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    Duniya Ka Sabse Bada Dam: दुनिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग चमत्कार थ्री गॉर्जेस डैम का इतिहास

    Janta YojanaBy Janta YojanaMarch 29, 2025No Comments12 Mins Read
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    Duniya Ka Sabse Bada Dam Three Gorges Dam History 

    Duniya Ka Sabse Bada Dam Three Gorges Dam History 

    Biggest Dam In The World: बांध मानव सभ्यता के लिए जल संरक्षण, ऊर्जा उत्पादन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण का एक प्रभावी साधन रहे हैं, लेकिन जब ये अपनी सीमाओं से आगे बढ़ते हैं, तो विनाशकारी परिणाम भी ला सकते हैं। चीन में स्थित थ्री गॉर्जेस डैम (Three Gorges Dam), न केवल दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली बांध है, बल्कि यह तकनीकी उत्कृष्टता और विवादों का प्रतीक भी है।

    यह बांध यांग्त्ज़ी नदी पर निर्मित है और अपनी विशाल जलविद्युत उत्पादन क्षमता के कारण इसे एक इंजीनियरिंग चमत्कार माना जाता है। लेकिन इसके निर्माण से जुड़े सामाजिक, पर्यावरणीय और भौगोलिक प्रभावों ने इसे वैश्विक बहस का विषय बना दिया है। जहां यह चीन की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और बाढ़ नियंत्रण में सहायक सिद्ध हुआ है, वहीं भूस्खलन, पारिस्थितिक असंतुलन और विस्थापन जैसी चुनौतियों ने इसके नकारात्मक प्रभावों को उजागर किया है।

    परियोजना का संक्षिप्त विवरण (Project Overview)

    थ्री गॉर्जेस डैम (Three Gorges Dam) विश्व की सबसे बड़ी जलविद्युत (हाइड्रोइलेक्ट्रिक) परियोजना है, जो चीन में यांग्त्ज़ी नदी (Yangtze River) पर स्थित है। यह परियोजना दुनिया के सबसे प्रभावशाली इंजीनियरिंग चमत्कारों में से एक मानी जाती है और इसका निर्माण मुख्य रूप से बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन और नौवहन (नेविगेशन) में सुधार के लिए किया गया था।

    यह विशाल संरचना चीन के हुबेई प्रांत के यिचांग शहर के सैंडौपिंग क्षेत्र में स्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1994 में शुरू हुआ और 2012 में पूर्ण रूप से पूरा हुआ। यह बांध 2,335 मीटर (7,660 फीट) लंबा और 185 मीटर (607 फीट) ऊँचा है। इसकी जलविद्युत उत्पादन क्षमता 22,500 मेगावाट है, जो इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली जलविद्युत संयंत्र बनाती है। इसके जलाशय की लंबाई लगभग 600 किलोमीटर तक फैली हुई है, जो एक विशाल जल भंडारण प्रणाली का निर्माण करता है।

    निर्माण और विकास(Construction & Development)

    थ्री गॉर्जेस डैम (Three Gorges Dam) की परिकल्पना 20वीं शताब्दी की शुरुआत में की गई थी, लेकिन इसे साकार करने में कई दशक लग गए। इस परियोजना का निर्माण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें कई तकनीकी, आर्थिक, और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखना पड़ा।

    यांग्त्ज़ी नदी(Yangtze River )पर बाँध बनाने का विचार पहली बार 1919 में प्रसिद्ध चीनी नेता सुन यात-सेन (Sun Yat-sen) ने प्रस्तुत किया था। उन्होंने एक रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि इस नदी पर एक विशाल बाँध बनाया जाना चाहिए, जो न केवल बाढ़ नियंत्रण में मदद करेगा, बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी उपयोगी होगा।

    1950 के दशक में, माओ ज़ेदोंग (Mao Zedong) की सरकार ने इस परियोजना पर गंभीरता से विचार किया और प्रारंभिक सर्वेक्षण कराए। हालाँकि, आर्थिक और तकनीकी सीमाओं के कारण इसे तत्काल लागू नहीं किया जा सका। 1980 के दशक में, जब चीन आर्थिक सुधारों की राह पर था, तब इस परियोजना को फिर से प्राथमिकता दी गई।

    1992 में, चीन की राष्ट्रीय पीपुल्स कांग्रेस (National People’s Congress) ने आधिकारिक रूप से थ्री गॉर्जेस डैम परियोजना को मंजूरी दी। इस परियोजना की लागत 22.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई थी, लेकिन अंततः यह लागत बढ़कर लगभग 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।

