Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Spiti Valley Kaise Ghume: स्पीति घाटी- हिमालय के इस ठंडे रेगिस्तान में छुपे हैं, बेपनाह सुकून के ख़जाने
    • Lucknow News: अखिलेश यादव ने सीएम योगी के लिए पेश किया ‘सौदा’ बोले – बेचना ही है तो हमें बेच दें JPNIC, चंदा लगाकर ख़रीद लेंगे
    • ‘रुदाली सभा थी, मराठी उत्सव नहीं…’. ठाकरे बंधुओं की रैली पर फडणवीस का करारा पलटवार, BMC चुनाव से पहले ‘मराठी बनाम हिंदुत्व’ की जंग तेज
    • Famous Unique Park: ओस्लो का अनोखा पार्क, जहाँ हर मूर्ति बताती है इंसान के जन्म से लेकर मौत तक की कहानी
    • Roopkumari Choudhary Wiki in Hindi: गांव की मिट्टी से संसद तक- रूपकुमारी चौधरी का संघर्ष, सेवा और सफलता से भरा है शानदार राजनीतिक सफर
    • ठाकरे बदर्स का कमबैक! पुराने मंच पर 20 साल बाद मिले गले, एकजुटता या चुनावी गणित की नई गिनती?
    • ‘चाहे जितनी छाती पीट लें.. मोदी घुटने टेक देंगे’ ट्रंप की टैरिफ डेडलाइन पर ये क्या बोल गए राहुल गांधी?
    • Bihar Vidhan Sabha Election: बिहार चुनाव में राजद की जीत तय! लालू ने खेला ऐसा सियासी दांव, विरोधी हो जायेंगे चित
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Bharat Mein Sanskrit Bolne Wale Gaon: भारत के वे गांव जहां आज भी बोली जाती है संस्कृत, आइए जानते हैं इनके बारे में
    Tourism

    Bharat Mein Sanskrit Bolne Wale Gaon: भारत के वे गांव जहां आज भी बोली जाती है संस्कृत, आइए जानते हैं इनके बारे में

    By January 29, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bharat Mein Sanskrit Bolne Wale Gaon Ka Itihas (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Bharat Mein Sanskrit Bolne Wale Gaon Ka Itihas: परिचय संस्कृत, जो प्राचीन भारत की प्रमुख भाषा रही है, आज भी भारत के कुछ गाँवों में जीवित है। जहाँ एक ओर यह भाषा विश्वभर में अध्ययन और अनुसंधान का विषय बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर इन गाँवों के लोग इसे अपनी दैनिक बातचीत और जीवनशैली का हिस्सा बनाए हुए हैं। संस्कृत भाषा का जनक महर्षि पाणिनी थे. माना जाता है भारत में पुरात्व में संस्कृत ही बोलचाल की भाषा हुआ करती थी. फिर धीरे-धीरे इसी भाषा से निकली हिंदी भाषा ने अपनी जगह कब बना ली किसी को पता भी नहीं चला।

    भारत में संस्कृत बोलने वाले प्रमुख गांव (Major Sanskrit Speaking Villages In India List In Hindi)

    1. मत्तूर (कर्नाटक)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    मत्तूर गांव, जो कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित है, संस्कृत भाषा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यहाँ लगभग सभी निवासी संस्कृत में बातचीत करते हैं। कहा जाता है कि 16वीं सदी में राजा कृष्ण देव राय ने होसा हल्ली और मट्टूर को संस्कृत को समृद्ध बनाए रखने और इसके प्रचार, प्रसार का केंद्र बनाया था। मत्तुर का पूरा गाँव एक वर्ग के रूप में बनाया गया है। यहाँ एक केंद्रीय मंदिर और एक पाठशाला है जहाँ पारंपरिक तरीके से वेदों का पाठ किया और पढ़ाया जाता है। यहाँ पर शिक्षक गाँव के बुजुर्ग है जिनकी निगरानी में छात्र अपने पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में संस्कृत और वेदों की शिक्षा लेते हैं।

    इस पाठशाला में छात्र पुराने ताड़ के पत्तों पर लिखे हुए संस्कृत लेखों से कंप्यूटर पर इस स्क्रिप्ट को लिखते हैं और सभी व्यक्तियों के लिए पब्लिश किया जाता है ताकी सभी लोग इसका लाभ ले सकें। यहाँ विदेश के कई छात्र भी रहते हैं जो भाषा सीखने के लिए पाठशाला में क्रैश कोर्स कर रहे होते हैं।

    2. होस्केरे (कर्नाटक)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    मत्तूर के पास स्थित होस्केरे गाँव भी संस्कृत बोलने के लिए प्रसिद्ध है। इन दोनों गाँवों में संस्कृत को दैनिक जीवन में पूरी तरह से अपनाया गया है। इस गांव के स्कूल में करीब 5 हजार लोगों को संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। इनका उद्देश्य है इस अनमोल भाषा को खत्म होने से बचाना।

    3. झिरी (मध्य प्रदेश)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    मध्य प्रदेश के झिरी गाँव के निवासी भी संस्कृत को प्राथमिक भाषा के रूप में उपयोग करते हैं। यहाँ के स्कूलों और धार्मिक अनुष्ठानों में संस्कृत भाषा का प्रमुखता से उपयोग होता है। गांव के लोगों के लिए संस्कृत प्राइमरी लैंग्वेज है। स्कूलों में बच्चों को संस्कृत मीडियम में पढ़ाया जाता है। 976 आबादी वाले झिरी गांव में महिलाएं, किसान और मजदूर भी एक-दूसरे से संस्कृत में बात करते हैं। यहां संस्कृत सिखाने की शुरुआत 2002 में विमला तिवारी नाम की समाज सेविका ने की।

