रविवार | गुड़ी पड़वा | महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश |
31 मार्च | सोमवार | ईद-उल-फ़ितर | राष्ट्रीय अवकाश |
मार्च 2025 में विवाह के शुभ मुहूर्त की सूची
दिनांक एवं दिन | नक्षत्र | तिथि | मुहूर्त का समय |
01 मार्च 2025, शनिवार | उत्तराभाद्रपद | द्वितीया, तृतीया | सुबह 11 बजकर 22 मिनट से अगली सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक |
02 मार्च 2025, रविवार | उत्तराभाद्रपद, रेवती | तृतीया, चतुर्थी | सुबह 06 बजकर 51 मिनट से रात 01 बजकर 13 मिनट तक |
05 मार्च 2025, बुधवार | रोहिणी | सप्तमी | रात 01 बजकर 08 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक |
06 मार्च 2025, गुरुवार | रोहिणी | सप्तमी | सुबह 06 बजकर 47 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक |
06 मार्च 2025, गुरुवार | रोहिणी, मृगशीर्ष | अष्टमी | रात 10 बजे से सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक |
7 मार्च 2025, शुक्रवार | मृगशीर्ष | अष्टमी, नवमी | सुबह 06 बजकर 46 मिनट से रात 11 बजकर 31 मिनट तक |
12 मार्च 2025, बुधवार | माघ | चतुर्दशी | सुबह 08 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 04 बजकर 05 मिनट तक |
14 मार्च 2025, सोमवार | स्वाति | प्रतिपदा, द्वितीया | सुबह 06 बजकर 10 मिनट से रात के 12 बजकर 13 मिनट तक |
मार्च 2025 में अन्नप्राशन मुहूर्त की सूची
तिथि | दिन | मुहूर्त |
03 मार्च 2025 | सोमवार | 21:54-24:10 |
06 मार्च 2025 | गुरुवार | 07:38-12:34 |
24 मार्च 2025 | सोमवार | 06:51-09:28 13:38-18:15 |
27 मार्च 2025 | गुरुवार | 07:41-13:26, 15:46-22:39 |
31 मार्च 2025 | सोमवार | 07:25-09:00,10:56-15:31 |
मार्च 2025 में मुंडन मुहूर्त की सूची
दिन | शुरुआती समय | समापन |
सोमवार, 03 मार्च | 18:04:34 | 28:30:29 |
सोमवार, 17 मार्च | 6:29:18 | 19:36:19 |
शुक्रवार, 21 मार्च | 6:24:41 | 25:46:15 |
गुरुवार, 27 मार्च | 6:17:42 | 23:06:16 |
सोमवार, 31 मार्च | 6:13:05 | 13:45:48 |
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मार्च 2025 का ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में मार्च 2025 का ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में अत्यंत शुभ चैत्र माह की शुरुआत होती है। फाल्गुन मास में मार्च के महीने की शुरुआत हो रही है और 29 मार्च, 2025 को चैत्र अमावस्या से चैत्र का महीना लग जाएगा। इस प्रकार मार्च का महीना फाल्गुन और चैत्र दोनों महीनों में पड़ेगा। भारत के कई हिस्सों में 30 मार्च, 2025 को इस बदलाव या चैत्र माह की शुरुआत को उगादी और गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाएगा।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 14 मार्च 2025 को सूर्य का मीन राशि में प्रवेश करना एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। यह सौर चक्र के अंत और नए ज्योतिषीय वर्ष की तैयारियां शुरू करने के समय को दर्शाता है। इसे मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मीन एक जल तत्व की राशि है और इसके स्वामी बृहस्पति आध्यात्मिक विकास, आत्म-चिंतन और नवीनीकरण के प्रतीक हैं। यह माह भक्तों को आत्म-निरीक्षण एवं ध्यान करने के लिए प्रेरित करता है।
धार्मिक दृष्टि से देखें, तो मार्च के महीने में अनेक त्योहार और उपवास आते हैं। होलिका दहन और होली 13 एवं 14 मार्च को हैं। ये दोनों त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं एवं नई शुरुआत और उत्साह को दर्शाते हैं। 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नए कार्यों की शुरुआत करने और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए इन दिनों को बहुत शुभ माना गया है।
कुल मिलाकर आध्यात्मिक रूप से मार्च के महीने का बहुत महत्व है। इस माह में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति में बदलाव और व्रत-त्योहारों का समागम देखने को मिलेगा जिनका संस्कृति और दिव्यता से गहरा संबंध है।
मार्च में पड़ने वाले ग्रहण और गोचर
मार्च के महीने में होने वाले अधिकतर गोचर मीन राशि में हो रहे हैं। आगे बताया गया है कि मार्च में किस तिथि पर किस ग्रह का गोचर होने जा रहा है।
