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    Home » धनतेरस पर करें भगवान धन्वंतरि के इन मंदिरों का दर्शन – होगी हर मनोकामना पूरी
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    धनतेरस पर करें भगवान धन्वंतरि के इन मंदिरों का दर्शन – होगी हर मनोकामना पूरी

    Janta YojanaBy Janta YojanaOctober 13, 2025No Comments6 Mins Read
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    Dhanteras 2025 (Image Credit-Social Media)

    Dhanteras 2025

    Dhanteras 2025: सुख, समृद्धि और शुभता से भरपूर दीपावली पर्व की तैयारी में धनतेरस का बड़ा महत्व है। जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का आरम्भ हो जाता है। यह दिन केवल सोना-चांदी या बर्तन खरीदने के लिए शुभ नहीं माना जाता, बल्कि यह स्वास्थ्य, दीर्घायु और कल्याण की प्रार्थना का अवसर भी है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वे भगवान विष्णु के अवतार और देवताओं के वैद्य माने जाते हैं, जिन्होंने मानवता को आयुर्वेद जैसी दिव्य चिकित्सा पद्धति प्रदान की। इसलिए धनतेरस को स्वास्थ्य और समृद्धि के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दिवाली से दो दिन पूर्व मनाए जाने वाले इस त्यौहार पर भक्त धन के लिए देवी लक्ष्मी, समृद्धि के लिए भगवान कुबेर और स्वास्थ्य के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं।

    भारतभर में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां भगवान धन्वंतरि की आराधना विशेष रूप से की जाती है। माना जाता है कि इन पवित्र स्थलों पर धनतेरस के दिन दर्शन करने से न केवल रोग-दोष मिटते हैं बल्कि मन की हर कामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं देश में मौजूद भगवान धन्वंतरि और कुबेर से जुड़े सिद्ध मंदिरों के बारे में विस्तार से –

    पेरिंगावू धन्वंतरि मंदिर, त्रिशूर

    कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के लिए लोकप्रिय केरल राज्य में मौजूद धार्मिक शहर त्रिशूर जिसे केरल की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। यहां भगवान धन्वंतरि का एक बेहद सिद्ध मंदिर मौजूद है। पेरिंगावू क्षेत्र में स्थित यह मंदिर अपने आयुर्वेदिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान धन्वंतरि को तुलसी, शहद, दूध और पंचामृत अर्पित किया जाता है। धनतेरस पर मंदिर में विशेष पूजा और दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त अपने परिवार के दीर्घ स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। संध्या समय जब मंदिर परिसर में सैकड़ों दीपक एक साथ जलते हैं, तो दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। यहां दीपक जलाने से जुड़ी मान्यता है कि इससे बड़ी से बड़ी बीमारी में चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है। आरोग्य के साथ ही कुबेर महाराज के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि की भी प्रचुरता बनी रहती है।

    थोट्टुवा धन्वंतरि मंदिर, केरल

    केरल के पेरियार नदी के तट पर स्थित थोट्टुवा धन्वंतरि मंदिर भगवान धन्वंतरि की भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां भगवान की छह फुट ऊंची प्रतिमा पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए है। जो भक्तों के लिए आरोग्य और अमृत का प्रतीक है। कहा जाता है कि यहां पूजा करने से शरीर के तीनों दोष यानी वात, पित्त और कफ संतुलित होते हैं। धनतेरस पर मंदिर में विशेष अभिषेक और पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्त पंचामृत, तुलसी के पत्ते और औषधीय मिश्रण अर्पित करते हैं। इस मंदिर में आरती और मंत्रोच्चार की गूंज के बीच वातावरण में एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त हो जाती है। मन को शांति और शरीर को स्फूर्ति प्रदान करने वाली इस दिव्यता का हिस्सा बनने के लिए अनगिनत भक्त धनतेरस के अवसर पर यहां उपस्थित रहते हैं।

    नेल्लुवाई श्री धन्वंतरि मंदिर, त्रिशूर (केरल)

    त्रिशूर के निकट स्थित नेल्लुवाई श्री धन्वंतरि मंदिर आयुर्वेदिक परंपरा और चिकित्सा शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय विश्वास है कि इस मंदिर की स्थापना अश्विनी देवों ने की थी, जो स्वयं देवताओं के वैद्य हैं। यहां ‘मुक्कुड़ी प्रसाद’ नामक विशेष प्रसाद दिया जाता है, जिसमें औषधीय गुण माने जाते हैं। धनतेरस पर मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं और भगवान से अपने परिवार के स्वास्थ्य व कल्याण की प्रार्थना करते हैं। इस दिन यहां विशेष आयुर्वेदिक अनुष्ठान और मंत्रोच्चार होते हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में रोग निवारण की शक्ति रखते हैं।