    धीरे-धीरे गांव के लोगों में दुनिया की प्राचीन भाषा के प्रति रुझान बढ़ने लगा और आज पूरा गांव फर्राटेदार संस्कृत बोलता है। आपको जानकर हैरत होगी कि झिरी गांव के घरों के नाम भी संस्कृत में हैं। कई घरों के बाहर संस्कृत ग्राहम लिखा हुआ है।

    4. गंजाम (ओडिशा)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    ओडिशा का गंजाम गाँव संस्कृत भाषा के प्रति अपने समर्पण के लिए जाना जाता है।

    5. बागुर (राजस्थान)

    राजस्थान का बागुर गाँव भी उन स्थलों में से एक है जहाँ संस्कृत को संरक्षित रखा गया है।

    6. सासन (ओडिशा)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    ओडिशा के गुर्दा जिले में स्थित सासन संस्कृत गीतकार जयदेव का जन्म स्थल है. इस गांव में भी लोगों की मुख्य भाषा संस्कृत है और हर घर का व्यक्ति इसी भाषा में बातचीत करता है. इस गांव की आबादी कुछ 300 के आसपास है। इनमें से ज्यादातर ब्राह्मण हैं। यहां भी संस्कृत सीखना एक परंपरा है। ऐसी लोकप्रिय परंपरा, जिसका असर पड़ोस के गांव पर भी है। जहां कवि कालीदास के नाम पर एक मंदिर है।

    7. बघुवार (मध्य प्रदेश)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में स्थित बघुवार में आज भी एक-दूसरे से संस्कृत भाषा में ही बातचीत होती है। कभी आप जाएंगे तो यहां हर व्यक्ति आपको संस्कृत में बात करता हुआ मिल जाएगा।

    क्यों संस्कृत यहाँ बोली जाती है?

    इन गाँवों में संस्कृत भाषा का संरक्षण और उपयोग कई कारणों से होता है:

    संस्कृत की धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ें: संस्कृत भारत की प्राचीन संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों की भाषा है। यह गाँव अक्सर धार्मिक गतिविधियों और वेदों के अध्ययन के केंद्र रहे हैं।

    पारंपरिक शिक्षा: इन गाँवों में पारंपरिक गुरुकुल प्रणाली को संरक्षित किया गया है, जिसमें बच्चों को संस्कृत में शिक्षा दी जाती है।

    भक्ति और आध्यात्मिकता: गाँवों में संस्कृत भाषा का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और भक्ति गतिविधियों में किया जाता है।

    सरकारी और निजी प्रयास: भारत सरकार और कुछ निजी संगठनों द्वारा इन गाँवों में संस्कृत को प्रोत्साहित किया गया है।

    वर्तमान में प्रभाव कम क्यों है?

    आधुनिक शिक्षा प्रणाली: आज की शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजी और अन्य भाषाओं का महत्व बढ़ गया है, जिससे संस्कृत का प्रभाव सीमित हो गया है।

    प्रवासन: गाँवों से शहरी क्षेत्रों में प्रवासन के कारण स्थानीय परंपराएँ और भाषाएँ कमजोर हो रही हैं।

    वैश्वीकरण: वैश्वीकरण के कारण युवा पीढ़ी का रुझान आधुनिक भाषाओं और तकनीकी ज्ञान की ओर बढ़ रहा है।

    संस्कृत के प्रति जागरूकता की कमी: संस्कृत के प्रति समाज में जागरूकता की कमी ने भी इसके उपयोग को सीमित किया है।

    इन गाँवों के संरक्षण के प्रयास

    शिक्षा और प्रशिक्षण: गुरुकुल प्रणाली और संस्कृत विद्यालयों के माध्यम से इस भाषा को जीवित रखा जा रहा है।

    सरकारी योजनाएँ: भारत सरकार ने संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं।

    संस्कृत भारती जैसे संगठन: ये संगठन संस्कृत के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं।

    धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन: इन गाँवों में धार्मिक आयोजन और संस्कृत प्रतियोगिताओं के माध्यम से भाषा को बढ़ावा दिया जाता है।

    भारत के ये गाँव संस्कृत भाषा की समृद्ध धरोहर को जीवित रखने का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। हालाँकि, आधुनिक युग में इसके प्रभाव में कमी आई है, लेकिन सरकारी और सामाजिक प्रयासों के माध्यम से इसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। इन गाँवों की परंपराएँ और संस्कृत भाषा की उपस्थिति न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं, बल्कि विश्वभर में भारतीयता के प्रतिनिधि भी हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleचीनी नव वर्ष 2025 से जानें, ईयर ऑफ द वुड स्नेक कैसा रहेगा आपके लिए?
    Next Article ब्रिटेन में पहली बार हिन्दू राष्ट्रवादी उग्रवाद को लेकर चिन्ता जताई गई

    Related Posts

    Spiti Valley Kaise Ghume: स्पीति घाटी- हिमालय के इस ठंडे रेगिस्तान में छुपे हैं, बेपनाह सुकून के ख़जाने

    July 5, 2025

    Famous Unique Park: ओस्लो का अनोखा पार्क, जहाँ हर मूर्ति बताती है इंसान के जन्म से लेकर मौत तक की कहानी

    July 5, 2025

    Shimla Hidden Tourist Places: शिमला में मौजूद वो अनदेखी जगहें, जहां प्रकृति, शांति और संस्कृति एक साथ करती हैं आपका स्वागत

    July 4, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.