बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को अचानक सलाहकार परिषद की एक आपात बैठक बुलाई, जिसने देश में चल रही राजनीतिक अस्थिरता और तमाम अटकलों को और हवा दे दी है। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब यूनुस पर राजनीतिक दलों और सेना के साथ बढ़ते मतभेदों के बीच इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है। बैठक के बाद यूनुस से जुड़े लोगों ने कहा कि फिलहाल मुख्य सलाहकार इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। इस बारे में सारी अटकलें गलत हैं।
मुहम्मद यूनुस ने यह बैठक अंतरिम सरकार के तीन प्रमुख दायित्वों—चुनाव, सुधार और न्याय—पर चर्चा करने के लिए बुलाई। सलाहकार परिषद के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बैठक में इन जिम्मेदारियों को निभाने में आ रही बाधाओं, विशेष रूप से “अनुचित मांगों, अनधिकृत बयानों और गतिविधियों” पर विस्तृत चर्चा हुई। जिनकी वजह से सामान्य काम बाधित हुआ और जनता के बीच भ्रम पैदा हुआ।
यह बैठक यूनुस द्वारा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं के साथ होने वाली मुलाकातों से कुछ घंटे पहले आयोजित की गई, जिससे इसकी अहमियत और बढ़ गई। बीएनपी ने हाल ही में यूनुस के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए, जिसमें उन्हें फौरन हटाने की मांग की गई।
यूनुस और सेना के मतभेद की 3 खास वजहें
- मौजूदा अंतरिम सरकार म्यांमार के रखाइन राज्य में एक कॉरिडोर बनाना चाहता है। जनरल वाकर-उज-जमां ने स्पष्ट कर दिया कि मौजूदा अंतरिम सरकार यह फैसला नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि “कोई गलियारा नहीं होगा।” बांग्लादेश के अखबार डेली स्टार के अनुसार, उन्होंने कहा, “केवल लोगों द्वारा चुनी गई राजनीतिक सरकार ही ऐसे निर्णय ले सकती है।”
- सेना प्रमुख ने बांग्लादेश के मुख्य बंदरगाह चटगाँव बंदरगाह का प्रबंधन विदेशी कंपनी को सौंपने का भी विरोध किया है।
- इसी तरह एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक के खिलाफ भी वहां के सेना प्रमुख हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो सकता है। डेली स्टार ने उनके हवाले से कहा, “सेना किसी को भी हमारी संप्रभुता से समझौता करने की अनुमति नहीं देगी।”
इस्तीफे की अफवाह यहां से फैली
नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने गुरुवार को बीबीसी बांग्ला को बताया था कि यूनुस ने उनसे मुलाकात में कहा था कि वह मौजूदा स्थिति में काम करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं और इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, शनिवार की आपात बैठक के बाद यूनुस के सलाहकारों ने स्पष्ट किया कि वह अपने पद पर बने रहेंगे। योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने ढाका में एनईसी सम्मेलन कक्ष में बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, “यूनुस ने इस्तीफा देने की कोई मंशा व्यक्त नहीं की है, और अन्य सलाहकार भी अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इसके बावजूद, यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमां के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। सेना प्रमुख ने मांग की है कि दिसंबर 2025 तक चुनाव कराए जाएं, जबकि यूनुस ने जून 2026 तक चुनाव कराने की बात कही है। इसके अलावा, यूनुस द्वारा म्यांमार के लिए प्रस्तावित राखीन गलियारे और कार्यकारी आदेशों के जरिए कैदियों की रिहाई जैसे कदमों पर सेना ने आपत्ति जताई है।
बीएनपी ने यूनुस से सलाहकार परिषद को छोटा करने और कुछ सलाहकारों, जैसे महफूज आलम, आसिफ महमूद और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान को तत्काल हटाने की मांग की है। पार्टी ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर दिसंबर 2025 तक चुनाव की समयसीमा तय नहीं की गई, तो वह सहयोग पर पुनर्विचार कर सकती है। दूसरी ओर, एनसीपी जैसे छात्र संगठन यूनुस का समर्थन कर रहे हैं और उनका कहना है कि सुधारों के बिना जल्दबाजी में चुनाव कराना उचित नहीं होगा।
पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के बाद यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया था। हालांकि, उनकी सरकार को अब विभिन्न पक्षों से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। सेना, जिसने हसीना की सुरक्षित भारत निकासी में मदद की थी, अब यूनुस के नेतृत्व पर सवाल उठा रही है। सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में इसे सेना और अंतरिम सरकार के बीच “शीत युद्ध” के रूप में चित्रित किया जा रहा है।
शनिवार की बैठक के बाद यूनुस के बने रहने की पुष्टि ने फिलहाल अटकलों पर विराम लगा दिया है, लेकिन बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता बरकरार है। विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस का इस्तीफा देश में और अस्थिरता पैदा कर सकता है, खासकर तब जब 170 मिलियन की आबादी वाले इस देश में सुधार और चुनाव के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
यूनुस ने कहा है कि उनकी सरकार का लक्ष्य केवल चुनाव कराना नहीं, बल्कि सुधार और न्याय सुनिश्चित करना भी है। लेकिन बढ़ते दबाव और विरोध प्रदर्शनों के बीच, अगले कुछ दिन बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होंगे।