कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से स्पष्टीकरण की मांग की है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को पाकिस्तान के साथ युद्धविराम समझौते के लिए मजबूर किया और ब्लैकमेल किया। ट्रंप ने सऊदी अरब की राजधानी रियाध में यह बात चौथी बार कही और बुधवार को वापस आते हुए उन्होंने अपने सरकारी विमान एयरफोर्स 1 में भी स्काई न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में यही बात कही। यह पांचवी बार ट्रंप का दावा था।
उन्होंने बुधवार को कहा, “कुछ दिन पहले हमें अमेरिका के राष्ट्रपति से पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की जानकारी मिली। अब, कल सऊदी अरब में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, राष्ट्रपति ट्रंप ने खुलासा किया कि उन्होंने प्रतिबंधों और व्यापारिक सौदों के लालच और धमकी का इस्तेमाल करके भारत को इस युद्धविराम के लिए मजबूर किया और ब्लैकमेल किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम ने कहा- इस खुलासे के बारे में आमतौर पर अत्यंत मुखर रहने वाले प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री का क्या कहना है? क्या उन्होंने अमेरिकी दबाव के सामने भारत के सुरक्षा हितों को गिरवी रख दिया? इसके बाद उन्होंने सवाल दागा-
अमेरिकी पापा ने वार रुकवा दी क्या?
ट्रंप का बयान आने के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मंगलवार देर रात ही ट्वीट करके केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या पीएमओ ट्रंप के बयान से सहमत है। लेकिन अभी तक मोदी सरकार ने कांग्रेस के इस तीखे सवाल का जवाब नहीं दिया है।
ट्रंप ने सऊदी अरब से वापस यूएस लौटते हुए रास्ते में स्काई न्यूज को इंटरव्यू दिया। उस इंटरव्यू में ट्रंप ने अपनी पीठ फिर थपथपाई और कहा- ‘अगर मैं भारत-पाकिस्तान के बीच सीज फायर नहीं कराता तो लाखों लोग मर सकते थे। दोनों परमाणु संपन्न देश हैं।’ ट्रंप ही वो पहले शख्स हैं जिन्होंने सोशल मीडिया पर इस युद्धविराम की जानकारी सबसे पहले दुनिया को दी थी। इसके बाद अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसे और भी साफ किया कि किस तरह अमेरिका दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और अन्य अधिकारियों के संपर्क में था।
ट्रंप लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता कराने का श्रेय ले रहे हैं। हालांकि, नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि यह समझौता पाकिस्तान के DGMO द्वारा उनके भारतीय समकक्ष को कॉल करने के बाद हुआ। लेकिन ट्रंप ने मंगलवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाध में चौथी बार इस दावे को दोहराया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवा दिया।
ट्रंप ने सऊदी-अमेरिका निवेश मंच 2025 में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा- “कुछ दिन पहले, मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए एक ऐतिहासिक युद्धविराम कराया, और मैंने व्यापार का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। मैंने कहा, ‘चलिए एक समझौता करते हैं। चलिए परमाणु मिसाइलों का व्यापार न करके आप जो सुंदर चीजें बनाते हैं, उनका व्यापार करते हैं। दोनों के पास शक्तिशाली और समझदार नेता हैं। सब कुछ रुक गया। मुझे उम्मीद है कि यह ऐसे ही बना रहेगा।”
ट्रंप ने यह तक पेशकश कर दी कि वो दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे को सुलझा देंगे, जो वर्षों से लंबित है।
हालांकि भारत ट्रंप से सहमत नहीं है। भारत ने ट्रंप का नाम लिए बिना उनके बयानों का खंडन किया है। भारत ने मंगलवार को भी कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश और भारत-पाकिस्तान के बीच “परमाणु युद्ध” रोकने के लिए व्यापार के इस्तेमाल के उनके दावे को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत की गई सैन्य कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक क्षेत्र में थी। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से होना चाहिए। तीसरे पक्ष का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पिछले हफ्ते भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों और नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन और अन्य हथियारों से हमला किया। इसके जवाब में भारत ने सटीक हमले करते हुए पाकिस्तान के एयरबेस को नुकसान पहुंचाया। भारतीय हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तान ने दावा किया कि केवल उसके 11 सैन्यकर्मी मारे गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले सप्ताह कहा कि “आतंक की यूनिवर्सिटियों” के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर स्थगित किया गया है। यह भारत का न्यू नॉर्मल है। यानी मोदी ने यह संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो ऐसा ऑपरेशन फिर किया जा सकता है।