    कोयंबटूर का एवीसीआरआई धन्वंतरि मंदिर, तमिलनाडु

    तमिलनाडु के कोयंबटूर में आर्य वैद्य चिकित्सालय (AVCRI) परिसर में स्थित धन्वंतरि मंदिर आधुनिक चिकित्सा और प्राचीन आयुर्वेद का सुंदर संगम है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक केरल शैली में निर्मित है और यहां भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए विराजमान है। धनतेरस के अवसर पर मंदिर में विशेष ‘आरोग्य होम’ का आयोजन किया जाता है, जिसमें औषधीय जड़ी-बूटियां, घी और अनाज अग्नि में अर्पित किए जाते हैं। यह अनुष्ठान समग्र स्वास्थ्य और संतुलन की कामना के लिए किया जाता है। दूर-दराज से आए श्रद्धालु इस दिन पवित्र भस्म प्राप्त करते हैं, जिसके बारे में विश्वास है कि इसमें उपचारात्मक शक्ति निहित है।

    वेलजापेट धन्वंतरि मंदिर, तमिलनाडु

    वेल्लोर जिले के निकट वेलजापेट में स्थित धन्वंतरि मंदिर दक्षिण भारत के उन कुछ प्रमुख मंदिरों में से एक है, जहां भगवान धन्वंतरि को मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर परिसर में हर ओर आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की झलक मिलती है। धनतेरस के दिन यहां का दृश्य अत्यंत भव्य होता है। भक्त सुबह से ही पंक्तिबद्ध होकर भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, पुजारी औषधीय मिश्रणों से अभिषेक करते हैं और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतराय अमृत कलश हस्ताय नमः’ का सामूहिक जाप किया जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

    श्रीरंगम का धन्वंतरि उपमंदिर, तमिलनाडु

    श्रीरंगम के प्रसिद्ध श्री रंगनाथस्वामी मंदिर परिसर में भगवान धन्वंतरि का एक छोटा लेकिन अत्यंत पूजनीय उपमंदिर स्थित है। यह उप-श्रद्धा प्राचीन काल से आरोग्य उपासना का केंद्र मानी जाती है। यहां प्रतिदिन भगवान धन्वंतरि की आरती और भजन होते हैं और भक्तों को औषधीय प्रसाद दिया जाता है। धनतेरस के अवसर पर यहां विशेष धन्वंतरि होम और स्तोत्र पाठ किया जाता है। मंदिर के पुजारी कहते हैं कि भगवान की कृपा से यहां अनेक भक्तों ने अपने पुराने रोगों से मुक्ति पाई है।

    क्या होती है धनतेरस पर पारम्परिक पूजा-विधि और आध्यात्मिक महत्व

    दीपावली की शुरुआत के साथ धनतेरस की शाम को घर या मंदिर में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाया जाता है। 13 दीपक जलाने की परंपरा नकारात्मकता को दूर करने और स्वास्थ्य के प्रकाश को जीवन में आमंत्रित करने का प्रतीक मानी जाती है। पूजा के समय तुलसी के पत्ते, शहद, घी, फल और पंचामृत अर्पित करना शुभ होता है। श्रद्धा से धन्वंतरि स्तोत्र या मंत्र का जाप करने से मन और शरीर दोनों में संतुलन और शांति आती है।

    इस दिन स्वास्थ्य संबंधी सेवा करना जैसे दवा वितरण, गरीबों को भोजन या चिकित्सा सहायता देना भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। धनतेरस का मूल संदेश यही है कि जीवन में धन के साथ-साथ स्वास्थ्य और आंतरिक संतुलन का भी उतना ही महत्व है।

    धनतेरस केवल सोने या चांदी के बर्तन खरीदने का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और शारीरिक आरोग्य का उत्सव है। भगवान धन्वंतरि की पूजा मनुष्य को यह याद दिलाती है कि असली समृद्धि स्वास्थ्य में ही निहित है। जब भक्त पूरी श्रद्धा और मन की शुद्धता से भगवान धन्वंतरि की आराधना करते हैं, तो माना जाता है कि उनका जीवन रोगमुक्त, संपन्न और संतुलित बन जाता है।

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