- शुक्र वक्री: 02 मार्च, 2025 को शुक्र ग्रह 05 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि में वक्री होंगे। यह समय प्रेम, सौंदर्य और वित्त के मामलों में आत्म निरीक्षण करने के लिए है।
- सूर्य गोचर: 14 मार्च, 2025 को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इससे अध्यात्म और रचनात्मकता में रुचि बढ़ेगी और भावनात्मक रूप से मज़बूती आएगी।
- बुध वक्री: 15 मार्च, 2025 को सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर बुध मीन राशि में वक्री होंगे। इस दौरान बातचीत, यात्रा और निर्णय लेते समय सावधानी बरतने क ज़रूरत है।
- बुध अस्त: 17 मार्च, 2025 को शाम 07 बजकर 31 मिनट पर बुध मीन राशि में अस्त होंगे। इस समय गलतफहमियों के बढ़ने की आशंका है।
- शुक्र अस्त: 18 मार्च, 2025 को शुक्र सुबह 07 बजकर 34 मिनट पर मीन राशि में अस्त होंगे। इसका असर रिश्तों और खुद को व्यक्त करने की क्षमता पर पड़ सकता है।
- शुक्र उदय: 28 मार्च, 2025 को शुक्र सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर मीन राशि में उदित होंगे। इस दौरान आकर्षक, प्रेम और कलात्मक कार्यों को बढ़ावा मिलेगा और संतुलन आएगा।
- शनि गोचर: 29 मार्च, 2025 को रात 10 बजकर 07 मिनट पर शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यह आध्यात्मिक और भावनात्मक मामलों में अनुशासन की अवधि को दर्शाता है।
- बुध उदय: 31 मार्च, 2025 को बुध ग्रह शाम 05 बजकर 57 मिनट पर मीन राशि में उदित होंगे। इस दौरान संचार कौशल में सुधार और विचारों में स्पष्टता आएगी।
- शनि उदय: 31 मार्च, 2025 को 12 बजकर 43 मिनट पर शनि देव मीन राशि में उदित होंगे। इस दौरान ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में इज़ाफा होगा।
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फाल्गुन मास का महत्व
फाल्गुन, हिंदू पंचांग का आखिरी और बारहवां महीना है। चूंकि, इस महीने में कई बड़े व्रत और त्योहार आते हैं इसलिए इस मास का अत्यधिक महत्व है। इस महीने में आने वाले प्रमुख त्योहारों में होली और महाशिवरात्रि का नाम भी शामिल है। जहां होली रंगों का त्योहार है और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है, वहीं महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष महत्व रखती है। इसके अलावा फाल्गुन के महीने में वसंत उत्सव भी आता है।
फाल्गुन माह का संबंध भगवान कृष्ण और चंद्र देव की उपासना से भी संबंधित है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार इसी महीने में चंद्र देव का जन्म हुआ था और इसलिए इस महीने को चंद्र देव की उपासना और उनसे संबंधित अनुष्ठान करने के लिए खास माना जाता है।
फाल्गुन में क्या करें
- इस मास में नियमित रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें सुगंधित फूल अर्पित करें।
- मौसम के अनुसार हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें।
- आयुर्वेदिक और धार्मिक प्रथाओं के अनुसार फाल्ल्गुन मास में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए ठंडे पानी से स्नान करें।
- कमज़ोरी या मौसमी संक्रमण से बचने के लिए गर्म पानी से न नहाएं।
चैत्र मास का महत्व
हिंदू कैलेंडर में चैत्र का महीना अत्यधिक महत्व रखता है। भारत के कई हिस्सों में चैत्र मास से चंद्र वर्ष की शुरुआत होती है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर का पहला महीना है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चैत्र का महीना मार्च और अप्रैल के बीच में आता है। हिंदू धर्म में चैत्र के महीने को बहुत शुभ माना गया है। यह मास नई शुरुआत, आध्यात्मिक रूप से जीवंत होने और रंगों से भरे उत्सव का प्रतीक है।
इस महीने की शुरुआत चैत्र अमावस्या से होती है और उसके बाद चैत्र नवरात्रि का पर्व आता है जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ दिन आत्म-संयम, व्रत और आध्यात्मिक चिंतन करने के लिए उत्तम माने जाते हैं। चैत्र के महीने में उगादी, गुड़ी पड़वा और चेटी चंड जैसे बड़े त्योहार भी आते हैं। भारत के विभिन्न समुदायों में इन त्योहारों से नववर्ष की शुरुआत होती है।
पौराणिक रूप से चैत्र महीने का संबंध भगवान राम से है और चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि पर राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इससे इस महीने की पवित्रता और ज्यादा बढ़ जाती है। चैत्र का महीना भक्ति और सकारात्मकता का प्रतीक है।