    निर्माण का चरणबद्ध विकास(Phased Development of Construction)

    थ्री गॉर्जेस डैम का निर्माण तीन प्रमुख चरणों में किया गया:

    पहला चरण (1994-1997): थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण का पहला चरण 1994 से 1997 के बीच पूरा किया गया, जिसमें प्रारंभिक निर्माण कार्य और नदी के प्रवाह में बदलाव किया गया। इस चरण का मुख्य उद्देश्य यांग्त्ज़ी नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए डाइवर्जन चैनल (Diversion Channel) का निर्माण करना था, जिससे नदी की दिशा को अस्थायी रूप से मोड़ा जा सके और बांध के मुख्य ढांचे के निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाई जा सकें। इस दौरान बांध के आधारभूत ढांचे और जलाशय की नींव तैयार की गई, जिससे परियोजना की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। इस विशाल निर्माण कार्य में लगभग 15,000 श्रमिकों को लगाया गया, जो दिन-रात इस इंजीनियरिंग परियोजना को साकार करने में जुटे रहे। 1997 में, नदी के प्रवाह को अस्थायी रूप से मोड़ दिया गया, जिससे बांध के मुख्य भाग का निर्माण शुरू किया जा सके और परियोजना को अगले चरण में ले जाया जा सके।

    दूसरा चरण (1998-2003): मुख्य बाँध और जलाशय के निर्माण का चरण परियोजना की सबसे महत्वपूर्ण और जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें बांध की मुख्य संरचना को अंतिम रूप दिया गया। इस चरण में विशाल कंक्रीट ब्लॉकों का उपयोग करके बांध की ऊँचाई को धीरे-धीरे बढ़ाया गया, जिससे यह अपनी निर्धारित ऊँचाई तक पहुँच सका। 2003 में, जलाशय (Reservoir) में पानी भरने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे यांग्त्ज़ी नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और जल संग्रहण की क्षमता को परखा गया। इसी वर्ष, पहली हाइड्रोइलेक्ट्रिक टरबाइन (Turbine) ने बिजली उत्पादन शुरू किया, जिससे थ्री गॉर्जेस डैम ने अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता को साबित किया और चीन की बिजली आपूर्ति में योगदान देना शुरू किया।

    तीसरा चरण (2003-2012): टरबाइनों की स्थापना और अतिरिक्त संरचनाओं का निर्माण थ्री गॉर्जेस डैम परियोजना का अंतिम चरण था, जिसमें ऊर्जा उत्पादन क्षमता को पूरी तरह विकसित किया गया और नौवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए अतिरिक्त संरचनाएँ बनाई गईं। इस चरण में बाँध में कुल 32 मुख्य टरबाइनों को स्थापित किया गया, जिनमें से प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 14 मेगावाट थी। 2012 तक, सभी टरबाइन पूरी क्षमता से काम करने लगीं, जिससे थ्री गॉर्जेस डैम की कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता 22,500 मेगावाट तक पहुँच गई, जो इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली जलविद्युत संयंत्र बनाती है। इस चरण में शिप लिफ्ट (Ship Lift) और लॉक्स (Locks) जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएँ भी बनाई गईं, जिससे यांग्त्ज़ी नदी में नौवहन (Navigation) को सुगम बनाया जा सके और बड़े जहाजों की आवाजाही आसान हो सके।

    निर्माण में उपयोग की गई सामग्री(Materials Used in Construction)

    संरचना और डिज़ाइन – संरचना और डिज़ाइन के मामले में, थ्री गॉर्जेस डैम को इस तरह से विकसित किया गया कि यह यांग्त्ज़ी नदी के तीव्र प्रवाह और उच्च जल दबाव का प्रभावी रूप से सामना कर सके। यह दुनिया के सबसे बड़े ग्रेविटी डैम (Gravity Dam) में से एक है, जिसका निर्माण अत्यधिक मजबूत कंक्रीट संरचना के साथ किया गया, ताकि यह जल के विशाल भार को सहन कर सके। यह बांध 2,335 मीटर (7,660 फीट) लंबा और 185 मीटर (607 फीट) ऊँचा है, जो इसे दुनिया के सबसे विशाल जलविद्युत बांधों में शामिल करता है। इसकी चौड़ाई शीर्ष पर 40 मीटर (131 फीट) और आधार पर 115 मीटर (377 फीट) है, जिससे इसकी स्थिरता सुनिश्चित होती है और यह जल के प्रवाह को प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकता है।

