बीते दिनों मध्यप्रदेश में पर्यावरण के दृष्टिकोण से 2 महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं जो एक दूसरे के ठीक विपरीत हैं। दरअसल मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशाशन मंत्री, कैलाश विजयवर्गीय ने 20 जून को एक पेड़ मां के नाम से अभियान शुरू किया। इस अभियान का लक्ष्य इंदौर शहर में 51 लाख पौधों का रिकॉर्ड वृक्षारोपण करना था।
खबरे हैं, की आगामी दिनों में यह कार्यक्रम धूम-धाम से मनाया जाएगा, जिसमें अतिथि के तौर पर देश के गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी हिस्सा लेंगे। वहीं इससे ठीक उलट दृश्य पिछले दिनों इंदौर के ही मल्हार आश्रम में देखने को मिलें हैं, जहां कई पुराने वृक्षों को काटे जाने पर इंदौरवासियों ने कटे हुए पेड़ों को श्रद्धांजलि दी है। इसके साथ ही उन्होंने अपना प्रतीकात्मक विरोध भी दर्ज किया है। आइये जानते हैं क्या है ये पूरा मामला।
पेड़ों की कटाई के खिलाफ हुआ प्रदर्शन
दरअसल बीते दिनों इंदौर में सीएम राइज स्कूल, और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स इत्यादि के निर्माण के लिए मल्हार आश्रम के कई पेड़ों को प्रशासन द्वारा काटा गया है। इनमें से कई 40 से 80 साल पुराने पेड़ भी थे। कटे हुए पेड़ों की संख्या 100 के तकरीबन बताई जा रही है। हालांकि इस पर प्रशाशन ने जवाब दिया है कि उन्होंने 34 पेड़ों को काटने की अनुमति ली थी, और ठीक उतने ही पेड़ काटे गए हैं।
दरअसल ये वृक्ष अहिल्या वन के अंतर्गत आते हैं। यह इंदौर नगर निगम, पर्यावरणीय संस्थाओं के सहयोग से तैयार किये गए थे। इंदौर के लोगों ने साल 2020 से लग कर यह वृक्ष तैयार किये थे। लेकिन इन वृक्षों के कट जाने के कारण इंदौर के लोगों में काफी रोष देखा गया। इस कटाई के विरोध में इंदौर के लगभग 300 लोगों ने सड़क पर कैंडल मार्च किया, और कटे हुए वृक्षों को श्रद्धांजली अर्पित की। इसके बाद इन सब ने कटे हुए पेड़ों के नजदीक खड़े होकर राष्ट्रगान गाया।
तैयार वृक्षों को काट कर लगाए जा रहे हैं नए वृक्ष
इस सिलसिले में ग्राउंड रिपोर्ट की बात इंडिया यूथ हॉस्टल के मध्यप्रदेश अध्यक्ष अशोक गोलानी से हुई। अशोक गोलानी ने बताया की उनहोंने, और कई पर्यावरण प्रेमियों ने मिलकर अहिल्यावन के अंतर्गत 13 हजार वृक्ष तैयार किये थे। बकौल अशोक पहले इस जमीन का लैंड यूज पेड़ो के लिए ही था, जिसे हाल-फिलहाल में बदल दिया गया। ये सभी वृक्ष लगभग 9 से 10 फुट तक बड़े हो गए थे जिन्हे अब विकास के नाम पर काटा गया है।
अशोक ने बताया कि यह काम प्रशासन ने इतने करीने से किया कि किसी को पता ही नहीं चला। उन्हें एक अन्य व्यक्ति के द्वारा यह खबर मिली कि मल्हार आश्रम के कई सारे पेड़ काट दिए गए हैं। उन्होंने जब वहां जा कर देखा तो उन्हें कई पेड़ कटे हुए मिले थे। कई कटे हुए पेड़ों को वहां से ले जाया जा रहा था तो कई पेड़ मलवे के नीचे छुपाए गए थे।
इसके अलावा अशोक गोलानी ने बताया की लोखंडे पुल के पास स्थानीय लोगों ने कई पौधे लगाए हुए थे। एक दिन वे अपने साथियों के साथ वहां से गुजर रहे थे तब उन्होंने देखा कि कुछ लोग लगे हुए पौधे हटाकर, बगल में गड्ढे तैयार कर रहे हैं। इस पर जब उन के साथियों ने सवाल उठाया तो वहां मौजूद लोग अभद्रता पर उतर आए।