चैत्र मास में क्या करें
- रोज़ सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस माह में मां दुर्गा के अलावा भगवान विष्णु की उपासना करने का विशेष महत्व है।
- बृहस्पतिवार के दिन 108 बार भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और केले के पेड़ की पूजा करें।
- पक्षियों और जानवरों के लिए भोजन, दाना और पानी रखें।
सुख-समृद्धि के लिए चैत्र माह में किसकी पूजा करनी चाहिए
- चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित हैं। इस दौरान पूजन, मंत्र जाप और व्रत करने का विधान है। इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को संपन्नता और सफलता का आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के एक विशेष रूप को समर्पित होता है। इस वजह से यह समयावधि आध्यात्मिक रूप से समृद्ध माना जाता है।
- चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन पर भगवान राम की जन्मतिथि राम नवमी पड़ती है। इस दिन उनका पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- स्थिरता और समृद्धि पाने के लिए चैत्र के माह में संसार के संरक्षक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दौरान भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवं उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
- उत्तम स्वास्थ्य, ऊर्जा और सफलता की कामना से सूर्य देव की उपासना की जाती है। चैत्र के दौरान सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने और गायत्री मंत्र का पाठ करना फलदायी रहता है।
मार्च मासिक भविष्यवाणी 2025: राशि अनुसार 12 राशियों का भविष्यफल
मेष राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए बेहतर परिणाम दे सकता है। आपके लग्न या राशि के स्वामी मंगल की मजबूत स्थिति आपके……(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
यह माह आपके लिए काफी हद तक अनुकूल परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। क्योंकि इस महीने लग्न या राशि के स्वामी शुक्र का गोचर आपके……(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
यह माह मिले जुले परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह बुध पूरे महीने नीच राशि में रहेंगे, यह…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए मिले जुले परिणाम दे सकता है। कभी-कभार संघर्ष का लेवल…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए कुछ हद तक संघर्ष भरा या थोड़ा सा कमजोर रह सकता है। आपके…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए मिला जुला या औसत से थोड़ा सा बेहतर भी रह सकता है। आपके…(विस्तार से पढ़ें)
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
तुला राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए मिले-जुले या औसत लेवल के परिणाम दे सकता है। आपके…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए कुछ एक्स्ट्रा मेहनत लेने वाला और मिले-जुले परिणाम देने वाला रह सकता है। हालांकि ये…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
आपके लग्न या राशि के स्वामी बृहस्पति पिछले महीनों की तरह छठे भाव में बने हुए हैं लेकिन इस महीने बृहस्पति चंद्रमा के नक्षत्र में रहेंगे। चंद्रमा आपके…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए काफी हद तक अनुकूल परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। इस महीने …(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
यह महीना सामान्य तौर पर आपके लिए कुछ कठिनाई भरा रह सकता है आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह शनि प्रथम भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
आपके लग्न या राशि के स्वामी बृहस्पति तीसरे भाव में रहते हुए इस महीने चंद्रमा के नक्षत्र में रहेंगे। तीसरे भाव में …(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. इस साल 15 मार्च, 2025 से चैत्र माह शुरू होगा।
उत्तर. 14 मार्च, 2025 को होली का त्योहार है।
उत्तर. 30 मार्च, 2025 को रविवार से चैत्र नवरात्रि आरंभ हैं।
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