    डिज़ाइन की विशेषताएँ – बाँध को इतना मजबूत बनाया गया है कि यह एक तीव्र भूकंप, बाढ़, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सके। इसकी संरचना को परतों में कंक्रीट डालकर तैयार किया गया, जिससे यह और अधिक मजबूत बन सके। इसमें जल निकासी प्रणाली (Drainage System) भी शामिल की गई है, जिससे अतिरिक्त जल दबाव को नियंत्रित किया जा सके।

    कंक्रीट (Concrete) का उपयोग – इस बाँध के निर्माण में लगभग 27.2 मिलियन क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग किया गया, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी कंक्रीट संरचनाओं में से एक बनाता है। कंक्रीट की ताकत को बढ़ाने के लिए विशेष हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट (High-Performance Concrete – HPC) का उपयोग किया गया। बाँध में मास कंक्रीट (Mass Concrete) तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर कंक्रीट को ठंडा किया जा सके और दरारें बनने से बचाया जा सके। कंक्रीट की ठोसता बनाए रखने के लिए कूलिंग पाइप्स (Cooling Pipes) का इस्तेमाल किया गया, जिससे अंदरूनी तापमान को नियंत्रित किया गया।

    स्टील (Steel) का उपयोग – इस परियोजना में आधुनिक स्टील तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे बाँध की स्थिरता बढ़ाई जा सके। पूरे बाँध में लगभग 463,000 टन स्टील का उपयोग किया गया, जो कि 63 एफिल टावरों (Eiffel Towers) के बराबर है। स्टील का उपयोग मुख्य रूप से जल द्वार (Floodgates), टरबाइन हाउस, और बाँध के अंदरूनी संरचनात्मक समर्थन के लिए किया गया।

    पनबिजली उत्पादन के लिए टरबाइन (Turbines) और जनरेटर (Generators) – बाँध में 32 मुख्य टरबाइन यूनिट्स स्थापित की गई हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट है। ये टरबाइन फ्रांस और जर्मनी की एडवांस हाइड्रो-इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी से निर्मित किए गए हैं। प्रत्येक टरबाइन को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह यांग्त्ज़ी नदी के तेज़ जल प्रवाह को नियंत्रित कर सके और अधिकतम बिजली उत्पादन कर सके। अतिरिक्त रूप से, बाँध में दो छोटी 50 मेगावाट की टरबाइन भी स्थापित की गई हैं।

    जलाशय (Reservoir) की नींव में इस्तेमाल की गई सामग्री – बाँध की नींव को मजबूत बनाने के लिए डायमंड ड्रिलिंग (Diamond Drilling) तकनीक का उपयोग किया गया। जलाशय के तल को स्थिर करने के लिए विशेष सीमेंट और चट्टानों के मिश्रण का उपयोग किया गया। मिट्टी की अपरदन (Soil Erosion) को रोकने के लिए सिंथेटिक जियोमैटेरियल्स (Geosynthetics) का उपयोग किया गया।

    निर्माण में उपयोग की गई तकनीक(Technology Used in Construction)

    थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे इसकी कार्यक्षमता और स्थिरता को बढ़ाया जा सके।

    मास कंक्रीट कूलिंग (Mass Concrete Cooling) तकनीक

    • चूँकि कंक्रीट के बड़े ब्लॉकों के सूखने के दौरान अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है, इसे ठंडा करने के लिए विशेष वॉटर कूलिंग पाइप्स का उपयोग किया गया।

    • इससे बाँध में दरारें बनने से बचाया गया और इसकी संरचनात्मक मजबूती बनी रही।

    हाई-प्रेशर ग्राउटिंग (High-Pressure Grouting) तकनीक

    • बाँध के आधार को और अधिक मजबूत करने के लिए हाई-प्रेशर ग्राउटिंग तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे जल रिसाव को रोका जा सके।

    सीमेंट इंजेक्शन तकनीक (Cement Injection Technology)

    • बाँध की नींव को मजबूत बनाने के लिए स्पेशल सीमेंट इंजेक्शन किया गया, जिससे जलरोधक (Waterproof) प्रभाव उत्पन्न हुआ।

    स्वचालित जल नियंत्रण प्रणाली (Automated Water Control System)

    • बाँध में एक एडवांस हाइड्रोलिक गेट सिस्टम लगाया गया, जो जल प्रवाह को नियंत्रित करता है और बाढ़ को रोकने में मदद करता है।