बकौल अशोक गोलानी, इसका कारण शहर में पेड़ लगाने के लिए सीमित भूमि का उपलब्ध होना है। यानी इंदौर में 51 लाख का टारगेट पूरा करने के लिए लगे हुए पौधों को हटाया जा रहा है। अशोक गोलानी ने सरकार के इस अभियान पर आगे कहा कि,
हमें इस बड़े वृक्षारोपण अभियान से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि हम इसके लिए सरकार की मदद भी करेंगे, लेकिन इसके लिए पुराने वृक्षों को नहीं काटा जाना चाहिए।
जमीन कम टारगेट ज्यादा
हमारी बात कटे हुए वृक्षों की श्रद्धांजली सभा में शामिल हुए अजय लागू जी से हुई। हमने जब उनसे पूछा की क्या सिर्फ 34 पेड़ ही काटे गए हैं ? इस पर अजय जी ने कहा कि ऐसा नहीं है, अगर सिर्फ 34 पेड़ ही कटे हैं तो कटे हुए पेड़ों को मलवे के नीचे छुपा कर क्यों रखा गया था। यह सच्चाई पर पर्दा डालने की एक कोशिश है। विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई पर अजय जी ने कहा कि,
मलवे के निचे दबे, कटे हुए पेंड़
मुझे विकास से गुरेज नहीं है, लेकिन यह पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए। सरकारों को अब हॉरिज़ोंटल कि बजाय वर्टिकल निर्माण के मॉडल को अपनाना चाहिए।
51 लाख पेड़ों के वृक्षारोपण पर अजय जी ने कहा कि इंदौर में इतनी जमीन ही नहीं बची है, की 51 लाख पेड़ लगने के बाद सही तरीके से पनप सकें। अजय जी ने इस पर आगे कहा,
मैं पहले दिन से ही पूछ रहा हूं कि यदि 1500 पौधे बोये जाते हैं तो आपको 1 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी, 6 लाख पौधों के लिए 400 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। 30 लाख के हिसाब के लिए आपको 400×5 यानी 2000 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। यह ज़मीन कहाँ है? या फिर भीड़ में 30 लाख पौधे दिखा तो देंगे, लेकिन वो पौधे बचेंगे कैसे।
अब मल्हार आश्रम के पास कई पेड़ कट चुके हैं, वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार अब हुकुमचंद मिल के पास के पेड़ों को काटने की तैयारी में हैं। इस पर अशोक गोलानी ने कहा कि इंदौर के लोग मिल कर इसका विरोध करेंगे। अब इंदौर के इस विशाल वृक्षारोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेने 10 जुलाई को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, और 14 जुलाई को गृह अमित शाह आने वाले हैं।
इससे पहले भी देश में कई वृक्षरोपण अभियान चलाए जा चुके हैं। इन अभियानों की सफलता का अंदाजा देशवासी बदलती जलवायु और हाल में पड़ी तेज गर्मीं से लगा सकते हैं। लेकिन इंदौर के इस वृक्षारोपण का नतीजा, और विकास की होड़ में मौजूदा पेड़ों का भविष्य क्या होता है यह वक्त साथ ही पता लग पाएगा।
यह भी पढ़ें
पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
दुर्लभ देसी पौधों की प्रजातियों को बचा रहे पुणे के यह युवा
बेसहारा पशुओं को भीषण गर्मी से कैसे बचा रहा है राजस्थान का बीसलपुर गांव?
जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह
जवाई लेपर्ड सेंक्चुरी क्षेत्र के वन्यजीवों को भीषण गर्मी से बचा रहे हैं कांजी मेवाड़ा
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।