प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को समन जारी किया है। जिसमें उनकी एक कंपनी के स्वतंत्र निदेशक के रूप में भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। यह समन रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा के खिलाफ ईडी की जांच से जुड़ा है। लेकिन वकीलों के संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता संघ का विरोध
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने ईडी के इस कदम की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने इसे वकीलों की स्वतंत्रता और कानून के शासन पर हमला बताया है। एससीएओआरए के अध्यक्ष विपिन नायर और महासचिव निखिल जैन ने एक बयान में कहा कि किसी वकील को उसकी पेशेवर जिम्मेदारी निभाने के लिए समन जारी करना “न केवल व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना है, बल्कि यह न्याय सुनिश्चित करने वाली संस्था पर हमला है।” उन्होंने इसे जांच एजेंसियों के अति-उत्साह का नतीजा बताते हुए कहा कि यह कानूनी पेशे की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा।
दातार का जवाब और समन वापसी
अरविंद दातार ने इस समन का कड़ा विरोध किया था और तर्क दिया कि किसी मामले में दी गई कानूनी राय को जांच का विषय नहीं बनाया जा सकता। उनके विरोध के बाद ईडी ने समन वापस ले लिया। हालांकि, एससीएओआरए ने इस घटना को लेकर चिंता जताई और इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति करार दिया, जो कानूनी पेशे की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है। बयान में कहा गया, “यदि वकीलों को उनकी कानूनी सलाह के लिए जबरदस्ती उपायों का सामना करना पड़े, तो यह कानूनी प्रणाली को पंगु बना देगा और जनता का न्याय वितरण तंत्र में विश्वास कमजोर होगा।”
प्रताप वेणुगोपाल को भी समन
यह पहली बार नहीं है जब ईडी ने किसी वरिष्ठ वकील को समन जारी किया हो। हाल ही में, 18 जून को, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को भी रश्मि सलूजा को दी गई ईएसओपी पर कानूनी सलाह के लिए समन भेजा गया था। इस मामले में भी एससीएओआरए ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी।
कानूनी बिरादरी ने इस तरह के कदमों को चिंताजनक बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि वकीलों को उनकी पेशेवर सलाह के लिए निशाना बनाना न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह न्याय प्रणाली की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाता है। एससीएओआरए ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से वकील अपने ग्राहकों को निष्पक्ष और निर्भीक सलाह देने में हिचकिचा सकते हैं, जो अंततः लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करेगा।
ईडी का बयान
ईडी द्वारा दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को समन जारी करने पर मचे बवाल के बाद, केंद्रीय एजेंसी ने एक सर्कुलर जारी कर अपने अधिकारियों से भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 132 का उल्लंघन करते हुए अधिवक्ताओं को समन जारी न करने को कहा है।
यह प्रावधान वकील-ग्राहक विशेषाधिकार की रक्षा करता है, वकीलों को सेवा के दौरान ग्राहकों द्वारा किए गए किसी भी संचार का खुलासा करने से छूट देता है।
एक प्रेस नोट में, ईडी ने कहा कि यदि वकीलों को कोई समन जारी करने की आवश्यकता होगी, तो उसे ईडी डायरेक्टर की मंजूरी से ही जारी किया जाएगा।
यह मामला कानूनी पेशे और जांच एजेंसियों के बीच तनाव को उजागर करता है। जहां एक ओर ईडी अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है, वहीं कानूनी बिरादरी इसे पेशेवर स्वतंत्रता पर हमला मान रही है। इस घटना ने एक बार फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है।