    • यह प्रणाली रियल-टाइम डेटा एनालिसिस का उपयोग करके जल स्तर को नियंत्रित करती है।

    शिप लिफ्ट (Ship Lift) और लॉक्स (Locks) सिस्टम

    • इस बाँध पर दुनिया की सबसे उन्नत शिप लिफ्ट (Ship Lift) प्रणाली बनाई गई, जो बड़े जहाजों को ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है।

    • शिप लिफ्ट प्रणाली में 150 मीटर लंबा हाइड्रोलिक लिफ्टिंग मैकेनिज्म लगाया गया है, जिससे जहाजों की आवाजाही तेज़ हो गई।

    • इसके अलावा, बाँध में 5-स्तरीय (Five-Step) लॉक सिस्टम भी बनाया गया, जिससे जल परिवहन और अधिक प्रभावी हो सका।

    थ्री गॉर्जेस डैम, फायदे और उपलब्धियां(Benefits and Achievements)

    स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत – यह कोयले और अन्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा प्रदान करता है। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आती है।

    बाढ़ नियंत्रण में सहायक – लाखों लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए बांध की जल संग्रहण क्षमता बहुत महत्वपूर्ण है। नियंत्रित जल प्रवाह से यांग्त्ज़े नदी के किनारे बसे शहरों को सुरक्षा मिलती है।

    कृषि और जलापूर्ति में सहायता – सूखे के समय जल आपूर्ति बनाए रखने में मदद करता है। आसपास की कृषि भूमि के लिए सिंचाई के साधन उपलब्ध कराता है।

    आर्थिक विकास को बढ़ावा – जल परिवहन में सुधार होने से व्यापार को बढ़ावा मिला। चीन की बिजली आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा इससे पूरा होता है।

    संभावित खतरे और आलोचनाएँ(Potential Risks and Criticisms)

    भूकंप और भूस्खलन का खतरा – थ्री गॉर्जेस डैम एक अत्यधिक विशाल संरचना है, जिसका पानी के भारी दबाव के कारण आसपास के क्षेत्रों में भूकंप और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बांध के कारण आसपास के इलाकों में भूकंपीय गतिविधियां तेज हुई हैं।

    पर्यावरणीय प्रभाव – बांध के निर्माण के कारण हजारों हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई, जिससे जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कई दुर्लभ प्रजातियों का निवास स्थान नष्ट हो गया।

    जनसंख्या विस्थापन – बांध के निर्माण के कारण 1.3 मिलियन (13 लाख) से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। विस्थापित लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया में कई समस्याएं सामने आईं।

    सतत जल प्रबंधन की समस्या – बांध के जलाशय में गाद जमने की समस्या देखी गई है, जिससे जल प्रवाह प्रभावित हो सकता है और बांध की कार्यक्षमता कम हो सकती है।

    बांध विफलता का खतरा – यदि किसी कारणवश यह बांध टूट जाता है, तो यह एक भीषण आपदा का कारण बन सकता है। इसका प्रभाव चीन के प्रमुख शहरों तक महसूस किया जाएगा और लाखों लोगों की जान को खतरा हो सकता है।

    क्या थ्री गॉर्जेस डैम एक टाइम बम है?( Three Gorges Dam & ticking time bomb?)

    थ्री गॉर्जेस डैम को लेकर कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह अपनी विशालता और जल संग्रहण क्षमता के कारण एक संभावित “टाइम बम” बन सकता है। इसके निर्माण से जुड़े तकनीकी और पर्यावरणीय खतरे इसे एक चिंता का विषय बनाते हैं। हालांकि चीन सरकार इसके रखरखाव और सुरक्षा प्रबंधन में निरंतर सुधार कर रही है, लेकिन इसके संभावित खतरे को नकारा नहीं जा सकता।

    परियोजना का समापन और वर्तमान स्थिति(Current Status of Three Gorges Dam)

    थ्री गॉर्जेस डैम को आधिकारिक रूप से 4 जुलाई 2012 को पूरा घोषित किया गया। यह वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट है।

    आज यह बाँध चीन की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है और यह न केवल बिजली उत्पादन बल्कि बाढ़ नियंत्रण और जल परिवहन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालाँकि, पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों को लेकर इसकी आलोचना भी होती रही है, लेकिन इसकी तकनीकी सफलता और ऊर्जा उत्पादन की क्षमता इसे एक अद्वितीय इंजीनियरिंग उपलब्धि बनाती है।

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